..सिर्फ प्यास बुझाने के लिए नहीं जाना जाता यह डैम, यहां रावण ने शिव को किया था प्रसन्न, आज भी है विशेष मान्यता
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..सिर्फ प्यास बुझाने के लिए नहीं जाना जाता यह डैम, यहां रावण ने शिव को किया था प्रसन्न, आज भी है विशेष मान्यता

देवली में बीसलपुर गांव में खूबसूरत वादियों के बीच बने बीसलपुर बांध जयपुर समेत चार जिलों की लाइफलाइन कहा जाता है. बनास नदी पर बने बीसलपुर बांध छह बार ओवरफ्लो हो चुका है. इस साल भी बीसलपुर से जमकर खुशियां बह रही है.

यहां रावण ने शिव को किया था प्रसन्न.

Bisalpur Dam​: देवली में बीसलपुर गांव में खूबसूरत वादियों के बीच बने बीसलपुर बांध जयपुर समेत चार जिलों की लाइफलाइन कहा जाता है. बनास नदी पर बने बीसलपुर बांध छह बार ओवरफ्लो हो चुका है. इस साल भी बीसलपुर से जमकर खुशियां बह रही है. आखिर बीसलपुर बांध को क्यों लाइफलाइन कहा जाता है.

कब कब छलका बीसलपुर बांध

  • 18 अगस्त 2004
  • 25 अगस्त 2006
  • 19 अगस्त 2014
  • 10 अगस्त 2016
  • 20 अगस्त 2019

बनास नदी पर उम्मीदों का बांध पहाडों के घिरा खूबसूरत बांध है बीसलपुर. इस बांध की बदौलत 1 करोड़ 10 लाख से ज्यादा लोगों की प्यास बुझती है. बीसलपुर बांध का शिलान्यास 1985 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर और सिंचाई मंत्री परसराम मदेरणा ने किया था. जिसका निर्माण कार्य 1987 में शुरू हुआ था. बांध का निर्माण एक ही चरण में हुआ है, जो 1996 में बनकर तैयार हो चुका था. बांध निर्माण में कुल लागत 825 करोड़ आई थी. बांध की कुल जलभराव 315.50 आर एल मीटर है जिसमें कुल 38.708 टीएमसी पानी का भराव होता है.

कब-कब ओवरफ्लो हुआ बांध, कितना पानी छोड़ा

बीसलपुर बांध से 2004 में पहली बार गेट खोले गए. जब 26 टीएमसी पानी छोडा गया था. दूसरी बार 2006 में 43 टीएमसी. 2014 में 11 टीएमसी. 2016 में 135 टीएमसी और 2019 में 93 टीएमसी पानी छोडा गया था. इसी साल ऐसा पहली बार हुआ था जब बांध के सभी 18 गेट खोले गए. अबकी बार पहले दो फिर बाद में चार गेट खोले गए थे. अब तक 2 टीएमसी से ज्यादा पानी छोड़ा जा चुका है.

बीसलपुर डैम का लेखा-जोखा
बीसलपुर बांध की उंचाई 315.50 आरएलमीटर है, जिसकी भराव क्षमता 38.7 टीएमसी है.जलदाय विभाग को जनता की प्यास बुझाने के लए 16.20 टीएमसी पानी मिलता है. इसके अलावा 80 हैक्टेयर सिंचाई के लिए किसानों को 8 टीएमसी पानी उपलब्ध करवाया जाता है. बाकी पानी वाष्पीकरण के कारण उड़ जाता है. बीसलपुर से सबसे ज्यादा जयपुर को 485 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है, उसके बाद अजमेर को 320 एमएलडी, दूदू प्रोजेक्ट के जरिए 56 एमएलडी, टोंक-उनियारा के लिए 52 एमएलडी पानी की रोजाना सप्लाई की जा रही है. रोजाना करीब 1000 mld पानी की सप्लाई की जा रही है.

किस जिले के कितने लोग पी रहे बीसलपुर से पानी
जयपुर, अजमेर, टोंक और दौसा जिले के 21 शहर और 2800 से ज्यादा गांवों की प्यास बीलसपुर बांध अकेला बुझा रहा है, इसलिए बीसलपुर को इन जिलों का लाइफलाइन कहा जाता है.

बांध से गांवों की प्यास का गणित

जिला            गांव            

जयपुर          1003
टोंक             518
अजमेर         1026

त्रिवेणी के संगम से बीसलपुर बांध की चमक
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बांध में पानी की मुख्य आवक का स्रोत त्रिवेणी नदी को माना गया है. इसके साथ ही बनास में पानी की मुख्य आवक का स्रोत प्रसिद्ध मेनाल झरने का पानी गोवटा बांध में आता है. गोवटा बांध के ओवरफ्लो होने के बाद पानी मेनाली नदी में मिलकर त्रिवेणी तक पहुंचता है. त्रिवेणी में बनास, बेड़च और मेनाली नदी मिलकर त्रिवेणी संगम बनाता है.

बीसलदेव आस्था का केंद्र
बीसलपुर बांध में बना बीसलदेव का मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर का एक गहरा धार्मिक और सामाजिक महत्व है. इस मंदिर का नाम बीसलदेव रखा गया है. जिसका अर्थ है देवता महान है सर्वश्रेष्ठ है. इस मंदिर को देश के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में भी माना गया है यह 12 वीं शताब्दी में चहामान के शासक विग्रहराजा द्वारा प्रमाणित किया गया था, जिसे बीसलदेव के नाम से जाना जाने लगा.जब जब बीसलपुर बांध लबालब होता है, तब तब ये मंदिर भी बांध के पानी में डूब जाता है.

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भगवान शिव ने दिए थे रावण को दर्शन
बीसलपुर बांध के नजदीक ही गोकर्णेश्वर मंदिर से भी लोगों की गहरी आस्था है. हिंदू ग्रंथों के अनुसार मंदिर में शिवलिंग के बारे में कहा जाता है की इस शिवलिंग की स्थापना भगवान शिव के परम भक्त दशानन ने की थी. रावण ने इस शिवलिंग की स्थापना करके कई समय तक वहां भगवान शिव की पूजा आराधना की थी और भगवान शिव को प्रसन्न किया था. भगवान शिव ने रावण को दर्शन दिए थे और रावण ने भगवान शिव जी से वरदान मांगा था. जब रावण ने भगवान शिव जी से वरदान मांगा तब भगवान शिव जी ने रावण को वरदान दिया था. इसीलिए वहां पर गोकर्णेश्वर मंदिर का निर्माण कराया गया था. वैसे बीसलपुर पर्यटकों की दृष्टि से बहुत खूबसूरत जगहों में से एक है.

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राजस्थान का पहला बांध, जो स्काडा सिस्टम से है लेस
बीसलपुर बांध राजस्थान का पहला ऐसा बांध है जो स्काडा सिस्टम से लेस है. स्काडा सिस्टम का मतलब इस बांध की मॉनिटरिंग पूरी तरह से ऑनलाइन की जाती है. जिसमें जलसंसाधन विभाग के इंजीनियर द्धारा मॉनिटरिंग के लिए कैमरे और कई तरह से उपकरण लगाए गए है. अब बांध के गेट खोलने के लिए केवल एक बटन दबाना पडता है.

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इसके साथ ही बांध से कितना पानी रिलीज करना है. ये भी पूरी तरह से ऑनलाइन सिस्टम द्वारा ही किया जाता है. बांध में मौजूदा कितना पानी है, इसकी पल पल की अपडेट स्काडा सिस्टम से जल संसाधन विभाग को मिलती है. बीसलपुर बांध के अलावा माही बांध, जवाई बांध में भी स्काडा सिस्टम लगाने की योजना चल रही है.

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