Khatu Shyam Ji: हाथों में निशान लेकर झूमते हुए भक्तों के रैला आ रहा खाटूधाम, सड़कों पर बिखरा गुलाल ही गुलाल
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Khatu Shyam Ji: हाथों में निशान लेकर झूमते हुए भक्तों के रैला आ रहा खाटूधाम, सड़कों पर बिखरा गुलाल ही गुलाल

Khatu Shyam ji: राजस्थान के सीकर जिले के वार्षिक लक्खी फाल्गुन मेले का सातंवा दिन भी भक्तों का लगातार कारवां उमड़ रहा है. सांवरिया के भजनों पर श्रद्धालु नाचते-गाते बाबा के दर्शन करने आ रहे हैं. 

Khatu Shyam Ji: हाथों में निशान लेकर झूमते हुए भक्तों के रैला आ रहा खाटूधाम, सड़कों पर बिखरा गुलाल ही गुलाल

Khatu Shyam ji: राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्यामजी में बाबा‌ श्याम के वार्षिक लक्खी फाल्गुन मेले (Khatu Shyam Lakhi Mela 2023) में श्याम भक्तों का लगातार कारवां उमड़ रहा है. रींगस से लेकर खाटूधाम तक श्याम श्रद्धालुओं का तांता ‌लगा हुआ है. इस दैरान भक्त हाथों में केसरिया निशान और मुख पर श्याम नाम के जयकारे लगाते नाचते-गाते रूह गुलाब उड़ाते रैला बाबा के दरबार की और बढ़ते चले आ रहे हैं. 

सांवरिया खींचे डोर भगत बड़ा आये...?
सांवरिया खींचे डोर भगत बड़ा आये भजन पर श्रद्धालु मग्न हो झूमते हुए बाबा से रूबरू दर्शनों को चले आ रहे हैं. बाबा श्याम के दर पर पहुंच कर कोलकाता से आते विभिन्न रंगीन फूलों से सजे बाबा के अपने मन्नत के निशान अर्पित कर श्याम की चौखट पर शीश नवाकर एक झलक के दर्शन कर अपने परिवार-व्यापार की खुशहाली की मनोकामनाएं मांग रहे हैं. 

8 सेक्टरों पर तैनात पुलिस जाप्ता
वहीं, एएसपी रतन लाल भार्गव और थानाधिकारी सुभाष यादव मेले की पल-पल की घटनाओं पर नजर बनाए हुए हैं. इसके साथ ही 8 सेक्टरों पर भारी पुलिस का जाप्ता श्याम भक्तों की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात है. 

बंगाली कलाकार कर रहे बाबा श्याम का श्रृंगार 
वार्षिक लक्खी मेले में भक्तो का सैलाब उमड़ रहा है. तमाम माकूल इंतजाम हो रहे हैं और हर रोज बाबा श्याम का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है. बंगाली कलाकारों के द्वारा फूलों से बाबा श्याम का अलौकिक भव्य श्रृंगार किया जा रहा है. श्रद्धालु का कतार बद्ध होकर बाबा श्याम के दर्शन कर रहे हैं. 

क्यों लगता है वार्षिक लक्खी फाल्गुन मेला 
फाल्गुन के महीने में हर साल बाबा श्याम के लक्खी मेले का आयोजन होता है. कहा जाता है कि फाल्गुन मास की द्वादशी को भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर अपना सिर काट कर उनके पैरों में रख दिया था इसलिए यह मेला फाल्गुन महीने की द्वादशी तक लगाता है, जिसमें लाखों भक्त आते हैं. 

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