Ranthambore News: एंकर-बाघों की अठखेलियों को लेकर विश्व पटल पर अपनी खास पहचान रखने वाले प्रदेश के सबसे बड़े टाईगर रिजर्व रणथंभौर नेशनल पार्क में विगत करीब दो सालों में 16 बाघों की मौत हो गई , जिनमें अधिकतर बाघों की मौत टेरोटोरियल फाइट की वजह से हुई है . रणथंभौर में लगातार हो रही बाघों की मौत से जहाँ वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे है ,वही वन्यजीव प्रेमियों के लिये भी दुःखद घटना है .
कहने को तो प्रदेश के सबसे बड़े रणथंभौर नेशनल पार्क में लगातार बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है ,लेकिन वही दूसरी तरफ लगातार बाघों की मौत को लेकर भी रणथंभौर सुर्खियों में बना हुवा है ,विगत दो सालों में रणथंभौर में 16 बाघ बाघिन एंव शावकों की मौत हो चुकी है जो अपने आप मे बेहद दुखद खबर है . वैसे तो रणथंभौर में विगत एक वर्ष में 16 बाघ शावकों ने जन्म लिया है ,लेकिन जिस तरह से रणथंभौर में शावकों का जन्म हो रहा है और बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है उसी तरह रणथंभौर में लगातार आपसी संघर्ष के चलते बाघों की मौत भी हो रही है जो वन प्रशासन पर कई तरह के सवाल खड़े कर रही है.
रणथंभौर में वर्तमान में 26 बाघ ,25 बाघिन और 16 शावक है. रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप के आर के मुताबिक रणथंभौर में क्षेत्रफल के मुताबिक जितने बाघ बाघिन ओर शावकों की संख्या होनी चाहिए उस हिसाब से रणथंभौर में बाघों की पर्याप्त संख्या है ,ऐसे में जब रणथंभौर में कोई नया शावक जन्म लेता है और फिर युवा होकर अपनी माँ से अलग होकर अपनी नई टेरेटरी बनाता है तो फिर कई मर्तबा टेरेटरी के लिए किसी अन्य बाघ से उसका टकराव होता है और आपसी संघर्ष में कमजोर बाघ की मौत हो जाती है.
सीसीएफ का कहना है कि टेरेटरी को लेकर दो बाघों की बीच आपसी संघर्ष में में किसी एक कमजोर बाघ की मौत हो जाती है ,वही उनका कहना है कि रणथंभौर में टेरोटोरियल फाइट के अलावा मादा को लेकर की कई बार बाघों में टकराव हो जाता और आपसी संघर्ष में किसी एक बाघ की मौत हो जाती है ,रणथंभौर में जिस तरह दो सालों में 16 बाघों की मौत हुई है ,उसमें अधिकतर बाघों की मौत टेरोटोरियल फाइट के कारण हुई है ,जिसकी वजह या तो मादा रही है या फिर टेरेटरी को लेकर आपसी संघर्ष में बाघ की मौत हुई है.
रणथंभौर में विगत दो साल जनवरी 2023 से दिसम्बर 2024 के दौरान 16 बाघ बाघिन और शावकों की मौत हुई है . साल 2023 के जनवरी माह में 1 बाघ व 1 बाघिन और 1 शावक की मौत हुई थी ,10 जनवरी 2023 को बाघ T-57 की मौत हुई थी और फिर 31 जनवरी 2023 को बाघिन T-114 और उसके शावक की मौत हो गई. इसके अगले महीने में ही 9 फरवरी 2023 को बाघिन T-19 कृष्णा की मौत हो गई थी. मई 2023 में फिर एक बाघ की मौत हुई और फिर 10 मई को बाघ T-104 को ट्रैंकुलाइज करते समय ओवरडोज देने से उदयपुर में उसकी मौत हो गई. सितंबर में फिर बाघिन T-79 के 2 शावकों की मौत हो गई और बाघिन का पता लगाने में वन विभाग विफल रहा.
इसी तरह 11 दिसंबर 2023 को बाघिन T-69 के शावक की मौत हो गई. इस तरह साल 2023 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 8 बाघ-बाघिन और शावकों ने दम तोड़ दिया. जिसके बाद जनवरी 2024 में एक बाघिन और दो शावकों की मौत हो गई. साल 2024 के जनवरी माह में बाघिन टी-99 प्री मेच्योर डिलीवरी के चलते गर्भपात का शिकार हुई.
वहीं बाघिन टी-60 व उसके शावक की प्रसव पीड़ा के दौरान मौत हो गई. सितंबर 2024 में बाघ टी 85 और बाघ टी 2312 की मौत हो गई ,वही नवम्बर 2024 में बाघ मानव संघर्ष में बाघ टी 86 की मौत हुई और फिर 23 दिसम्बर 2024 को बाघ टी 2309 की मौत हो गई . इस तरह रणथंभौर में जनवरी 2023 से दिसम्बर 2024 तक 16 बाघ बाघिन ओर शावकों की मौत हो चुकी है.
रणथंभौर में टेरोटोरियल फाइट को लेकर लगातार हो रही बाघों की मौत को लेकर वन्यजीव विशेषज्ञ यादवेन्द्र सिंह का कहना है कि बाघों के बीच टेरोटोरियल फाइट अपनी टेरेटरी को लेकर होती है . जब भी कोई शावक अपनी माँ से अलग होकर अपनी नई टेरेटरी बनाता है तो उस इलाके में पहले से मौजूद बाघ के साथ उसकी फाइट हो जाती है और इस फाइट में एक कमजोर बाघ की मौत हो जाती है ,उनका कहना है कि रणथंभौर में एक विशेष इलाके में बाघों की जरूरत की हर चीज उपलब्ध है ,चाहे ग्रासलैंड हो.
बाघों के भोजन के लिए अन्य एनिमल हो या फिर पानी हो ,कोई भी नया बाघ जब अपनी टेरेटरी बनाता है तो उसे भी जीवनयापन के लिए इन सब चीजों की आवश्यकता पड़ती है और उसी को देखकर युवा बाघ अपनी टेरेटरी बनाने की कोशिश करता है ,ऐसे में उस इलाके में पहले से मौजूद अन्य बाघ से उसकी फाइट होती है और फिर एक कमजोर बाघ की आपसी संघर्ष में मौत हो जाती है ,यादवेन्द्र सिंह का कहना है कि टेरेटरी के अलावा बाघों के बीच मादा दो लेकर भी आपसी संघर्ष होता है और कई मर्तबा उसमें भी एक बाघ की मौत हो जाती है.
उनका कहना है कि रणथंभौर में वर्तमान में नर बाघ ओर मादा बाघिन का रसो गड़बड़ाया हुवा है. वाइल्डलाइफ के मुताबिक एक नर बाघ को दो से तीन मादा की जरूरत रहती है ,लेकिन रणथंभौर में नर और मादा का रसो तकरीबन बराबर सा ह ,यहाँ 26 हर पर महज 25 मादा है , ऐसे में मादा के चक्कर मे भी नर बाघों के बीच आपसी संघर्ष होता है और इसमें किसी एक बाघ की मौत हो जाती है.
रणथंभौर में टेरेटरी ओर मादा को लेकर बाघों के आपसी टकराव और आपसी टकराव में बाघों की मौत होने दुखद है ,वन्यजीव विशेषज्ञ यादवेंद्र सिंह का कहना है कि रणथंभौर में अगर टेरेटरी ओर मादा को लेकर बाघों का आपसी संघर्ष रोकना है तो राज्य सरकार और वन विभाग को कड़े कदम उठाने होंगे ,उनका कहना है कि सरकार और वन विभाग को रणथंभौर में नया ग्रासलैंड विकसित करना होगा.
उनका कहना है कि नया ग्रासलैंड विकसित होगा तो अन्य वाइल्डलाइफ एनिमल नए ग्रासलैंड की तरफ जाएंगे और जब अन्य एनिमल उधर जाएंगे तो स्वाभाविक है कि बाघ भी उनके पीछे जाएंगे तो बाघों के.लिए एरिया बढ़ेगा तो आपसी टकराव भी कम होगा और बाघों को पर्याप्त टेरेटरी भी मिल पायेगी ,साथ ही उनका कहना है कि दूसरा सरकार को रणथंभौर से कुछ नर बाघों को अन्यत्र शिफ्ट करने की योजना बनानी चाहिए ,वो भी उन बाघों को जो अपनी नई टेरेटरी की तलाश कर रहे है ऐसे बाघों को चिन्हित कर उन्हें शिफ्ट किया जा सकता है तो टेरेटरी को लेकर बाघों के बीच संघर्ष कम होगा.
बाघों की अकाल मौत भी नही होगी ,साथ ही सरकार रणथंभौर में नर और मादा के रसो को ठीक करने के लिए देश के अन्य टाईगर रिजर्व से मादा बाघिनों को रणथंभौर लाकर शिफ्ट कर सकती है ,इससे जहाँ नर मादा का रसो सुधरेगा बल्कि जेनेटिक समस्या का भी समाधान हो सकेगा. रणथंभौर में लगातार हो रही बाघों की मौत रणथंभौर के लिए ही नही अपितु वन्यजीव प्रेमियों एंव सरकार के लिए भी चिंता की बात है ,टेरेटरी और मादा को लेकर बाघों के बीच हो रहे आपसी संघर्ष को रोकने के लिए राज्य सरकार और वन विभाग को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि रणथंभौर बाघों से आबाद रह सके और रणथंभौर भ्रमण पर आने वाले सैलानियों को यहाँ बाघों की अठखेलिया इसी तरह दिखाई दे सके.