राजसमंद के नाथद्वारा में राजपूत समाज की महिलाओं ने अपनी संस्कृति और संस्कार को सहेजने और उन्हें बच्चों को देने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है. इस पहल से ना सिर्फ संस्कृति बचाने की कवायद की जा रही है बल्कि महिलाएं समय के साथ कदम ताल मिलाकर भी चल रही है.
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Rajsamand: जिले में राजपूत समाज की महिलाओं ने अपनी संस्कृति और संस्कार को सहेजने और उन्हें बच्चों को देने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है. इस पहल से ना सिर्फ संस्कृति बचाने की कवायद की जा रही है बल्कि महिलाएं समय के साथ कदम ताल मिलाकर भी चल रही है. आमतौर पर लोगों में धारणा है कि राजपूत महिलाएं घुंघट में और पर्दे के पीछे रहती है, जो चारदीवारी से बाहर नहीं आ पाती है, लेकिन इस मिथक को तोड़ते हुए राजसमंद जिले के नाथद्वारा उपखंड की राजपूत महिलाओं ने अपनी संस्कृति और संस्कार बचाने के लिए एक नई पहल की है.
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राजपूत महिलाओं ने अपनी संस्कृति और कल्चर सहेजने के लिए रॉयल राजपूताना नाम से एक महिला ग्रुप का गठन किया है. इस ग्रुप के बैनर तले रावली घूमर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. नाथद्वारा की द मारुतिनंदन ग्रैंड होटल में आयोजित समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली समाज की बालिकाओं और महिलाओं को सम्मानित किया गया. इस समारोह की मुख्य अतिथि भाजपा नेत्री संगीता कुमारी चौहान और समाजसेवी रेखा चौहान थी. कार्यक्रम की संचालक दीपशिखा शक्तावत और उषा रामावत ने बताया कि रॉयल राजपूताना संगठन का गठन समाज की महिलाओं को आपस में जोड़ने और महिला उत्थान के लिए किया गया है. इस संगठन में 18 महिलाएं हैं. आज आधुनिक समय में राजपूत समाज की महिलाओं को समय के साथ कदमताल मिलाने के लिए यह संगठन कार्य करता है, इसके जरिए प्राचीन संस्कार और संस्कृति नवीन पीढ़ी को देने की कोशिश की जाती है, जिससे कि समाज की परंपराओं को जीवित रखा जा सके.
Reporter - Devendra Sharma
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