Rajsamand Ghana Beda Mataji mandir: एक चट्टान पर टिका हुआ है 100 साल पुराना चमत्कारिक मंदिर
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Rajsamand Ghana Beda Mataji mandir: एक चट्टान पर टिका हुआ है 100 साल पुराना चमत्कारिक मंदिर

Ghana Beda Mataji mandir: राजस्थान के राजसमंद जिले में घने जंगलों और पहाड़ियों पर बसा घणा बेड़ा माताजी के मंदिर दशकों से विराजमान है. यहां के लोगों का कहना है कि इस गांव में डूंगाजी दादा नाम के व्यक्ति रहा करते थे और उन्हीं के नाम पर इस गांव का नाम डूंगाजी का गांव पड़ा है.

 

Rajsamand Ghana Beda Mataji mandir: एक चट्टान पर टिका हुआ है 100 साल पुराना चमत्कारिक मंदिर

Rajsamand Ghana Beda Mataji mandir: राजस्थान के राजसमंद जिले में घने जंगलों और पहाड़ियों पर बसा घणा बेड़ा माताजी के मंदिर दशकों से विराजमान है. पहाड़ियों और जंगलों के बीच लगभग एक हजार फीट की ऊंचाई पर बसा घणा बेड़ा माताजी के मंदिर में गांव के लोग दर्शन करने आते हैं, लेकिन अब यहां पर दूर दराज से बड़ी तादाद में श्रद्धालु भी आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए माताजी की पूजा अर्चना करते हैं. बता दें कि घणा बेड़ा माताजी का मंदिर राजसमंद जिले के भीम विधानसभा में आने वाले डूंगाजी का गांव में हैं.

राजसमंद का घणा बेड़ा माताजी मंदिर 

इस मंदिर को लेकर बताया गया है कि यह मंदिर लगभग 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां के लोगों का कहना है कि इस गांव में डूंगाजी दादा नाम के व्यक्ति रहा करते थे और उन्हीं के नाम पर इस गांव का नाम डूंगाजी का गांव पड़ा है, तो वहीं मंदिर के पास मौजूद पूर्व सरपंच भूपेंद्र सिंह ने बताया कि डूंगाजी दादा को घणा बेड़ा माताजी ने दर्शन दिए थे और उसके बाद से ही उन्होंने यहीं पर घणा बेड़ा माताजी का मंदिर बनाकर पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया. 

यहां होती है मनोकामना पूर्ण 

तब से लेकर अब तक यहां पर माताजी की पूजा अर्चना करने ​ग्रामीणों के साथ साथ दूर दराज से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु यहां पर आते हैं. मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर एक सिंगल चट्टान पर बना हुआ है और लोग यहां पर इस चट्टान पर लगभग 1000 फीट की उंचाई पर चढ़कर जाते हैं. यहां पर मौजूद लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि घणा बेड़ा माताजी के दरबार में जो भी श्रद्धालु मन से आता है और जो भी मनोकामना मांगता है वह उसकी पूर्ण होती है.

कभी दी जाती थी बलि

वहीं यह भी बताया जा जाता है कि जो इस मंदिर में सच्चे मन से नहीं आता है वह यह चट्टान नहीं चढ़ पाता है. पूर्व सरपंच ने बताया कि यहां पर किसी जमाने में पाडो की बली दी जाती थी, लेकिन अब यहां पर इन पाडो की बली ना देकर इनके कान छेद कर लक्ष्मण सागर तालाब के पास जंगल में छोड़ दिया जाता है.

जोधपुरी कारीगरों द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया जा रहा

आपको बता दें कि घणा बेड़ा माता मंदिर में भादवे की तेरस पर दो दिन के लिए मेला भरता है जिसमें लगभग 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं, तो वहीं अब इस मंदिर की पूर्व सरपंच भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सुध ली है और यहां पर पूरे गांव ने पैसा एकत्रित करके मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं.

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बता दें कि मंदिर का निर्माण कार्य होते हुए एक साल से भी ज्यादा का समय हो गया है. इस मंदिर में जोधपुरी कारीगरों द्वारा जोधपुर पत्थर से मंदिर का निर्माण करवाया जा रहा है. सबसे खास बात यह है इतनी उंचाई पर पत्थर ले जाने के लिए कोई भी साधन नहीं हैं ऐसे में यह मजदूर अपने सिर पर पत्थर उठाकर मंदिर तक पहुंचा रहे हैं.

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