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Rahul Gandhi in Banswara's Mangarh : बुधवार को राहुल गांधी बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम आ रहे हैं. राहुल गांधी का बांसवाड़ा दौरा भले ही दो सप्ताह पहले तय हो गया था . लेकिन 7 अगस्त सोमवार को जिस तरह से राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता बहाली के रूप में बड़ी जीत मिली है, उस जीत के बाद बांसवाड़ा में राहुल गांधी की जनसभा पर हर किसी की नजर होगी.
नज़र इस बात पर कि राहुल गांधी उसमें क्या कहते हैं? राहुल गांधी के साथ ही बांसवाड़ा की सभा राजस्थान कांग्रेस के संगठन के लिए भी महत्वपूर्ण होने जा रही है. संभवत: पहला मौका हैं? जब सरकार होने के बाद कोई सभा करवाने में सरकार से ज्यादा संगठन की सक्रियता दिख रही है.
दरअसल सीएम अशोक गहलोत के पैर में चोट है, इसके चलते गहलोत राजधानी से ही पूरे काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, जबकि फील्ड में सभा का पूरा काम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने संभाल रखा है. ऐसे में सभा अगर कामयाब होती है तो इससे संगठन के नंबर भी बढ़ेंगे.
वागड़ का इलाका यानी राजस्थान का आदिवासी क्षेत्र दोनों ही पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के लिए कितनी अहमियत रखता है. इसका पता इसी बात से चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछली एक नवंबर को मानगढ़ धाम बांसवाड़ा से ही राजस्थान के चुनाव की शुरुआत की थी , जिसके जरिये उन्होंने राजस्थान के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश के लिए भी मैसेज दिया था और अब राहुल गांधी भी 9 अगस्त से राजस्थान के विधानसभा चुनाव का शंखनाद मानगढ़ धाम बांसवाड़ा से करने जा रहे हैं.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राहुल गांधी की पूरी सभा का काम अपने हाथ में ले रखा है और कैसे ज्यादा से ज्यादा संख्या में आदिवासी राहुल गांधी की जनसभा में पहुंचे इसे लेकर वह प्रयास कर रहे हैं . गोविंद डोटासरा क्योंकि यह दावा भी कर चुके हैं कि आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजस्थान में जितनी रैलियां हुई उनके बराबर संख्या में लोग राहुल गांधी की बांसवाड़ा सभा में पहुंचेंगे.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे राहुल गांधी के सामने मानगढ़ धाम और आदिवासियों को लेकर बड़ी घोषणा,केवल राजस्थान ही नही मध्यप्रदेश चुनाव पर भी होगा असर
बांसवाड़ा का मानगढ़ धाम न केवल राजस्थान बल्कि गुजरात और मध्य प्रदेश के आदिवासियों के लिए आस्था का केंद्र है. मानगढ़ धाम का महत्व देश में इस बात के लिए है कि 17 नवंबर 1913 में गोविंद गुरु के नेतृत्व में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए 1500 से ज्यादा आदिवासी एक साथ यहां शहीद हो गए थे.
संभवत यह देश का एकमात्र एक ऐसा स्थान है जहां देश की रक्षा के लिए 1500 आदिवासी शहीद हुए हो, मानगढ़ धाम को लंबे समय से राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग हो रही है लेकिन इसी बीच राजस्थान के संगठन के मुखिया गोविंद डोटासरा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से यह मांग रखी है कि केंद्र इस धाम के लिए कुछ नहीं करेगा. ऐसे में राजस्थान को ही इसे लेकर कोई बड़ी घोषणा करनी चाहिए. ऐसे में उम्मीद है कि राहुल गांधी जब विश्व आदिवासी दिवस को मानगढ़ धाम पहुंचेंगे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मानगढ़ धाम के लिए कोई बड़ी घोषणा जरूर करेंगे. हालांकि राज्य सरकार इसे राष्ट्रीय स्मारक तो नहीं घोषित करती लेकिन राज्य सरकार अपने स्तर पर कोई घोषणा ऐसी जरूर करेगी जिससे मानगढ़ धाम का नाम और प्रसिद्धि बढ़ेगी.
आदिवासी वागड़ क्षेत्र कभी कांग्रेस का सबसे महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जाता था लेकिन धीरे-धीरे यह क्षेत्र कांग्रेस के हाथों से कमजोर होता जा रहा है जहां 2008 के चुनाव में कांग्रेस के पास 16 में से 11 सीटें थी मोदी लहर के चलते 2013 में 1 सीट और 2018 में कांग्रेस 3 सीटों पर सिमट गई थी हालांकि धरियावद उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत से यह संख्या 4 हो गई लेकिन किसी भी लिहाज से अपने परंपरागत वोट बैंक में लगी सेंध से कांग्रेस अब राहुल गांधी के जरिए बाहर आने का प्रयास कर रही है, अब इसमें कांग्रेस कितना कामयाब होगी यह तो आने वाले चुनाव में ही साफ होगा.
उदयपुर (5) 2018 2013 2008
गोगुंदा भाजपा भाजपा कांग्रेस
झाडोल भाजपा भाजपा भाजपा
खेरवाड़ा कांग्रेस भाजपा कांग्रेस
उदयपुर ग्रामीण भाजपा भाजपा भाजपा
सलूंबर भाजपा भाजपा कांग्रेस
प्रतापगढ़ (2)
धरियाबाद भाजपा भाजपा कांग्रेस
प्रतापगढ़ कांग्रेस भाजपा भाजपा
डूंगरपुर (4)
डूंगरपुर कांग्रेस भाजपा कांग्रेस
सागवाड़ा बीटीपी भाजपा कांग्रेस
चौरासी बीटीपी भाजपा कांग्रेस
आसपुर भाजपा भाजपा कांग्रेस
बांसवाड़ा (5)
घाटोल भाजपा भाजपा. निर्दलीय
बांसवाड़ा कांग्रेस भाजपा कांग्रेस
बागीदौरा कांग्रेस कांग्रेस कांग्रेस
कुशलगढ़ निर्दलीय भाजपा जनता दल
गड़ी भाजपा भाजपा कांग्रेस
2018 में 16 में से 4 सीटें कांग्रेस की थी. इनमें से धरियावद उपचुनाव में जीते.
2013 में 16 में से 1 सीट कांग्रेस की.
2008 में 11 सीट कांग्रेस के पास थी.
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