राजस्थान की 55 सीटों पर गुर्जरों का प्रभाव, नाराज युवाओं ने पहले पायलट से की मुलाकात अब खोला मोर्चा
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राजस्थान की 55 सीटों पर गुर्जरों का प्रभाव, नाराज युवाओं ने पहले पायलट से की मुलाकात अब खोला मोर्चा

Gurjar Aarakshan : राजस्थान के चुनावी साल में राजनैतिक पार्टियों की निगाहे जातिगत वोट बैंक साधने पर टिकी है. प्रदेश में गुर्जर समुदाय बडा वोट बैंक माना जाता है, इसलिए इलेक्शन ईयर में अब गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आहट भी सुनाई देने लगी है. पायलट से मुलाकात, फिर विरोध की चेतावनी

राजस्थान की 55 सीटों पर गुर्जरों का प्रभाव, नाराज युवाओं ने पहले पायलट से की मुलाकात अब खोला मोर्चा

Gurjar Aarakshan : राजस्थान के चुनावी साल में आरक्षण का लाभ नहीं मिलने से खफा गुर्जर समुदाय के अभ्यर्थियों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. पहले पूर्व सीएम सचिन पायलट से मुलाकात, फिर इसके बाद एक दर्जन विधायकों से मिले और अब सीधे विरोध की चेतावनी दे रहे है. जिसके बाद अब विधायकों ने सीएम को खत लिखकर प्रक्रियाधीन भर्ती में नियुक्तियां पूरी करने का आग्रह किया. विधायकों ने चिट्टी में लिखा कि रीट भर्ती 2018 में शेष बचे अभ्यर्थियों को 372 पदों पर समझौते के अनुसार नियुक्ति दी जाए.

इन विधायकों को लिखा खत

पायलट समर्थक विधायक इंद्राज गुर्जर,जोगिंदर अवाना,शकुंतला रावत,सुखराम विश्नाई,राजकुमार शर्मा समेत कई विधायकों ने सीएम को खत लिखा है.इसके अलावा बेरोजगार एकीकृत महासंघ अध्यक्ष उपेन यादव ने भी अभ्यर्थियों का समर्थन करते हुए नियुक्ति देने का आग्रह किया.

सोशल मीडिया पर वार पटलवार

सरकार के विधायकों द्धारा पत्र लिखे जाने के बाद गुर्जर नेता  विजय बैंसला ने इंद्राज गुर्जर पर जमकर कटाक्ष किए थे.बैंसला ने कहा था कि देर आए दुरूस्त आए.जिस पर इंद्राज गुर्जर ने भी पलटवार करते हुए मीटिंग में ना बुलाए जाने की बात कही थी.खैर चुनावी साल है ऐसे में नेता एक दूसरे पर वार पलटवार जरूर करेंगे,क्योकि प्रदेश में 9 प्रतिशत गुर्जर आबादी है.ऐसे में नजरे तो दोनो ही पार्टियों के नेताओं की होगी.विजय बैंसला गुर्जर नेता के साथ साथ बीजेपी के नेता भी है.

50-55 सीटो पर गुर्जरों का प्रभाव

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मध्यनजर गुर्जर वोट की अहमियत बढ़ गई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों की नजर गुर्जर समुदाय के वोटर्स पर टिकी है.राजस्थान की 50-55 सीटों पर गुर्जर जातियों का प्रभाव माना जाता है.इसलिए दोनो पार्टियों गुर्जर वोटर्स पर साधने की कोशिश में लगी है.  

20-22 जिलों में गुर्जरों का वर्चस्व

राजस्थान के 15 जिलों में गुर्जर समाज का वर्चस्व है.भरतपुर, धौलपुर,करौली,सवाई माधोपुर,जयपुर,टोंक,दौसा,कोटा,भीलवाड़ा, बूंदी,झालावाड,बांरा,भीलवाडा,अजमेर और झुंझुनू जिलों को गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है.ऐसे में करीब 20-22 सीटों पर गुर्जर जाति के वोट प्रभावित करती है.

2018 के चुनाव में ये थे समीकरण

2018 के विधानसभा चुनाव में गुर्जर समाज से 8 विधायक जीत कर विधानसभा के सदन तक पहुंचे.7 उम्मीदवार कांग्रेस के टिकट पर जीते. एक प्रत्याशी जोगिन्दर सिंह अवाना बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीतकर विधानसभा का सदस्य बने.सभी बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कर लेने के बाद विधानसभा में 8 गुर्जर समाज के सदस्य हो गए.राजस्थान विधानसभा 2018 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर गुर्जर समाज का एक भी विधायक जीत दर्ज कर विधानसभा नहीं पहुंच पाया.बीजेपी ने 9 गुर्जर समुदाय के लोगों को प्रत्याशी और कांग्रेस ने 12 गुर्जर समाज के प्रत्याक्षियों को टिकिट दिया था.

बीजेपी-कांग्रेस ने गुर्जरों में पकड बनाने की कोशिश

बीजेपी और कांग्रेस दोनो पार्टियों ने गुर्जरों में पकड बनाने की कोशिश में लगी है.पहले प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भगवान देवनारायण की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश किया,वहीं पीएम नरेंद्र मोदी गुर्जर समुदाय के आराध्य भगवान देवनारायण जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की.

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