Rajasthan Politics : 2018 में कांग्रेस के सत्ता का रास्ता मेवाड़ से नहीं बल्कि पूर्वी राजस्थान से होकर निकला और ये कांग्रेस का अभेद किला बन गया. अब 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है.
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Rajasthan Politics : मरुधरा की सियासत में कहा जाता है कि राजस्थान की सत्ता का रास्ता मेवाड़ से होकर गुजरता है, लेकिन मिथक साल 2018 के चुनाव में टूट गया. 2018 में कांग्रेस के सत्ता का रास्ता मेवाड़ से नहीं बल्कि पूर्वी राजस्थान से होकर निकला और ये कांग्रेस का अभेद किला बन गया. अब 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी अभेद किले को भेदने की है. भाजपा के चाणक्य कहलाने वाले अमित शाह यहां का दौरा कर सियासी बिसात बिछाना शुरू कर चुके हैं.
दरअसल पूर्वी राजस्थान की 19 विधानसभा सीटों से में भाजपा को साल 2018 में सिर्फ एक सीट हांसिल हुई. हालांकि अब उस एक सीट से विधायक शोभारानी कुशवाह को भाजपा पार्टी से निष्काषित कर चुकी है, शोभारानी कुशवाह राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर चर्चाओं में आई थी, इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उनकी सरकार बचाने में मददगार लोगों में शोभारानी का जिक्र कर चुके हैं.
ऐसे में भाजपा के लिए सत्ता तक पहुंचने में सबसे बड़ी चुनौती पूरी राजस्थान की है. पूर्वी राजस्थान जाट बहुल क्षेत्र है. हालांकि यहां गुर्जर और मीणा समुदाय की भी बड़ी संख्या में ऐसे में जो पार्टी इन तीनों समुदाय को साध पाएगी वही पूरी राजस्थान का किला भेद पाएगी. सतीश पूनिया ने बतौर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष भरतपुर संभाग का खूब दौरा किया था, लेकिन उनको प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से ही जाट समुदाय में भाजपा को लेकर कहीं ना कही नाराजगी देखि जा रही है. ऐसे में भाजपा के सामने यह चुनौती और है.
भाजपा के संगठन में जमकर गुटबाजी भी देखने को मिल रही है. पिछले दिनों भाजपा ने भरतपुर जिलाध्यक्ष के पद पर डॉ. शैलेश सिंह को हटा कर ऋषि बंसल को जिलाध्यक्ष बना दिया, लेकिन ऋषि बंसल की चुनौतियां भी कम नहीं है. बंसल की कार्यकर्ताओं के साथ तू-तू मैं-मैं का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसके बाद अब उनकी पत्नी का भी एक वीडियो वायरल है. ऐसे में बंसल यह भी कह क्जुके हैं की अगर पार्टी में यही हाल रहा तो वो इस्तीफा दे देंगे.
भाजपा के लिए सबसे मुश्किल पूर्वी राजस्थान में होने वाली है. लिहाजा ऐसे में अमित शाह ने सबसे पहले पूर्वी राजस्थान के लिए ही रणनीति तैयार की है. शाह ने कहा है कि कार्यकर्त्ता और पदाधिकारी पार्टी के निर्देशानुसार सभी ब्लॉक पर मजबूती का कम करें. इसी कड़ी में भाजपा के अलग अलग नेताओं को पूर्वी राजस्थान के अलग अलग विधानसभा क्षेत्र कि जिमेदारी दी गई है. टोंक-सवाई माधोपुर सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया को वैर और बयाना क्षेत्र का जिम्मा मिला है. तो वहीं अलवर सांसद बाबा बालक नाथ को नगर और कामां का जिम्मा दिया है. इसके साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर को कुम्हेर-डीग और भरतपुर विधानसभा सीट कि जिम्मेदारी सौंपी गई है. कार्यसमिति सदस्य ब्रजेश शर्मा को नदबई का जिम्मा दिया गया है.
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