Ashok Gelot and Congress : राजस्थान में कांग्रेस चुनाव जितती है और गहलोत हारते हैं— क्या गहलोत हटा पायेंगे इस बार यह टैग, पिछले 5 विधानसभा चुनावों में दो चुनावों में कांग्रेस सत्ता में रहते हुए हारी है, क्या इस बार के चुनाव में बदल पाएगी कांग्रेस रिवाज
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Ashok Gelot and Congress : राजस्थान विधानसभा चुनाव पर सबकी नजरें टिकी हैं. देश में यू तो इस वर्ष 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सरकार की कमान सीएम अशोक गहलोत के हाथों में हैं और इस बार का चुनाव गहलोत के राजनैतिक कैरियर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, यहीं कारण है इन चुनावों में साम, दाम, दण्ड, भेद के कोई तीर तरकश में नहीं रह पायेंगे.
राजस्थान पर कांग्रेस की नजर यूं भी है कि 25 सितंबर की घटना के बाद कांग्रेस हाईकमान और गहलोत के बीच जो नए रिश्तों की शुरूआत हुई है वो इन चुनावों के परिणाम से नया रूप ले सकते है. पहले पायलट को कांग्रेस के कुनबे से पुरी बाहर करने की सभी कोशिशों को हाईकमान ने पूरा भले ही नहीं होने दिया हो, लेकिन आखिरकार अब तक बनी सभी कमेटियों के जरिए गहलोत ने ये दिखा दिया है कि वह राजस्थान में इस बार के चुनाव को किसी दूसरे के हाथों में नहीं जाने देंगे.
अशोक गहलोत के साथ उनके समर्थको के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है लेकिन दिल्ली के अकबर रोड़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय में बैठे कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं का मामना इससे बेहद अलग है. पिछले सप्ताह ही एआईसीसी के एक दिग्गज नेता से हो रही अनौपचारित बातचीत में उन्होने स्वीकार किया कि इस बार के विधानसभा चुनाव सिर्फ कांग्रेस के लिए हीं नही बल्कि अशोक गहलोत के खुद के लिए भी उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है.
अपने जीवन के करीब 4 दशक कांग्रेस की राजनीति में बिता चुके कांग्रेस के नेता का कहना था कि 2023 के विधानसभा से अशोक गहलोत पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वे अपने पर लगे एक टैग को हटाए कि राजस्थान में कांग्रेस जीतती है और अशोक गहलोत हारते है. कांग्रेस नेता के अनुसार राजस्थान में वर्ष 1998 से 2018 तक के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने तीन बार 1998, 2008 और 2018 में जीतकर सरकार बनाई है. लेकिन ये कड़वा सच है कि सरकार के मुखिया के तौर पर अशोक गहलोत कांग्रेस को दोनों ही बार जीत दर्ज नहीं करा पाये है. लेकिन इस बार अगर कांग्रेस राजस्थान में हार जाती है तो यह बात तय हो जायेगी कि राजस्थान में कांग्रेस जीतती है लेकिन गहलोत हार जाते है शायद यहीं कारण है कि हाईकमान ने भी इस बार इस चुनाव की कमान लगभग गहलोत को सौप दी हैं.
राजस्थान में कांग्रेस ने कभी भी चेहरा तय कर चुनाव नहीं लड़ा है इसका कांग्रेस को फायदा भी हुआ है. वर्ष 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से मुख्यमंत्री के लिए करीब 8 दावेदार थे तब अशोक गहलोत विधायक भी नहीं थे. लेकिन इन दिग्गज नेताओं को पछाड़कर गहलोत सीएम बने थे.
साल 1998 में पहली बार सीएम बने अशोक गहलोत,-
-कांग्रेस के दिग्गज नेता पंडित नवलकिशोर शर्मा, परसराम मदरेणा, कमला बेनीवाल, रामनिवास मिर्धा,चंदनमल वैध, खेतसिंह राठौड़, गुलाबसिंह शक्तावत सीएम पद के दावेदार थे.
-परसराम मदरेणा को जाट नेता के रूप में सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था कि क्योंकि ज्यादातर विधायक उनके पक्ष में थे.
- लेकिन तत्कालीन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गहलोत सीएम बने.
- अशोक गहलोत विधायक भी नहीं थे. बाद में मानसिंह देवड़ा को इस्तिफा दिलवाकर गहलोत चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे.
- माधवराव सिधिंया को गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता था और वे उस समय राजस्थान के प्रभारी थे, गहलोत को सीएम बनाने में सिधिंया की अहम भूमिका मानी जाती है.
- इस चुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोधी लहर दिखी और कांग्रेस ने 200 में से 153 सीट हासिल करने में कामयाब रही.
2003— मुख्यमंत्री रहते गहलोत के 5 साल के कार्यकाल के बाद 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली. कांग्रेस 200 में से केवल 56 सीट ही ला पायी, उसे 1998 में मिली 153 सीटों में से 97 सीटों का नुकसान हुआ.
- इस चुनाव में डॉ सी पी जोशी, अशोक गहलोत, दीवान माधोसिंह, डॉ चन्द्रभान, डॉ बी डी कल्ला, दुर्र मियां सहित कई नेता सीएम की दौड़ में थे,
- प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया.
- कांग्रेस ने भी सी पी जोशी के रूप में ब्राहम्ण नेता को आगे रखा.
- कांग्रेस को बहुमत मिला, लेकिन सीपी जोशी खुद 1 वोट से चुनाव हार गए.
- इसके बाद दूसरे नंबर के दावेदार अशोक गहलोत सीएम बने.
- इस चुनाव में कांग्रेस 200 में 96 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही, निर्दलियों और बसपा के विधायकों की मदद से कांग्रेस सत्ता में आयी.
2013 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 5 साल कार्यकाल के बाद हुए इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बेहद शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, कांग्रेस 200 में से मात्र 21 सीटों पर सिमट कर रह गयी.
- युवा चेहरे और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया.
- गुर्जर, मुस्लिम और मीणा को एकजूट करने में कांग्रेस कामयाब रही.
- कांग्रेस को राज्य में बहुमत मिला. एमपी और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को बहुमत मिला.
- एमपी और छत्तीसगढ़ में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीएम बने.
- राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष का पत्ता कट गया और फिर से अशोक गहलोत सीएम बने.
अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना तीसरा कार्यकाल पूर्ण करने जा रहे है. लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि अब तक दो बार गहलोत के मुख्यमंत्री कार्यकाल के बाद कांग्रेस राजस्थान में दुबारा सरकार नहीं बना पाई है. 2003 में जहां कांग्रेस 200 में 56 सीट ही जीत पायी थी वही 2013 में अब तक का सबसे कमजोर प्रदर्शन करते हुए 21 सीट पर ही जीत दर्ज करा पायी. ऐसे में 2023 का विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत के लिए तीसरा चुनाव होगा जब 5 साल के उनके नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार रहने के बाद चुनावी मैदान में जा रही है.
राजस्थान विधानसभा का यह चुनाव कांग्रेस के साथ साथ अशोक गहलोत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. क्योकि 2023 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वे अपने पर लगे इस टैग को हटाए कि राजस्थान में कांग्रेस जीतती है और अशोक गहलोत हारते है.
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