2023 में बीजेपी ने बिछाई ऐसी बिसात की चारों खाने चित हो गई अशोक गहलोत की रणनीति, पढ़ें पूरी कहानी
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2037244

2023 में बीजेपी ने बिछाई ऐसी बिसात की चारों खाने चित हो गई अशोक गहलोत की रणनीति, पढ़ें पूरी कहानी

नये साल के स्वागत को तैयार हैं और पुराने साल को कह रहे हैं अलविदा. वर्ष 2023 का आखिरी महीना कांग्रेस के लिए पीड़ा दायक रहा. साल के आखिर में देखते देखते कांग्रेस की पांच साल पुरानी कांग्रेस सरकार बदल गई और भाजपा की नई सरकार बन गई.

2023 में बीजेपी ने बिछाई ऐसी बिसात की चारों खाने चित हो गई अशोक गहलोत की रणनीति, पढ़ें पूरी कहानी

Rajasthan Politics 2023: नये साल के स्वागत को तैयार हैं और पुराने साल को कह रहे हैं अलविदा. वर्ष 2023 का आखिरी महीना कांग्रेस के लिए पीड़ा दायक रहा. साल के आखिर में देखते देखते कांग्रेस की पांच साल पुरानी कांग्रेस सरकार बदल गई और भाजपा की नई सरकार बन गई. एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी का रिवाज बदलने तथा कांग्रेस सत्ता में काबिज रहने को जनता के लिए गारंटियों के रूप में सौगातें लेकर आई, लेकिन इन सब पर पीएम नरेंद्र मोदी की गारंटी पर गारंटी भारी पड़ी. प्रदेश में कांग्रेस-भाजपा के इतर तीसरे मोर्चे के दलों ने दावे तो बड़े बड़े किए लेकिन धरातल पर सभी दावे धाराशायी हो गए. इधर तमाम गारंटियों के बावजूद जनता ने कांग्रेस का तख्ता पलट कर भाजपा को सत्ता सौंप दी. प्रदेश को पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा के रूप में नया मुख्यमंत्री तथा दो उपमुख्यमंत्री भी मिल गए, लेकिन कैबिनेट पर 25 दिन बाद भी संशय के बादल छाए हुए हैं.

वर्ष 2023 की शुरुआत से ही राजस्थान में विधानसभा के चुनाव के लिए भाजपा, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियों ने बिसात बिछाना शुरू कर दिया था. बीजेपी ने जिला और विधानसभा संयोजकों की कार्यशाला में 18 से 24 साल के पहली बार मतदान करने वाले नए वोटर्स को पार्टी से जाेड़ने की करवाद शुरू कर दी थी. वहीं कांग्रेस में कई जिलों में जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो पाई थी.

जन आक्रोश, हाथ से हाथ जोड़ो से चुनावी तैयारी

- भाजपा ने 10 जनवरी तक कांग्रेस सरकार के खिलाफ सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में जनाक्रोश यात्राएं निकाली. चौपाल और नुक्कड़ सभाएं 62 हजार 111 हुई, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग सवा दो करोड़ लोगों से संपर्क किया, 92 लाख आठ हजार से अधिक आरोप पत्र वितरित किए गए, 14 लाख 51 हजार जन समस्याएं एकत्रित हुई, पूरे प्रदेश में कुल रथयात्रा 1 लाख 15 हजार किलोमीटर चली.

- वहीं कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के संदेश और राज्य सरकार की जनहितकारी योजनाओं को बूथ स्तर तक ले जाने के लिए नया अभियान हाथ से हाथ जोड़ो शुरू किया. कांग्रेस ने इस अभियान में मंत्रियों, पदाधिकारियों और कांग्रेस नेताओं की परफॉर्मेंस के आधार पर ही विधानसभा चुनाव में टिकट देने की घोषणा की.

परिवर्तन के लिए या रिपीट के लिए ''यात्राओं'' की सवारी

राजस्थान के चुनावी रण में उतरने से पहले भाजपा ने प्रदेश में सत्ता बदलाव के लिए परिवर्तन यात्राएं निकाली . ,लेकिन किसी चेहरे को ना तो परिवर्तन यात्रा में आगे किया गया. ,और ना ही चुनावी अभियान में. ,पेपरलीक, कर्ज माफी सहित कई मुद्दों को लेकर प्रदेश के चारों प्रमुख जगहों से रवाना कर परिवर्तन यात्राएं 200 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरी. इनके समापन पर 25 सितम्बर को जयपुर में पीएम मोदी की सभा हुई.

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को मुद्दा बनाया. ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर कांग्रेस चुनावी यात्रा शुरू की. इस यात्रा की शुरुआत बारां से और समापन दौसा जिले में किया गया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस यात्रा की शुरुआत की तथा समापन पर प्रियंका गांधी राजस्थान पहुंची.

पीएम मोदी-कमल का फूल, गहलोत का चेहरा रखा आगे

चुनावी समर में उतरने से पहले राजनीतिक दलों में इस बार अनूठा प्रयोग किया गया. भाजपा ने पहली बार किसी व्यक्ति के चेहरे को आगे नहीं रखा. बीजेपी ने पूरा चुनाव कमल फूल का निशान और पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे रखा. ,इसका नतीजा यह रहा कि भाजपा में गुटबाजी उभर नहीं पाई और पूरे चुनाव पर केंद्रीय नेतृत्व की निगरानी रही.

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में भी चेहरा भले ही घोषित नहीं किया गया, लेकिन चुनावी अभियान में सिर्फ अशोक गहलोत का ही चेहरा छाया रहा.. गहलोत ने सरकार का चेहरा चमकाने के लिए डिजाइन बॉक्स का सहारा लिया...हालांकि इसको लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक सवाल उठाते रहे .. आखिर तक इस प्रकार का ही माहौल रहा.

चुनावी वार में पहली बाजी भाजपा ने मारी

चुनावी घोषणा के साथ ही टिकट को लेकर मशक्कत शुरू हो गई. कांग्रेस ने चुनाव से दो महीने पहले टिकट घोषित करने का दावा किया था, लेकिन भाजपा ने 40 की पहली सूची जारी कर बढ़त ले ली. पहली सूची में ही भाजपा ने सात सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया. ,हालांकि बाद में विरोध और बगावत के सुर को देखते हुए भाजपा ने किसी सांसदों को और टिकट देने का रिस्क नहीं उठाया. , उधर कांग्रेस में न केवल पहली सूची देर से आई बल्कि दूसरी सूचियां भी भाजपा के बाद आई. भाजपा ने कांग्रेस की तुलना में टिकटों में बदलाव किए जबकि कांग्रेस में पुराने चेहरों पर भरोसा किया. चुनावी नामांकन की आखिरी तारीख तक टिकट की सूचियां आती रही.

बगावत का जिन्न हुआ धराशायी

चुनावी महासमर में यूं तो भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं ने बगावती तेवर दिखाए. टिकट कटने पर भाजपा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल ने खुलकर पार्टी के खिलाफ आवाज उठाई. ,मेघवाल ने सीधे सीधे पार्टी के अध्यक्ष सीपी जोशी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल पर सीधा सीधा हमला बोला ,इनके अलावा भी कई पूर्व विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं बगावती तेवर दिखाए,नतीजा मेघवाल सहित विधायक तथा अन्य नेताओं कार्यकर्ताओं को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. कांग्रेस में भी बगावत के सुर उठे, कई नेताओं ने पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा. हालांकि कुछ बागी नेताओं ने चुनाव जीता, लेकिन ज्यादातर बागियों को हार का मुंह देखना पड़ा.

चुनाव समर में स्टार प्रचारकों की धूम, ज्यादा सभाओं पर जोर

राजस्थान में चुनावी महासमर में स्टार प्रचारकों की धूम रही. बीजेपी में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह से राजस्थान पर फोकस किया. ,मोदी ने 14 चुनाव जनसभाएं करने के साथ साथ साल 2023 में लगभग बीस जनसभाओं के जरिए राजस्थान के सभी क्षेत्रों में लोगों से रूबरू हुए. पीएम मोदी के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नीतिन गडकरी के साथ ही यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, असम के सीएम हिमंता बिश्वास सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री चुनावी रण में उतरे. उन्होंने राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में जनसभाएं, और रोड शो भी हुए.

वहीं कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी, प्रियंका वॉड्रा, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई नेताओं ने चुनावी सभाओं को सम्बोधित किया. अशोक गहलोत ने पूरे राजस्थान में घूम घूम कर चुनावी सभाओं के साथ गारंटी शिविरों को सम्बोधित किया. सभाओं में उमड़ी भीड़ को लेकर भी कयास लगाए गए कि किसकी सभा में ज्यादा भीड़ आई.
199 सीटों पर चुनाव, बरकरार रहा रिवाज और आखिर में राज गया. 

साल 2023 इसलिए भी याद रखा जाएगा कि प्रदेश में 199 सीटों पर चुनाव का रिवाज कायम रहा. श्रीकरणपुर में कांग्रेस प्रत्याशी की मौत के बाद 199 सीटों पर चुनाव हुए. इनमें एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी के सत्ता में आने का रिवाज जारी रहा. और राज बदलने के साथ साथ कांग्रेस का राज भी गया. , तो उधर, सत्ता की चाबी भाजपा के हाथ में आई. भाजपा को 115 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिला. ,जबकि कांग्रेस को 69 और अन्य के खाते में 15 सीटें गई. तीसरे मोर्चे ने शुरुआत में चुनावी धूमधड़ाका किया था, लेकिन आखिर में मायूस होना पड़ा. आरएलपी ने पिछली बार तीन सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार एक ही सीट पर सिमट गई. वहीं बसपा पिछले दो चुनावों में छह छह सीटें जीत रही थी, लेकिन इस बार तीन सीटें ही उसके खाते में आई. इनके अलावा भारत आदिवासी पार्टी ने पहली बार में तीन सीटें जीतकर चौंकाया. आम आदमी पार्टी तो राजस्थान में चुनावी खाता भी नहीं खोल सकी. यही हाल शिवसेना सहित अन्य पार्टियों का भी रहा.

सीएम पर चौंकाने वाला निर्णय, मंत्रियों पर 25 दिन में भी फैसला नहीं

विधायक दल के नेता के चयन में भाजपा ने चौकाने वाला निर्णय लिया. पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भजनलाल शर्मा के नाम का प्रस्ताव रखा. , जिसका सभी ने समर्थन किया. ,वहीं दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए गए, इसमें एक अलग ही सुगबुगाहट इस दौरान देखी गई. वहीं दूसरी ओर तीन दिसम्बर को मतदान में सत्ता का स्पष्ट बहुमत मिलने के 25 दिन बाद भी अर्थात 28 दिसम्बर तक बीजेपी मंत्रिमंडल गठित नहीं कर पाई. मंत्रिमंडल को विस्तार को लेकर लोगों में कौतूहल बना रहा.

Trending news