Rajasthan : अशोक गहलोत या वसुंधरा राजे के अलावा राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार कौन है. सचिन पायलटल हो या हनुमान बेनीवाल. इसके अलावा भी कई चेहरे दौड़ में है.
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Jaipur news : राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव है. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी और AIMIM भी राजस्थान में जमीन तलाश रही है. इधर कम्यूनिस्ट पार्टी भी जमीन मजबूत करने में जुटी है. अशोक गहलोत से लेकर वसुंधरा राजे, सचिन पायलट, हनुमान बेनीवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, सीपी जोशी, रामेश्वर डूडी, गोविंद सिंह डोटासरा, सतीश पूनिया जैसे दिग्गज नेताओं के लिए ये चुनाव बेहद अहम है. पिछले 25 सालों में वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री बनते आ रहे है.
जाहिर सी बात है अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे इस बार भी सीएम पद के प्रबल दावेदारों में से है. लेकिन उनके अलावा भी कई चेहरे सीएम पद की दौड़ में है. इन चेहरों में ज्यादातर चेहरे भाजपा और कांग्रेस के ही. जो प्रमुख पार्टियों के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, कम्यूनिस्ट पार्टी, एआईएमआईएम जैसी पार्टियां भी इश बार पूरा जोर लगाएगी. ऐसे में सीएम पद के भी कई दावेदार है.
वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के बाद जिन नामों की चर्चा होती है उसमें सबसे ज्यादा चर्चा सचिन पायलट की होती है. पायलट समर्थक कई बार ताकत भी दिखा चुके है. कहा जाता है कि 2020 का सियासी घटनाक्रम भी पायलट के सीएम पद को लेकर ही था. पायलट समर्थक अक्सर उनको सीएम बनाने की मांग भी करते है. 2018 चुनावों के बाद कई बार ये मांग खुद पायलट भी आलाकमान के सामने उठा चुके है.
जोधपुर से सांसद और मोदी सरकार में जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में गिने जाते है. जब राज्य में वसुंधरा राजे सरकार थी. तब भी शेखावत को राजे के विकल्प के तौर पर देखा जाता था. हालांकि पिछले कुछ दिनों में संजीवनी मामले में जिस तरह से उनका नाम सामने आया है. सियासी आरोप प्रत्यारोप चले है. उससे उनकी प्रभावशीलता को धक्का भी लगा है.
नागौर सांसद और RLP सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल को उनके सपोर्टर लगातार सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे है. बेनीवाल खुद भी प्रदेश में जाट मुख्यमंत्री की बात कई बार कर चुके है.
राजस्थान कांग्रेस के सीनियर नेताओं में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की भी दावेदारों की लिस्ट में गिनती होती है. राजस्थान चुनाव 2018 में भी वो मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे. हालांकि वो अपनी ही सीट नाथद्वारा से चुनाव हार गए थे. उसके बाद 2009 में सांसद बने और यूपीए सरकार में मंत्री बने. कई राज्यों में कांग्रेस संगठन प्रभारी की भूमिका भी निभाई. 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद राजस्थान में उनको सम्मानजनक पद दिया गया.
बीडी कल्ला की पहचान कांग्रेस में बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर है. अशोक गहलोत के अलावा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अगर सीपी जोशी को छोड़ दिया जाए तो बीडी कल्ला प्रमुख दावेदारों में है. अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल में भी बीडी कल्ला को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चाएं हुई थी. हालांकि आलाकमान ने उन चर्चाओं को दरकिनार करते हुए गहलोत पर ही भरोसा जताया था.
बीकानेर के नोखा से पूर्व विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी अपने इलाके में काफी प्रभावी है. हाल ही में जाट महाकुंभ में उन्होनें जाट मुख्यमंत्री का मुद्दा भी उठाया था. डूडी वो नेता है जो 2013 की मोदी लहर के बीच भी 32 हजार के करीब वोटों से चुनाव जीते थे. आलाकमान के भी पसंदीदा चेहरों में से एक है. पार्टी के कद्दावर जाट नेताओं में गिनती होती है.
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इधर बीजेपी ये स्पष्ट कर चुकी है कि वो राजस्थान चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री का फैसला लेगी. पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी. इधर कांग्रेस में फिलहाल अशोक गहलोत ही चुनाव तक मुख्यमंत्री रहने तय है. महंगाई राहत कैंपों और तमाम योजनाओं के सहारे कांग्रेस की सत्ता में वापसी होती है. तब भी अशोक गहलोत का दावा ही मजबूत रहेगा.