क्या गहलोत करेंगे सपना पूरा? 20 सालों से नागौर से अलग होकर यह इलाका बनना चाहता है अलग जिला
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क्या गहलोत करेंगे सपना पूरा? 20 सालों से नागौर से अलग होकर यह इलाका बनना चाहता है अलग जिला

प्रदेश में नए जिले बनाने की मांग को लेकर एक बार फिर से सियासत तेज होने लगी है.

क्या गहलोत करेंगे सपना पूरा? 20 सालों से नागौर से अलग होकर यह इलाका बनना चाहता है अलग जिला

Nagaur News : प्रदेश में नए जिले बनाने की मांग को लेकर एक बार फिर से सियासत तेज होने लगी है. जिसको लेकर जिले की मांग करने वाले क्षेत्रों के राजनेता अब जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते दिख रहे हैं वैसे वैसे ही अब इस मुद्दे को लेकर मुखर होते नजर आ रहे हैं यहां तक की सत्ता पक्ष के नेता भी तीखी बयानबाजी इस मामले को लेकर करने लगे हैं.

प्रदेश सरकार द्वारा नए जिलों के गठन को लेकर बनाई गई रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट आने में अभी तकरीबन 2 महीने का समय बचा हुआ है लेकिन इससे पहले ही जिले बनाने की सियासत का रंग प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में देखा जा सकता है. दरअसल प्रदेश में प्रतापगढ़ के बाद किसी नए जिले का गठन नहीं हुआ जबकि कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनको जिला बनाने की मांग कई दशकों से लंबित है. कई क्षेत्र तो ऐसे भी हैं जहां जिला बनाने का मुद्दा पिछले कई चुनावों से राजनेता अपने मेनिफेस्टो में रखते आए हैं और इस मुद्दे पर जनता के वोट भी बटोरे हैं लेकिन अब जनता के साथ साथ नेताओं के सब्र भी जवाब देने लगा है. प्रदेश में 6 नए जिले गठन करने की चर्चाएं गर्म हैं लेकिन सरकार भी इस मुद्दे पर निर्णय लेने से पहले कई सियासी समीकरण टटोलना चाहती है.

प्रदेश सरकार ने पिछली सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी को किनारे करते हुए नई कमेटी का गठन किया था. अब सरकार द्वारा गठित इस कमेटी की रिपोर्ट फाइनल स्टेज पर है लेकिन सरकार अपने राजनीतिक नफे नुकसान का भी आंकलन कर रही है, क्योंकि कई क्षेत्र ऐसे भी है जहां एक से अधिक स्थानों से जिला बनाने की मांग है और जिन क्षेत्रों को जिला नहीं बनाया जाता है वहां स्वाभाविक तौर पर राजनेतिक विरोध के साथ साथ जन आंदोलन की भी प्रबल आशंका है इसके चलते पिछले लंबे समय से सरकारें इस मुद्दे को कमेटियां बनाकर ठंडे बस्ते में डाल देती है. अब चूंकि चुनाव में मात्र एक साल ही बचा है ऐसे में अगर सरकार नए जिलों की घोषणा करती है तो जो नए जिले बनते हैं उन क्षेत्रों में तो सरकार को फायदा हो सकता है लेकिन वंचित क्षेत्रों में जनाधार खिसकने का डर भी सरकार को सता रहा है. जिले बनाने की दौड़ में डीडवाना को जिला बनाने की मांग भी पिछले 4 दशक से की जा रही है. जिसको लेकर कई बड़े आंदोलन भी हो चुके हैं और गत 4 विधानसभा चुनावों में तो यह मुख्य मुद्दा रहा है लेकिन हर बार आमजन को केवल दिलासा ही मिली लेकिन जिले की सौगात आज भी अधूरी है. इस बार जिस तरह से जिले बनाने की रिपोर्ट्स सामने आ रही है उससे डीडवाना क्षेत्र की जनता आश्वस्त दिख रही है कि सरकार इस बार सरकार डीडवाना क्षेत्र के लोगों को जिले की सौगात जरूर देगी.

क्या है मांग की पीछे की वजह
दरअसल नागौर जिला क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत बड़ा जिला है और वर्तमान में यहां 12 उपखंड मुख्यालय हैं जबकि 16 तहसीलें हैं जनसंख्या की दृष्टि से भी नागौर जिला बहुत बड़ा जिला है सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां की जनसंख्या 37 लाख से ज्यादा है. नागौर बड़ा जिला होने की वजह से इसे दो भागों में बांटने की मांग लंबे समय से उठ रही है. जिसमें डीडवाना और कुचामन दो बड़े दावेदार हैं. कुचामन एक बड़ा कस्बा है लेकिन गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल तक यह मात्र उपतहसील ही था जिसे गहलोत सरकार ने तहसील बनाया था लेकिन गहलोत सरकार के इस कार्यकाल में कुचामन पर सरकार खूब मेहरबान रही और कुचामन को अतिरिक्त जिला कलक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय की सौगात दी. जिसके चलते अब कुचामन के लोगों की भी आस बढ़ी है.  

डीडवाना की अगर बात की जाए तो डीडवाना से सबसे पहले जिला बनाने की मांग 90 के दशक में उठी थी. 1998 में भैरोसिंह सरकार के वक्त हरिशंकर भाभड़ा के वित्त मंत्री रहते हुए लोगों को यह विश्वास हो गया था कि डीडवाना जिला बन जायेगा. जानकारों की माने तो उस वक्त भाभड़ा विधायक तो रतनगढ़ से थे लेकिन जन्मभूमि डीडवाना से उनका मोह था. इसीलिए डीडवाना को जिला बनाने की मांग को पूरा करने के लिए उस वक्त उन्होंने पूरा प्रयास किया.  तात्कालिक कलेक्टर से कोई सूचना लीक हो जाने की वजह से उस वक्त डीडवाना को जिला नहीं बनाया जा सका. और आज भी डीडवाना उस घोषणा की आस लेकर बैठा है. 

यहां वर्तमान में कलेक्टर और एसपी को छोड़कर जिला स्तर के सभी कार्यालय पूर्व में ही मौजूद हैं. आज़ादी से पूर्व डीडवाना एक अकेला खालसा परगना था जिसपर हुकूमत सीधे दिल्ली से होती थी. रियासत काल मे जोधपुर रियासत में न्यायपालिका के लिहाज से जोधपुर के बाद केवल डीडवाना में ही कचहरी थी.  यहां के नमक झील का इतना महत्व था कि अंग्रेज सरकार ने यहां पर नमक सुप्रिण्डेन्ट बिठाया जो पूरे प्रदेश से नमक पर कर वसूलता था. यहां वर्तमान में जिला स्तर के कई कार्यालय पहले से मौजूद हैं जिनमें जिला परिवहन अधिकारी, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी, जिला अस्पताल, रोडवेज डिपो, सार्वजनिक निर्माण विभाग का अधीक्षण अभियंता कार्यालय, नहरी विभाग का अधीक्षण अभियंता कार्यालय, के साथ अतिरिक्त जिला कलक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, न्यायिक रूप से एडीजे कोर्ट, सब जेल, जिले का सबसे बड़ा और सबसे पुराना राजकीय बांगड़ कॉलेज शिक्षा की दृष्टि से सहित विभिन्न सरकारी कार्यालय दशकों से मौजूद हैं.

यही वजह है कि जिले की दौड़ में डीडवाना की दावेदारी बहुत बड़ी मानी जाती रही है और गत सरकारी द्वारा गठित सभी कमेटियों के साथ साथ राजस्व विभाग द्वारा भी डीडवाना को जिला बनाने की स्वीकृति दी जा चुकी है. जानकारी के अनुसार डीडवाना को पिछली सरकार में भी जिला बनाने की तैयारियां सरकारी स्तर पर पूरी कर ली गई थी लेकिन राजनेतिक विरोध के चलते इस समय भी इस घोषणा को टाल दिया गया था. लेकिन अब जिस प्रकार से सरकार ने सक्रियता दिखाई है उसकी वजह से आमजन की आस एक बार फिर जगी है की सरकार चुनावी वर्ष में डीडवाना सहित कई अन्य क्षेत्रों को जिले की सौगात दे सकती है.

Reporter- Hanuman Tanwar

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