आंदोलन की राह पर फिर टिकैत! नागौर में नहीं जुटी भीड़, कुर्सियां रही खाली
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आंदोलन की राह पर फिर टिकैत! नागौर में नहीं जुटी भीड़, कुर्सियां रही खाली

नागौर के मेड़ता में आज भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत किसानों को जागरूक करने पहुंचे. जहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर से किसान आंदोलन का आगाज राजस्थान से करने के संकेत दिए.

आंदोलन की राह पर फिर टिकैत! नागौर में नहीं जुटी भीड़, कुर्सियां रही खाली

Nagaur, Merta: नागौर के मेड़ता में आज भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत किसानों को जागरूक करने पहुंचे. जहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर से किसान आंदोलन का आगाज राजस्थान से करने के संकेत दिए. इस महापंचायत में आशा अनुरूप किसानों के नहीं पहुंचने पर किसान यूनियनों के एक मंच पर एक साथ आने पर सवाल खड़ा हो गया है.

किसानों को एमएसपी दर से फसलों के भुगतान के लिए एमएसपी कानून बनाने और लागू करने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन की राह पर चल रहे है. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अपने चार दिवसीय राजस्थान दौरे के दौरान मेड़ता पहुंचे. जहां कृषि मंडी परिसर में किसान महापंचायत को संबंधित करते हुए. केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तानाशाही रवैये से अपनी मनमानी कर कृषि मंडियों का निजीकरण करने पर आमादा है.

किसान केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बार फिर से लामबंद होकर आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर हो गया है. केंद्र सरकार की ओर से पूर्व में किए गए वादे नहीं निभाने से जहां एक ओर किसान वर्ग फसलों के उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान है. तो वहीं दूसरी ओर युवा वर्ग बेरोजगारी के चलते सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गया है. किसानों को आंदोलन के मुद्दे बताकर किसान आंदोलन के लिए जागरूक करने आए राकेश टिकैत के साथ प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील महासचिव युद्धवीर सिंह सहित कई किसान नेताओं ने महापंचायत को संबोधित किया.

मेड़ता कृषि मंडी में आयोजित किसान महापंचायत में आयोजन कमेटी द्वारा राकेश टिकैत को सुनने के लिए 10000 किसानों के पहुंचने का अनुमान लगाया गया था. मगर इस महापंचायत में महज दो से ढाई हजार किसान ही पहुंच पाए जिसके चलते पंडाल में लगाई गई कई कुर्सियां खाली रही. किसान आंदोलन की राह पर चल रहे राकेश टिकैत ने मीडिया से रूबरू होते हुए यह संकेत दिया कि इस किसान आंदोलन का आगाज राजस्थान की धरती से किया जाएगा. उन्होंने माना कि नागौर जिले की धरती त्याग और बलिदान की धरती है.

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