गूंज उठे भारत माँ की जयजयकार" के संकल्प के साथ संघ शिक्षा वर्ग का समापन
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गूंज उठे भारत माँ की जयजयकार" के संकल्प के साथ संघ शिक्षा वर्ग का समापन

नागौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का समापन शारदा बाल निकेतन के खेल मैदान में हुआ, जिसमें बीस दिनों से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहें स्वयंसेवकों कि ओर से शारीरिक प्रदर्शन भी किया गया.

 ध्वज  की परिक्रमा करते स्वयंसेवक

Nagaur: नागौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का समापन शारदा बाल निकेतन के खेल मैदान में हुआ, जिसमें बीस दिनों से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहें स्वयंसेवकों कि ओर से शारीरिक प्रदर्शन भी किया गया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजस्थान क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य हनुमान सिंह ने स्वयंसेवकों व उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि त्रस्त मानवता को अनादि काल से दिशा देने का कार्य भारत ने किया है, प्रत्येक राष्ट्र का एक ईश्वर प्रदत्त कार्य होता है ,भारत को धर्म में ही जीना है व संसार को धर्म ही देना है. धर्म एक ही है सनातन धर्म बाकी सभी पूजा पद्धतियां व उपासना हेतु पंथ हैं, हिन्दू मतांतरण नहीं करता है केवल मत परिवर्तन करता है. 

भारत सभी सुखी हों का एकमात्र दर्शन ही नहीं देता है बल्कि समाजिक जीवन में उसका व्यावहारिक पालन भी करता है. ऋषियों व मनीषियों ने कहा हैं कि संसार में जो कुछ भी है वह ईश्वर का ही स्वरूप है, आज तक संसार में जो भी युद्ध हुए हैं वे एकांतिक भाव से ही हुए है यही जिहादी मानसिकता है. हिन्दू दर्शन के अनुसार व्यक्ति की प्रवृत्ति,आचरण,व्यवहार अलग अलग होता है अतः अपने अनुकूल मार्ग को अपनाकर ईश्वर की उपासना करना भारत की विशेषता है. हमने अपनी शक्ति से जो अर्जित किया है उसका विसर्जन करें अर्थात सैकड़ों हाथों से कमाओ व हजार हाथों से जरुरतमंद लोगों को प्रदान करो, कंकर कंकर में शंकर का दर्शन करने वाला हिन्दू दर्शन है लेकिन संसार में आसुरी प्रवृत्ति के लोग भी हैं. विज्ञान के सारे आविष्कार हमारे पास हैं, हम सबसे बलवान हैं, ऐसी विचारधारा वाले विकसित देश तथा अपने ही मत को श्रेष्ठ व अन्य मत का दमन करने की तुच्छ मानसिकता आज भी विश्व में व्याप्त है. छोटे छोटे संकीर्ण समाज बनाकर विशाल हिंदुत्व भाव को भूलाना ही हमारे संकट का मूल कारण है.

अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य पीठ रामधाम रेण श्री सज्जन राम महाराज ने हिन्दू राष्ट्र की एकता व अखंडता को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का आशीर्वचन दिया. मुख्य अतिथि चंपालाल सुथार ने अपने उद्बोधन में कहा कि संघ के स्वयंसेवक बोलते कम और कार्य ज्यादा करते हैं, उन्होंने जन समूह से आव्हान किया कि मानव निर्माण के इस विश्वविद्यालय में आप भी स्वयंसेवक बनें ताकि भारत को विश्वगुरु बनाने का स्वप्न शीघ्र साकार हो. इससे पूर्व महाराज श्री व मुख्य अतिथि व मंचस्थ अधिकारियों के आगमन पर घोष वादन में रचना मीरां के सुमधुर वादन के साथ स्वागत अभिनंदन किया गया.

घोष वादकों द्वारा ध्वजारोपणम रचना के वादन के साथ संघ के गुरु प्रतीक परम पवित्र भगवा ध्वज का आरोहण किया गया,संघ की नित्य बोले जाने वाली संस्कृतनिष्ठ प्रार्थना का समवेत स्वर में गान किया गया. शारीरिक कार्यक्रम का शुभारंभ घोष वादन के साथ प्रदक्षिणा संचलन के साथ किया गया जिसमें प्रशिक्षणार्थी स्वयंसेवकों ने ध्वज की परिक्रमा की, उसके पश्चात बिना अस्त्र शस्त्र के युद्धकला नियुद्ध का प्रदर्शन किया गया, इसके ठीक बाद घोष वादन के साथ स्वराज 75 की रचना का निर्माण किया गया जिसमें घोष वादकों ने झांझ,त्रिकोण, बंशी,शंख,आणक, प्रणव आदि वाद्यों का सुमधुर वादन किया. उसके पश्चात आसन,दंड व दंडयुद्ध का शारीरिक प्रदर्शन किया गया जिसको देखकर उपस्थित जन समूह में उत्साह का संचार हुआ. स्वयंसेवकों कि ओर से पद विन्यास व यष्टि कार्यक्रम का भी सुंदर प्रदर्शन किया गया.

बीस दिवसीय इस संघ शिक्षा वर्ग में सीखे गए सामूहिक समता दंडयोग व व्यायामयोग का भी प्रत्यक्षीकरण किया गया . इसके बाद स्वयंसेवकों द्वारा "परम वैभवी भारत होगा, संघ शक्ति का हो विस्तार,गूंज उठे भारत माँ की जय जयकर" शीर्षक गीत का समवेत स्वर में गान किया. इस वर्ग में विद्यार्थी वर्ग के वर्गाधिकारी डॉ.अन्नाराम ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, उन्होंने बताया कि राजस्थान के 10 प्रशासनिक जिले जो संघ की योजनानुसार 21 जिलों में वर्गीकृत हैं के 775 स्वयंसेवकों ने इस वर्ग में प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके साथ ही शिक्षक व प्रबंधक सहित कुल एक हजार स्वयंसेवकों की सहभागिता रही. व्यवसायी वर्ग के वर्गाधिकारी डॉ. गोविंद सहाय शुक्ला द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया. 

Reporter - Hanuman Tanwar

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