नागौर न्यूज: पूरी दुनिया में आज विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जा रहा है.संचार प्रौद्योगिकी के आगमन ने संचार माध्यमों का स्वरूप बदल दिया है.इंटरनेट की प्रगति से विभिन्न क्षेत्रों के कार्य सरल हुए हैं.
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Deedwana, Nagaur: आज 17 मई को पूरी दुनिया में विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जा रहा है. संचार के क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में तेजी से बदलाव हुआ है. जिसने लोगों के जीवन पर गहरा असर डाला है. वहीं संचार प्रौद्योगिकी के आगमन ने दूरसंचार माध्यमों का स्वरूप ही बदल दिया है. सूचना क्रांति ने संपूर्ण विश्व को समेटकर एक "वैश्विक गांव" में बदल दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप विश्व के अनेक देशों के बीच की भौगोलिक दूरियां महत्वहीन हो गई है. इंटरनेट, सोशल मीडिया और मोबाइल के इस युग के बावजूद जहां आज भी टेलीफोन की महत्ता बरकरार है. वहीं चिट्ठी-पत्रियों का चलन जारी है.
संचार के इस युग में दूरसंचार माध्यमों का हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण स्थान है कि कोई भी मनुष्य संचार के बिना सामाजिक प्राणी तक नहीं कहलाता. संचार ही वह प्रक्रिया है, जो समूह और समाज को उत्पन्न करती है. संचार के द्वारा ही संस्कृति का हस्तांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को किया जाता है. वर्तमान समय में संचार माध्यमों के विकास व प्रसार के फलस्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी व सूचना क्रांति की अवधारणाओं ने दुनिया को नया स्वरूप प्रदान किया है. इस आधुनिक संचार को दूरसंचार (telecommunication) की संज्ञा दी जाती है, जिसमें रडार, कम्प्यूटर, इंटरनेट, फैक्स, ई-मेल, फाइबर ऑप्टिकल केबल, इनमारसेट पेजर, मोबाइल फोन, वीडियो कान्फ्रेसिंग सेवा, हाइब्रिड डाक सेवा, टेली मेडीसिन इत्यादि को सम्मिलित किया गया है.
सबसे महत्वपूर्ण टेलीफोन का आविष्कार
सूचना प्रौद्योगिकी ने दैनिक कार्य प्रणाली जैसे उद्योग, शिक्षा, विज्ञान, कृषि, वित्तीय प्रणाली एवं चिकित्सा व स्वास्थ्य इत्यादि क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं. इसके साथ ही हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक मूल्यों में भी परिवर्तन देखे जा सकते हैं. इन्ही क्रांतिकारी परिवर्तन में सबसे महत्वपूर्ण टेलीफोन का आविष्कार था, जिसने दुनिया में दूरसंचार की अवधारणा को ही बदल दिया. टेलीफोन का आविष्कार संचार के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ. कुछ ही सालों में टेलीफोन के तार एक शहर से दूसरे शहर में फैलते चले गए, जिससे दुनिया के किसी भी कोने में बैठा हुआ व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से टेलीफोन द्वारा बात कर सकता था.
बाद में टेलीफोन का ही नया स्वरूप मोबाइल के रूप में आया, जिसने सूचना क्रांति में चमत्कारी बदलाव किए. अब तो मोबाइल में ही नई तकनीकी और इंटरनेट का समावेश होने से संपूर्ण वैश्विक गांव को मोबाइल में समेटकर रख दिया है. आज मोबाइल में ही इंटरनेट सेवाएं दी जा रही है. विश्वव्यापी इंटरनेट नेटवर्क ने ना सिर्फ सूचनाओं के आदान-प्रदान को आसान बनाया, बल्कि यातायात, वाणिज्य, व्यवसाय, बैंकिंग, शिक्षा, सुरक्षा, चुनाव, अग्रिम आरक्षण जैसी कई गतिविधियों को आसान, सुरक्षित और तेज बना दिया है. इसका लाभ सामान्य व्यक्ति भी उठा रहे हैं.
दूरसंचार माध्यमों में तेजी से तरक्की होने से यह दौर मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया का युग कहलाता है, लेकिन इस दौर में भी चिट्ठी पत्रियों की महत्ता बरकरार है. आपको बता दें कि भारत में डाक सेवाओं की शुरूआत 1837 में की गई थी. तब से लेकर आज तक डाक विभाग घर- घर चिट्ठियां पहुंचाने का काम कर रहा है. इन डाक सेवाओं में सालों से होते जा रहे विस्तार का ही परिणाम है कि आज दुनिया की सबसे बड़ी डाक सेवा व्यवस्था भारत में मौजूद है.
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में 23, 344 पोस्ट ऑफिस काम कर रहे थे जो अब बढ़कर 1,56,721 हो गए हैं और इनमें से 1 लाख 39 हजार केवल गांवों में हैं. एक डाकघर औसतन 21 वर्ग मील क्षेत्र में रहने वाले साढ़े छह हजार से अधिक लोगों के बीच डाक का वितरण करता है. भारत में डाक सेवाओं के कई रूप शामिल हैं . इनमें त्वरित गति से जाने वाली स्पीड पोस्ट सेवा, पंजीकृत डाक सेवा, मनी- आर्डर, पार्सल, बुक पोस्ट आदि शामिल हैं.
दुर्गम इलाकों में आज भी इंटरनेट और मोबाइल जैसी सुविधाएं नहीं पहुंची
डाक सेवाओं के विस्तार का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि डाक विभाग के पास डाक कर्मियों का सबसे मजबूत नेटवर्क है, जो उन पहाड़ों, तटीय इलाकों और सीमा क्षेत्रों जैसे दुर्गम इलाकों में भी चिट्ठियां और पत्र-पत्रिकाएं पहुंचाने का काम करते हैं, जहां आज भी इंटरनेट और मोबाइल जैसी सुविधाएं नहीं पहुंची है. आज डाक विभाग सरकारी कार्यालयों के समस्त प्रकार के पत्र गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के साथ ही पार्सल, बैंकिंग, बीमा जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रहा है.
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