नवरात्र के अंतिम दिन भी चमत्कारी कैवाय माता मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का तांता
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नवरात्र के अंतिम दिन भी चमत्कारी कैवाय माता मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का तांता

चमत्कारी कैवाय माता मंदिर में भक्तों का भारी हुजूम देखने को मिला. आपको बता दें कि नागौर जिले के किनसरिया में हजारों फीट उंची पहाड़ी पर करीब ढाई किलोमीटर दूरी तक बनी 1100 से ज्यादा  सीढ़ियां चढ़कर भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. 

उमड़ा श्रद्धालुओं का तांता

Parbatsar: आज नवरात्र का अंतिम दिन है और आज भी नागौर जिले के किनसरिया के चमत्कारी कैवाय माता मंदिर में भक्तों का भारी हुजूम देखने को मिला. आपको बता दें कि नागौर जिले के किनसरिया में हजारों फीट उंची पहाड़ी पर करीब ढाई किलोमीटर दूरी तक बनी 1100 से ज्यादा  सीढ़ियां चढ़कर भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ऊंची चोटी पर स्थित केवाय माता का मंदिर युगों-युगों से भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते रहा है, जो भी भक्त हृदय से माता के दर्शन की आकांशा रखता है, उसे मां पहाड़ी पर चढ़ने का संबल प्रदान कर दर्शन देती है. 

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साथ ही मंदिर में बरसो से पूजा कर रहे पूजारी गिरधारी महाराज के मुताबिक  इस स्थान पर चौहान वंश के शासकों ने यहां कैवाय माता की प्रतिमा स्थापित की. बाद में दहिया वंश के राणा चच्चदेव दहिया ने सन 999 में यहां भव्य मंदिर बनाया था. 1712 ई. में जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह द्धारा माँ भवानी की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई, जो कैवाय माता के वाम पार्श्व में स्थित है.

माता के मंदिर मे बुजूर्ग श्रृद्धालुओं को पहुंचाने के लिए विशेष इंतेजाम भी मौजूद हैं. वंही जल्द ही मंदिर प्रशासन की ओर से इलेक्ट्रॉनिक तकनीक से लैस ट्रोली सुविधा भी शुरू की जा रही है, जिससे भक्तों के माता के मंदिर तक पहुंचने मे कोई परेशानी ना आऐ. किनसरिया के आस-पास बसे गांवों के लोग और केवाय माता को अपनी कुलदेवी के रूप में स्वीकार करने वाले विशेष मांगलिक अवसरों और उत्सवों में शक्ति और भक्ति की देवी केवाय माता की पूजा-अर्चना के प्रतिफलस्वरूप प्रसाद और  भेंट चढ़ाते हैं. 

साथ ही इलाके में किसी भी वर्ग मे शादी होने के बाद सबसे पहले  दूल्हा-दुल्हन माता के दरबार में  हाजिरी लगाते हैं. वंही पुत्र प्रप्ति के बाद मुंडन संस्कार के लिए भी माता के मंदिर में जाते हैं. कैवाय माता अपने चमत्कारो के लिए भी मशहूर हैं. कहा जाता है कि जो यंहा मुराद लेकर आता है वो कभी खाली हाथ नहीं जाता है. सबकी मन्नत माता पूरी करती हैं. मंदिर में साल 2011 से अब तक करीब 2 करोड़ की लागत से मंदिर का जीणोद्धार किया गया है, अगले बरस में करीब 2-3 करोड़ रुपए खर्च होंगे, तब यह भव्य स्वरूप में नजर आएगा. 

Reporter: Damodar Inaniya

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