डेगाना: जैन मंदिर में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आचार्य महाश्रमण ने की प्रवचन सभा आयोजित
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डेगाना: जैन मंदिर में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आचार्य महाश्रमण ने की प्रवचन सभा आयोजित

Degana News: डेगाना के जैन मंदिर में युगप्रधान आचार्य महाश्रमण ने सोमवार रात्रि कों भव्य प्रवचन दिए.प्रवचन में आचार्य ने कर्मों के बंधन से मुक्ति पाने के बारे में बताया.

डेगाना: जैन मंदिर में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आचार्य महाश्रमण ने की प्रवचन सभा आयोजित

Degana, Nagaur News: नागौर जिले के डेगाना उपखंड के जैन मंदिर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्य महाश्रमण ने सोमवार रात्रि कों भव्य प्रवचन दिए. इस दौरान संतों के स्वागत में डेगानावासियों का सैलाब सड़कों पर उमड़ा. साथ ही शहर की सड़कों और गलियों में श्रद्धा, आस्था और उत्साह का पारावार दिखाई दिया. इस मोके पर यहां आयोजित प्रवचन में आचार्य श्री ने कर्मों के बंधन से मुक्ति पाने के बारे में बताया. 

यहां आयोजित प्रवचन में आचार्य ने कर्मों के बंधन से मुक्ति पाने के बारे में बताया. गुरुदेव ने अमृत देशना में कहा-जिस प्रकार मक्खी श्लेष्म में चिपक जाती है, वैसे ही आत्मा भी कर्मों से चिपक जाती है. तीन शब्द है भोग, रोग व योग, तीनों ही जीवन में चलते है. हमारे पास ज्ञानेन्द्रियां व भोगेंद्रियां दोनों होती हैं. सुनकर व देखकर भी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, इसके लिए श्रोत व चक्षु इंद्रियों की विशेष भूमिका होती है. 

ये दोनों इंद्रियां ज्ञान प्राप्त करने की प्रमुख साधन है, हम कोई बात सुन लेते हैं और सुनने के बाद साक्षात देख लेते हैं, तो वह बात और ज्यादा पुष्ट हो जाती है. घ्राण,रसन और स्पर्श इंद्रियों से भी हमें संबंधित विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है. दुनिया में इंद्रियों के माध्यम से भोग और योग दोनों चलते हैं, लेकिन भोग के साथ योग का क्रम चलता है या नहीं यह ध्यान देना चाहिए.

साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभाजी ने कहा कि योग अध्यात्म जगत का शब्द है. योग के दो अर्थ-एक शरीर, वाणी और मन की प्रवृति और दूसरा बंधन मुक्ति यानि मोक्ष प्राप्ति का उपाय. योग कर्मों से मुक्ति का उपाय है और भोग बंधन है, हमारे मर्यादा पत्र में आता है, त्याग धर्म है, भोग अधर्म है, व्रत धर्म है, अव्रत अधर्म है. राग के समान कोई दूसरा दुख नहीं और त्याग के समान कोई दूसरा सुख नहीं. भोग संसार में भ्रमण के लिए और योग भ्रमण मुक्ति का मार्ग है. हमें भोग से योग की ओर प्रस्थान करना है, हम मुक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करें. 

पूर्व मंत्री अजयसिंह ने कहा की इस भौतिकवाद के युग में भी जैन संतों के द्वारा की जाने वाली कठोर तपस्या ओर त्याग से मानव मात्र को प्ररेणा देती है. इससे नई पीढ़ी को सत्य के मार्ग पर चलकर जीवन को प्रकाशमान करने का संदेश मिलता है. इस अवसर पर पूर्व मंत्री अजयसिंह किलक, चयरमेन मदनलाल अटवाल, पूर्व अध्यक्ष राधाकिशन बिन्दा,मोडूराम कूंकणा, पूर्व प्रधान रामपाल महिया, द्वारका प्रसाद हैडा, बेनिगोपाल शर्मा, बिरदीचंद तोषनीवाल, पूर्व पार्षद सीताराम बिन्दा, मोतीराम मुरावतिया, औमप्रकाश टेलर, उपाध्यक्ष हारून रसीद, गिरधारी मुंडेल, हरिश जोगड, विमल कोठारी, विनोद, प्रवीण चोरडिया, विमल सुराणा, मनीष भंडारी, रिखब, संदीप, आशिष, महावीर जोगड़, ताराचंद कोठारी, सुभाष , प्रकाश सुराणा, अशौक भंडारी, महिला मंडल की सुमित्रा सुराणा, शीतल चोरडिया, सुनीता कोठारी, सोनल, प्रभा, अनीता,संगीता सहित अनेक श्रद्धालुओं उपस्थित रहे.

Reporter- Damodar Inaniya

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