बदले मौसम के बीच बढ़ रही बीमारियों को लेकर डॉक्टर खास सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं. नगर के दाधीच चिकित्सालय के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अनिल दाधीच ने बताया कि अस्थमा के मरीजों को सीधे पंखे के नीचे नहीं सोना चाहिए.
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Pipalda: गत दिनों बेमौसम तेज बारिश के बाद खिली तल्ख धूप अब बीमारों को खूब सता रही है. खास तौर से अस्थमा एवं एलर्जी से पीड़ित मरीज बदले मौसम के बीच खासे परेशान हो रहे हैं. मौसम में बदलाव और प्रदूषण से अस्थमा रोगियों की सांसें फूल रही हैं. वहीं सर्दी-जुकाम के बीच एलर्जी लोगों की आंखें लाल कर रही है. इन दिनों ऐसे मरीजों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. नगर के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में में इन दिनों ओपीडी 800 से ऊपर चल रही है.
इसमें दमा एवं एलर्जी रोगियों की संख्या खूब है. कुल ओपीडी के करीब 15 से 20 प्रतिशत अस्थमा-एलर्जी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. ऐसे में चिकित्सक दवाओं के साथ सावधानी बरतने की हिदायत भी दे रहे हैं. चिकित्सकों का कहना है कि भले ही यह जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन इसके उपचार में लापरवाही महंगी पड़ सकती है. चिकित्सालय के डॉ. मोहम्मद परवेज खान ने बताया कि मौसम में बदलाव के बीच वायरल के मरीज खूब आ रहे हैं. कुल ओपीडी में 40 प्रतिशत तक वायरल के मरीज हैं, जो जुकाम, खांसी एवं बुखार आदि की शिकायत लेकर पहुंच रहे है.
सर्द मौसम से करें बचाव
बदले मौसम के बीच बढ़ रही बीमारियों को लेकर डॉक्टर खास सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं. नगर के दाधीच चिकित्सालय के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अनिल दाधीच ने बताया कि अस्थमा के मरीजों को सीधे पंखे के नीचे नहीं सोना चाहिए. खास तौर से सुबह के समय पंखे से परहेज रखें. सुबह कूलर-पंखे की हवा ऐसे मरीजों को खूब नुकसारन पहुंचाती है. इससे बीमारी उभरने की आशंका ज्यादा रहती है. इसी तरह सीएचसी के डॉक्टर दीपक बैरवा ने बताया कि वैसे तो यह बीमारी सभी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन खास तौर से महिलाओं में यह समस्या 40 वर्ष के बाद देखी जाती है.
वर्तमान में बच्चे एवं बुजुर्गों में भी इस बीमारी की शिकायत देखी जा रही है. चिकित्सकों का कहना है कि एलर्जी रोग विभिन्न चीजों से हो सकता है. ऐसे में इसकी जांच कराकर उचित परामर्श लेना चाहिए.
इनका यह है कहना
बदले मौसम के बीच 10 से 20 प्रतिशत अस्थमा एवं एलर्जी के मरीज बढ़े हैं. एलर्जी से संबंधित मरीजों को धूल से बचाव करना चाहिए. ठंडे पानी से भी परहेज करना चाहिए. इसमें मरीजों को खास एहतियात बरतने की जरूरत है.
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