एक लड़की से परिवार के सारे मर्द करते हैं शादी, लेकिन पैदा हुए बच्चों का पिता सिर्फ एक
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एक लड़की से परिवार के सारे मर्द करते हैं शादी, लेकिन पैदा हुए बच्चों का पिता सिर्फ एक

हिंदू विवाह में शादी एक पवित्र बंधन है, जिसे सात जन्मों का माना जाता है. हालांकि आज कल ये सामाजिक व्यवस्था बिगड़ चुकी है और शादी के बाद तलाक होना आम बात है. वहीं कुछ प्रथाएं ऐसी है जो आज भी जारी है जिनमें से एक है बहुपति विवाह.

एक लड़की से परिवार के सारे मर्द करते हैं शादी, लेकिन पैदा हुए बच्चों का पिता सिर्फ एक

Trending News : महाभारत में पांडवों ने द्रोपदी से शादी की थी. पांच पांडवों की धर्मपत्नी का स्थान द्रोपदी को मिला था. ऐसी प्रथा आज भी कुछ जगहों पर देखने को मिल जाती है. हाल ही में महाराष्ट्र में एक युवक ने दो जुड़वा बहनों से शादी थी. जो की भारतीय कानून में मान्य नहीं है और अब युवक पर केस चल रहा है.

वैसे ये पहली बार नहीं है जब इस तरह के मामले सामने आये हों कुछ सालों पहले तक हिमाचल और अरूणाचल के कुछ हिस्सों में खासतौर पर किन्नौर जिले में बहुप्रति विवाह भी प्रचलित था. लेकिन वक्त बदलने के साथ ही इस प्रथा को मानने वाले लोगों की तादात कम हुई है. Libra Horoscope 2023 : तुला राशि वालों की न्यू ईयर में 2023 में बल्ले बल्ले, जनवरी से लेकर दिसंबर तक ऐसा रहेगा साल

लेकिन हम बात कर रहे है उस जगह की जहां आज भी एक ऐसी ही प्रथा प्रचलित है. जिसमें सबसे पहले पत्नी के साथ बड़ा भाई समय बिताता है और फिर उम्र के हिसाब से पत्नी का समय अगले भाईयों को मिलता है. ये प्रथा तिब्बत में आज भी निभाई जा रही है. हालांकि अब इसे मानने वाले लोग कम ही बचे हैं.

तिब्बत में सबसे बड़ा भाई पहले एक लड़की को चुनता है उससे शादी करता है और फिर उसके बाद बाकी के भाई भी उसी लड़की को पत्नी मान लेते हैं. यहां शादी की रस्में परिवार के तबके के हिसाब से होती हैं. परिवार का सबसे छोटा बेटा ज्यादातर शादी की रस्मों में मौजूद नहीं रहता है. 

स्थानील लोग बताते हैं कि चीन के तिब्बत पर अधिग्रहण के बाद से ऐसी शादियां होनी कम हो गयी हैं. फिर भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां आज भी ये प्रथा प्रचलित है. Melvyn C. Goldstein एक अमेरिकी सोशलिस्ट और तिब्बत स्कॉलर हैं. जिन्होनें बताया है कि  तिब्बत में भ्रातृ बहुपतित्व बहुत सामान्य बात है. जिसमें दो, तीन, चार भाई मिलकर एक ही पत्नी के साथ रहते हैं. सभी के बच्चे भी एक साथ ही होते हैं और कौन किसका पिता है ये भी कई बार पता भी नहीं होता है. Chanakya niti : इन बातों के चलते बीवी के इशारों पर नाचते हैं पति, जिंदगी भर बने रहते है जोरू का गुलाम

मेल्विन के लेख में बताया गया है कि 1950 तक तिब्बत में बौद्ध भिक्षु की संख्या 1 लाख 10 हज़ार से ज्यादा थी. इसमें से 35% से ऊपर शादी की उम्र वाले भिक्षु थे. अधिकतर परिवारों में सबसे छोटे बेटे को भिक्षु बनने भेज दिया जाता था ताकि छोटी सी जमीन का बंटवारा ना हो. ये उसी तरह का रिवाज था जैसे इंग्लैंड में प्राचीन काल में नाइटहुड के लिए सबसे छोटे बेटे को भेज दिया जाता था, जिसके पास कोई प्रॉपर्टी नहीं होती थी. 

इसके बाद धीरे-धीरे जमीन के बंटवारे को रोकने के लिए महिलाओं की एक ही परिवार में अन्य भाइयों से शादी करवाने की प्रथा शुरू हो गई. ये प्रथा इसलिए चलती रही ताकि जमीन का बंटवारा ना हो और टैक्स सिस्टम से भी बचा जा सके. 1959 से 1960 में कानूनी तौर पर बंद करने के आदेश चीन ने दिये थे जिसके बाद भी ये प्रथा जारी है. 

सब रहते हैं एक साथ
ऐसे परिवार में सभी बच्चों से एक समान व्यवहार किया जाता है. बच्चों को उनके बायोलॉजिकल पिता की कोई जानकारी नहीं होती. सब बच्चे आपस में सगे भाई बहन होते है और बच्चे सिर्फ लड़की के पहले पति को ही पिता कहते हैं. एक लड़की से शादी होने के बाद अगर कोई भाई दूसरी शादी करना चाहता है तो फिर उसे कोई मनाही नहीं है.  शाहरूख की पठान मूवी के बेशर्म रंग गाने पर विवाद के बीच जानें क्यों हिंदू धर्म में केसरिया है पूजनीय

 

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