सूरसागर: अब सेना के रिटायर्ड वयोवृद्ध योद्धा लोगों को बताएंगे युद्ध की कहानी
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सूरसागर: अब सेना के रिटायर्ड वयोवृद्ध योद्धा लोगों को बताएंगे युद्ध की कहानी

सेना से पहले बीएसएफ पर्यटकों को बॉर्डर के पास बीएसएफ द्वारा विकसित टूरिस्ट पॉइंट पर पर्यटकों को बीएसएफ के बारे में बताती रहती है और अब इस कड़ी में सेना ने भी कोर पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारत और पाकिस्तान के मध्य 1971 के युद्ध में जैसलमेर और बाड़मेर के विभिन्न स्थानों पर लड़ी गई लड़ाई और से युवाओं को अवगत कराएगी.

सूरसागर: अब सेना के रिटायर्ड वयोवृद्ध योद्धा लोगों को बताएंगे युद्ध की कहानी

Soorsagar: आजादी के अमृत महोत्सव में अब सेना के रिटायर्ड वयोवृद्ध योद्धा युद्ध की कहानी बताएंगे और पर्यटकों को भी बॉर्डर के पास नए स्थान देखने को मिलेंगे. बाड़मेर जैसलमेर के सीमांत क्षेत्र में नए पर्यटन क्षेत्र विकसित होने की उम्मीद अब जगी है, जिसमें सेना द्वारा पर्यटकों को सेना के द्वारा 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध की शौर्य गाथाओं के बारे में पर्यटकों को जानकारी मिलेगी.

सेना से पहले बीएसएफ पर्यटकों को बॉर्डर के पास बीएसएफ द्वारा विकसित टूरिस्ट पॉइंट पर पर्यटकों को बीएसएफ के बारे में बताती रहती है और अब इस कड़ी में सेना ने भी कोर पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारत और पाकिस्तान के मध्य 1971 के युद्ध में जैसलमेर और बाड़मेर के विभिन्न स्थानों पर लड़ी गई लड़ाई और से युवाओं को अवगत कराएगी.

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उसी कड़ी में कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर और जोधपुर जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने सोमवार सुबह मेहरानगढ़ से रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह यात्रा बाड़मेर और जैसलमेर के विभिन्न स्थानों से होते हुए 8 सितंबर को वापस जोधपुर पहुंचेगी. रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा में कोणार्क कोर के साथ राजस्थान सरकार, टूरिस्ट गाइड, रेलवे, सैनिक कल्याण बोर्ड और 9 पूर्व वयोवृद्ध योद्धा शामिल है. यह 9 पूर्व वयोवृद्ध योद्धा जिन्होंने 1971 की लड़ाई में स्वयं हिस्सा लिया था. अब युद्ध में लड़े गए बैटल के स्थान पर खड़े होकर मेरी कहानी मेरी जुबानी की तर्ज पर टूरिस्ट गाइड, एनसीसी कैडेट, स्कूली बच्चों और युवाओं को अपना अनुभव बताएंगे कि किस तरह से उन्होंने 1971 की लड़ाई लड़ी थी और विजय प्राप्त की थी. 4 दिन में यह यात्रा पश्चिमी बॉर्डर पर लड़ी गई चार मुख्य लड़ाइयां छाछरो, गडरा रोड पर्वत अली और लोंगे वाला के जंग स्थल पर पहुंचेगी. 

जोधपुर के मेहरानगढ़ से रवाना होकर स्वरूप का तला होते हुए बाखासर से गडरा रोड पहुंचेगी. अगले दिन गडरा रोड से मुनाबाव जाकर शाम के वक्त मुनाबाव से जैसलमेर पहुंचेगी. 7 सितंबर को जैसलमेर के लोंगे वाला और वहां से तनोट माता के मंदिर पहुंचेगी. यह यात्रा और 8 सितंबर को जैसलमेर से वापिस जोधपुर आने का कार्यक्रम है. इन 4 दिनों में अलग-अलग स्थानों पर वयोवृद्ध योद्धा लोगों को युद्ध के बारे में अपनी जुबान से पूरी कहानी बताएंगे और जिसके बाद आने वाले दिनों में पर्यटन विभाग और अन्य एजेंसियां पर्यटकों को जानकारी उपलब्ध करवाएंगे.

दरअसल आजादी अमृत महोत्सव के अंतर्गत इस यात्रा का उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को भी सेना के द्वारा युद्ध में दिए गए योगदान के बारे में पता चले और प्रदेश में टूरिज्म इंडस्ट्री को बढ़ावा मिले इसी उद्देश्य से इस यात्रा को निकाली गई है. 

रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा का रूट : 
5 सितंबर: मेहरानगढ़ से यात्रा की रवानगी. शाम को बाखासर से गडरा रोड होते हुए स्वरूप का तला पहुंचेगी. यहां पर 10 पैरा की ओर से बैटल ऑफ छाछरों के फोटो और युद्ध का जीवंत वर्णन किया जाएगा. इसी दिन यात्रा बाड़मेर लौटेगी. गडरा में ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन और हथियारों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी.
6 सितंबर : बाड़मेर से मुनाबाव यात्रा पहुंचेगी. यहां पर बैटल ऑफ परबत अली की कहानी व उसके फोटो की प्रदर्शनी लगेगी. यहां पर जीरो प्वाइंट से खोखरापार दिखाएंगे. यहीं से यात्रा जैसलमेर पहुंचेगी और जैसलमेर मिलिट्री स्टेशन पर लाइट एंड साउंड शो होगा.
7 सितंबर : जैसलमेर से घोटारू दुर्ग पहुंचेगी, फिर लोंगेवाला जाकर लोंगेवाला युद्ध स्थल और वार मेमोरियल पर इस ऐतिहासिक युद्ध का स्मरण बीएसएफ वयोवृद्ध योद्धा भैरोसिंह करेंगे. यहां से ये यात्रा साधेवाला होते हुए तनोट पहुंचेगी. तनोट मंदिर में दर्शन के बाद बबलियान वाला चौकी दिखाएंगे. 
8 सितंबर : यात्रा जैसलमेर से जोधपुर पहुंचेगी.

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