काश देश का हर स्कूल इसी तरह हो हराभरा... ताकि छात्र सीख पाएं पर्यावरण संरक्षण का संस्कार
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काश देश का हर स्कूल इसी तरह हो हराभरा... ताकि छात्र सीख पाएं पर्यावरण संरक्षण का संस्कार

जालोर के इस स्कूल के गलियारों में पर्यावरण संरक्षण का संस्कार बच्चे सहजता से प्राप्त करते रहते हैं. साथ ही व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास से जुड़े महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों के संरक्षण का संस्कार भी ग्रहण करते हैं. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पढ़िये ये खबर.

 

इस स्कूल में 10 महीनों के लिए 10 पर्यावरण संकल्प निर्धारित किए गए हैं.

जालोर: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आपको एक जालोर के ऐसे विद्यालय से रूबरू करवाते हैं,  जहां के गलियारों में पर्यावरण संरक्षण का संस्कार बच्चे सहजता से प्राप्त करते रहते हैं. साथ ही व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास से जुड़े महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों के संरक्षण का संस्कार भी ग्रहण करते हैं. जालोर के निकट स्थित रेवत के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक संदीप जोशी ने कक्षा के बरामदे को पर्यावरण संकल्प गैलरी का रूप दिया गया है. 

 खास बात यह भी है कि इस गैलरी में पिल्लर को पर्यावरण स्तंभ का नाम दिया गया है. इन पिल्लर पर प्रकृति के पंचमहाभूत वायु, जल, मिट्टी, अग्नि, आकाश, सहित पर्यावरण के विभिन्न घटकों के संरक्षण और संवर्धन के संकल्प लिखे हैं. पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ इन पिल्लर पर दैनिक जीवन से जुड़े विभिन्न जीवन मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन से संबंधित सरल व्यवहारिक एवं महत्वपूर्ण बातें लिखी गई है.

दस महीनों के दस संकल्प
इस पर्यावरण गैलरी के योजनाकार शिक्षक संदीप जोशी बताते हैं कि वार्षिक परीक्षा और ग्रीष्म अवकाश की अवधि छोड़ दें तो विद्यालय 10 महीने संचालित होता है. ऐसे में इन 10 महीनों के लिए 10 पर्यावरण संकल्प निर्धारित किए गए हैं. प्रत्येक माह का एक पर्यावरण संकल्प निर्धारित किया है. महीना भर विद्यालय की प्रार्थना सभा में निर्धारित संकल्प का वाचन एवं दोहरान होता है. महीने भर तक लगातार सामूहिक उच्चारण से न केवल वह संकल्प कंठस्थ हो जाता है, बल्कि उस से जुड़ी बातें विद्यार्थियों के जीवन में व्यवहार गत रूप से स्थापित भी होने लगती हैं.

इन विषयों से जुड़े हैं संकल्प
रेवत विद्यालय की पर्यावरण संकल्प गैलरी में पर्यावरण की दृष्टि से सर्वाधिक चिंता के 4 बिंदु वायु, जल, ध्वनि और मिट्टी के प्रदूषण को रोकने उनका संरक्षण संवर्धन करने का संकल्प है. इसके साथ ही विद्यार्थियों में मूल्य शिक्षा की दृष्टि से समय पालन, स्वास्थ्य संरक्षण, अन्न का सदुपयोग, वाणी की शुद्धता, धन का सदुपयोग एवं अनैतिक तरीके से धन अर्जन नहीं करना, वैचारिक प्रदूषण को रोकने की भी बात कही गई है.

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विद्यालय के संस्था प्रधान छगन पुरी गोस्वामी, शिक्षक हरिप्रकाश , लक्ष्मणराम, रणजीत सिंह, अनिल पोनेचा समेत स्टाफ साथियों द्वारा विद्यालय परिसर में विभिन्न प्रकार का के पेड़ और पौधे लगाए गए हैं. छोटे से परिसर का सघन वृक्षारोपण विद्यालय को गुरुकुल जैसा स्वरूप प्रदान करता है. रेवत के विद्यालय परिसर में अशोक, बिल्वपत्र, आम, पपीता, तुलसी, गुड़हल, चंपा, मोगरा, सदाबहार, बोगनवेलिया, कनेर,केतकी, फूल केल, नीम, सरेश, करंजी समेत अनेक प्रकार के पौधे लगाए गए हैं. इनकी नियमित सार संभाल भी होती हैं, विद्यालय की यह वाटिका ग्राम वासियों के लिए भी आयुर्वेदिक रूप से लाभप्रद है जहां से तुलसी, पपीते के पत्ते इत्यादि विभिन्न वनस्पतियों का उपयोग लोग आवश्यकता पड़ने पर करते हैं.

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Reporter- Dungar Singh

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