राजपूत समाज का वो लाल, जिसके आगे झुकी सरकार, नेहरु ने भरे सदन में कहा था धन्यवाद
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राजपूत समाज का वो लाल, जिसके आगे झुकी सरकार, नेहरु ने भरे सदन में कहा था धन्यवाद

राजस्थान के जैसलमेर के श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तनसिंह जी का 99वां जयंती समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा.

राजपूत समाज का वो लाल, जिसके आगे झुकी सरकार, नेहरु ने भरे सदन में कहा था धन्यवाद

Jaisalmer News : राजस्थान के जैसलमेर में 25 जनवरी को श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक  तनसिंह जी की 99 जयंती समारोह का आयोजन उनके ननिहाल स्थल बेरसियाला गांव में में किया जा रहा है.

इस दौरान श्री क्षत्रिय युवक संघ जैसलमेर के संभाग प्रमुख तारेंद्रसिंह झिनझिनयाली द्वारा संघ के कार्य और जिले में चल रही संघ गतिविधि और जयंती की जानकारी को लेकर प्रेसवार्ता का आयोजन कर जयंती समारोह की जानकारी साझा की गयी.

उन्होंने कहा कि संघ विशुद्ध रूप से समाज में संस्कार निर्माण का कार्य कर रहा है. यह तन सिंह की देन है उन्होंने कहा कि जैसलमेर जिले के बेरसियाला में तन सिंह का जन्म हुआ. ऐसे महापुरुष की 99 वी जयंती पर जन्मभूमि में कार्यक्रम होना हमारे लिए गर्व की बात है, कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जिनकी विलक्षण प्रतिभा होती है ,जीवन और मृत्यु के बीच के अंतराल को इस तरह से जीते हैं, जो उन्हें महापुरुष बना जाते है.

उन्होंने कहा कि तन सिंह का जन्म 25 जनवरी 1924 को उनके ननिहाल बेरसियाला में हुआ. इनके पिता बलवंत सिंह जी उस समय के बड़े सामाजिक सद्भावना वाले व्यक्तित्व थे.

तन सिंह के जीवन की जानकारी
जानकारी देते हुए कहा कि तन सिंह ने चौपासनी से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी, विपरीत परिस्थितियां होने के बावजूद भी उन्होंने अपने कर्म के द्वारा अनुकूलता बना दी.

उनके द्वारा 22 दिसंबर 1946 को संघ की विधिवत स्थापना की गई. सन् 1948 में जोधपुर में सैनिक स्कूल खोलने के बहाने सरकार ने चौपासनी स्कूल को हथियाने का प्रयास किया, तो राजपूत समाज को बड़ा आंदोलन करना पड़ा जिसमें तन सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सरकार को झुकना पड़ा था और चौपासनी स्कूल मारवाड़ राजपूत सभा को सौंपनी पड़ी.

तन सिंह का राजनीतिक जीवन
सन 1952 में तन सिंह विधायक बनकर राजस्थान पहली विधानसभा में पहुंचे.साल 1955 -56 में दो बड़े भूस्वामी आंदोलन हुए इनका कुशल नेतृत्व किया.साल1957 में तन सिंह दुबारा विधायक चुने गए वे प्रतिपक्ष नेता भी रहे. साल 1962 में पहली बार सांसद के रूप में नई दिल्ली पहुंचे. 1977 में तन सिंह दुबारा सांसद चुने गए और 7 दिसंबर 1979 में उनका देहांत हुआ.

तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु जी ने किया था धन्यवाद ज्ञापित
भारत चीन युद्ध के दौरान भारतीय संसद में विपक्ष प्रधानमंत्री नेहरू को घेरने में लग गया था. तब युवा सांसद के रूप में तन सिंह ने कारणों पर बहस करने की बजाय सरकार का साथ देने और संकट से उबरने के उपायों पर ध्यान देने की बात कही थी, तो नेहरु जी ने उनका धन्यवाद ज्ञापित किया था.

तन सिंह की प्रतिभा
तन सिंह एक गंभीर विचारक और दृढ़ निश्चय के धनी थे. उन्होंने श्री क्षत्रिय युवक संघ व समाज के लिए अपना संपूर्ण जीवन खपा दिया.तन सिंह को इतिहास में गहरी समझ थी राजस्थानी में हिंदी के उच्च कोटि के लेखक थे. उन्होंने बहुत उच्च स्तर के साहित्य का सृजन भी किया था तन सिंह गीता की कर्म योग ज्ञान योग और भक्ति योग के अद्भुत समन्वय से प्रेरित थे.

भाटी ने बताया कि तन सिंह की 99 जयंती पर जिले भर में उत्साह का माहौल है. प्रत्येक क्षेत्र में बैठके संपर्क यात्राएं की गई है, गांव गांव जाकर निमंत्रण दिया गया है.

संदेश यात्रा गांव पहुंच रही है, तो ग्रामीणों द्वारा बड़े उत्साह के साथ उसका स्वागत किया जा रहा है. आज संपूर्ण यात्रा म्याजलार पहुंचने पर बड़े जोश के साथ स्वयंसेविका जसू कंवर के साथ बालिका टीम द्वारा रंगोली बनाकर पुष्प वर्षा के साथ संदेश यात्रा का अभिनंदन किया गया और गांव के स्थानीय जनों  ने अद्भुत स्वागत किया गया और  नारे लगाकर तन सिंह रथ पर पुष्प वर्षा की गई. इस दौरान स्वयंसेवक उपस्थित रहे.

 

 

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