Pokran: प्रदेश में विद्युतभार बढ़ने की स्थिति में बिजली कंपनियों की ओर से अलग-अलग ब्लॉक बनाकर कृषि कनेक्शनों पर विद्युत आपूर्ति की जाती है..
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Pokran: सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ प्रदेशभर में किसान रबी की फसल की बुआई में जुट गए हैं, ऐसे में प्रदेश में विद्युतभार बढ़ने की स्थिति में बिजली कंपनियों की ओर से अलग-अलग ब्लॉक बनाकर कृषि कनेक्शनों पर विद्युत आपूर्ति की जाती है. मध्यरात्रि के ब्लॉक में आने वाले किसानों के लिए कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बीच खुले आसमान तले फसलों को पानी देना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.
विशेष रूप से सरहदी जिले के नलकूप बाहुल्य लाठी क्षेत्र में जहां रेतीले धोरों के बीच बसे गांवों में पारा जमाव बिंदु पर पहुंच रहा है, यहां के किसानों का बेहाल हो रहा है. गौरतलब है कि नवंबर माह के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत के साथ प्रदेश में शीतलहर और सर्दी का दौर शुरू हो गया है. भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले के लाठी क्षेत्र में किसान रबी की बुआई में जुट गए हैं. सरहदी जिला रेतीले धोरों और रेगिस्तान के बीच बसा हुआ है. रात के समय रेत के जल्दी ठंडी हो जाने के कारण यहां तापमान जमाव बिंदु के पास पहुंच जाता है. रात के समय कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बीच नलकूपों में जाना और फसलों को पानी देना किसी चुनौती से कम नहीं है.
फसलों की चिंता
नलकूप बाहुल्य लाठी में सैंकड़ों की तादाद में नलकूप स्थित है. नलकूपों पर डिस्कॉम की ओर से बारी के अनुसार विद्युत आपूर्ति की जाती है. कई जगहों पर इस कड़ाके की ठंड के मौसम में मध्यरात्रि और अलसुबह विद्युत आपूर्ति हो रही है. हालांकि अभी तो सर्दी की शुरुआत है, लेकिन धीरे-धीरे तापमान में गिरावट के साथ कड़ाके की ठंड का दौर शुरू होने वाला है. नलकूपों और खेतों में जमीन में नमी होने और सिंचाई के लिए पानी ठंडा होने के कारण कड़ाके की ठंड का असर भी बढ़ जाता है. ऐसी ठंड में फसल को बचाने और पैदावार बढ़ाने के लिए किसान देर रात तक उठकर खेतों में जाते है और सिंचाई करते है, ताकि मेहनत और धनराशि खर्च कर बोई गई फसल को बचाया जा सके.
बीमार पड़ने की भी आशंका
पश्चिमी राजस्थान में नवंबर माह के दूसरे पखवाड़े से दिसंबर और जनवरी माह तक कड़ाके की ठंड का दौर चलता है. यहां सर्दी का दौर इस कदर रहता है कि यदि पानी को खुले में रात को रख दिया जाए तो सुबह तक बर्फ जम जाती है. इस कड़ाके की ठंड में बिजली आने पर खेतों में जाना, नलकूपों को शुरू करना और एक क्यारी में सिंचाई होने के बाद अगली क्यारी में पाइप को बदलना, ये सब किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है. बावजूद इसके किसान अपनी जान को जोखिम में डालकर बीमारी की परवाह किए बगैर सिंचाई कर रहे हैं.
प्रदेश में 4 ब्लॉक में होती है विद्युत आपूर्ति
प्रदेश में अलग-अलग विद्युत वितरण निगमों की ओर से ब्लॉक बनाकर किसानों को विद्युत आपूर्ति की जा रही है. जोधपुर विद्युत वितरण निगम की ओर से किसानों के लिए पहला ब्लॉक सुबह 9.30 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक, दूसरा ब्लॉक सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक, तीसरा ब्लॉक रात 10 से सुबह 4 बजे तक और चौथा ब्लॉक रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक बनाया गया है, इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार आगे-पीछे स्थिति होने पर मध्यरात्रि बाद 2 या 3 बजे भी विद्युत आपूर्ति की जा रही है.
क्या करें, मजबूरी है
सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ रबी की फसल की बुआई कर रहे हैं. हमारे यहां रात 11 बजे बाद विद्युत आपूर्ति हो रही है. कड़ाके की ठंड में सिंचाई मुश्किल होती है, लेकिन क्या कर सकते है, मजबूरी है.
हर बार यही होता है
प्रतिवर्ष रबी की बुआई के सीजन में यही होता है. डिस्कॉम की ओर से अलग-अलग ब्लॉक बनाकर विद्युत आपूर्ति की जाती है. रात 12 बजे बाद घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. ऐसी स्थिति में नलकूपों पर जाना और ठंडे पानी के बीच खड़े होकर पाइपों को बदलना किसी चुनौती से कम नहीं है.
Reporter: Shankar Dan
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