प्रदेशभर में मवेशियों में अपना कहर ढा रही लंपी स्किन नामक बीमारी ने क्षेत्र के केरालिया गांव में दस्तक दे दी है. गांव के पशुओं में एकदम से आई लंपी स्किन डिजीज ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है.
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Jaisalmer: प्रदेशभर में मवेशियों में अपना कहर ढा रही लंपी स्किन नामक बीमारी ने क्षेत्र के केरालिया गांव में दस्तक दे दी है. गांव के पशुओं में एकदम से आई लंपी स्किन डिजीज ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है. गांव में फैल रही इस बीमारी के चलते पशुपालक दहशत में है.
गांव में दो दर्जन से अधिक गाव और बैल में यह बीमारी फैल चुकी है. केरालिया और आस पास के क्षेत्र में फैली रही इस बीमारी के चलते पशुपालक दहशत और भय के माहौल में है. गांव में दर्जनों गायों में यह बीमारी फैल चुकी है. इस बीमारी की चपेट में आई गायों के शरीर पर फोड़े (फफोले) हो चुके हैं. जिनमें पानी भरा होता है. समय पर सही इलाज नहीं मिलने पर इन फोड़ों से घाव बन जाता है, जो पशु की परेशानी बढ़ा रहा है. पशुपालकों के अनुसार इस कि चपेट में आई गायों को लगातार बुखार रहता है. केरालिया गांव में कई पशुओं की इस बीमारी से मौत भी हो चुकी है.
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जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के निर्देश पर कुछ दिन पहले नेडान पशु चिकित्सा अस्पताल की एक टीम गठित कर क्षेत्र में भेजी. इस टीम में पशु चिकित्सक डॉक्टर चन्द्रप्रकाश सुथार, पशुधन सहायक शैतान गुर्जर द्वारा गांव में घर-घर जाकर सर्वे किया गया. सर्वे में एक दर्जन बीमार पशुओं का उपचार किया गया. बीमारी की रोकथाम वह लक्षणों के बारे में टीम द्वारा पशुपालकों को जानकारी दी गई. बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना वह अलग चारा पानी देने की सलाह दी गई तथा मृत पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने की सलाह दी गई. पशुपालकों को उपरोक्त बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो पशु चिकित्सालय नेडान में संपर्क करें तथा उपलब्ध दवाई प्राप्त करने की सलाह दी गई.
बीमारी के लक्षण
पशु चिकित्सकों के अनुसार मवेशी में बुखार आना, शरीर में जकड़न और निमोनिया जैसे लक्षण पाए जाते हैं. इस बीमारी में त्वचा पर छोटी छोटी 2 से 5 सेमी की गांठे बन जाती है. जो पक कर फूटने लगती है. इनसे पानी निकलता है. पशुओं में दूध की कमी हो जाती है और भूख नहीं लगती है. आंख और नाक से पानी बहने लगता है और सांस लेने में कठिनाई होती है. इलाज नहीं मिलने पर 10 से 15 दिन पशु की मौत हो जाती है. ज्यादातर पशु प्राथमिक उपचार से ही स्वस्थ हो जाते हैं. कुछ पशुओं में रोग के लक्षण तीव्र होने के कारण निमोनिया हो जाता है.
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