जैसलमेर राजकीय संग्रहालय को मॉर्डन लुक देने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए गए, फिर भी कमीशन के खेल में पिछड़ रहा है. सरकार पैसे तो खर्च कर रही है लेकिन उसका उपयोग करने के लिए मैनेजमेंट नहीं है.
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Jaisalmer: जैसलमेर का राजकीय संग्रहालय को मॉर्डन लुक में आने के बाद भी सैलानीयों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है. राजकीय संग्रहालय को मॉर्डन लुक देने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए गए, फिर भी कमीशन के खेल में पिछड़ रहा है. सरकार पैसे तो खर्च कर रही है लेकिन उसका उपयोग करने के लिए मैनेजमेंट नहीं है. काम पूरा होने के बाद उसे दोबारा सैलानियों के लिए खोल दिया गया, लेकिन सैलानियों को आकर्षित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. पहले भी इस संग्रहालय को देखने सैलानी नहीं आ रहें थे और अभी भी बहुत ही कम संख्या में सैलानी पहुंच रहें हैं.
जानकारी के अनुसार 29 अगस्त राजकीय संग्रहाल को नए कलेवर में दोबारा खोला गया था. उसके बाद से लेकर अब तक एक लाख से भी अधिक सैलानी जैसलमेर आ चुके हैं, लेकिन इनमें से एक हजार पर्यटक भी राजकीय संग्रहालय देखने नहीं पहुंचे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजकीय संग्रहालय किस हद तक पर्यटकों से दूर होता जा रहा है. जहां जैसलमेर में हर जगह भीड़ ही भीड़ दिख रही है, चाहे पर्यटन स्थल हो या फिर बाजार, होटल व रेस्टोरेंट वहीं दूसरी तरफ राजकीय संग्रहालय सूना नजर आ रहा है.
गौरतलब है कि राजकीय संग्रहालय के रिनोवेशन का काम शुरू किया गया था, इसकी वजह सैलानियों को आकर्षित नहीं करना था, सरकार ने इसके चलते संग्रहालय पर डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर उसे अत्याधुनिक व मॉर्डन लुक देने की योजना बनाई. करीब एक साल तक संग्रहालय बंद रहा और उसमें बाहरी लुक को यथावत रखते हुए अंदर से बिल्डिंग वर्क के साथ दो अलग अलग गैलेरियां बनाई गई है. आकर्षक शोकेस, लाइटिंग के साथ ही पुरानी वस्तुओं को सजाकर रखा गया है.
कमीशन के खेल में पिछड़ रहा है संग्रहालय
राजकीय संग्रहालय के प्रभारी हजारा राम का कहना है की जैसलमेर में पर्यटकों को घुमाने वाले गाइड कमीशन के आधार पर ही काम करते हैं. जहां उनका कमीशन होता है वहां वे सैलानियों को ले जाते हैं लेकिन जहां कमीशन नहीं होता, उसके बारे में वे सैलानियों को बताते तक नहीं है. इतना ही नहीं होटल व्यवसायी भी इसमें रूचि नहीं ले रहें हैं, जिसकी वजह से रिनोवेशन के बाद मॉर्डन लुक में तैयार किए गए संग्रहालय में सैलानी नहीं पहुंच रहें हैं. नए कलेवर में संग्रहालय सैलानियों के लिए खोल दिया गया है, इसके बावजूद सैलानियों की कम संख्या होने के चलते हम इसके प्रचार प्रसार में कार्य कर रहें हैं. पिछले दिनों गाइडों के प्रशिक्षण के दौरान गाइड एसोसिएशन से चर्चा की गई थी. आगामी दिनों में होटलियर्स व अन्य प्रचार प्रसार के संसाधनों से संग्रहालय का प्रचार किया जाएगा.
जानकारों के अनुसार एक तो संग्रहालय मुख्य रोड़ से अंदर है, इस मार्ग पर सैलानियों के वाहनों का आवागमन नहीं है. वहीं दूसरा कारण यह है कि संग्रहालय का प्रचार प्रसार बिल्कुल नहीं है, यदि जगह जगह पर प्रचार प्रसार के साइन बोर्ड व होटल संचालकों को इस बारे में बताया जाए तो, सैलानियों की संख्या बढ़ सकती है.
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