राजस्थान में आखिर हर विभाग में क्यों है भत्तों का विवाद ? अब पुलिस ट्रेनर्स के लिए ट्रेनिंग भत्ते की मांग का प्रस्ताव..
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राजस्थान में आखिर हर विभाग में क्यों है भत्तों का विवाद ? अब पुलिस ट्रेनर्स के लिए ट्रेनिंग भत्ते की मांग का प्रस्ताव..

पुलिस, सरकार और पब्लिक के बीच दिखाई देने वाला वह चेहरा है, वो कठिनतम परिस्थितियों में कानून व्यवस्था और  शासन बनाए रखने का कार्य करती है. राज्य सरकार के इस ''चेहरे'' को कुशल और बेहतर रूप से निखारने के लिए भत्ता चाहिए. राजस्थान में पुलिस ट्रैनर्स को भी केंद्रीय ट्रेनिंग संस्थानों की तर्ज पर ट्रेनिंग भत्ते की मांग की गई है. 

 

फाइल फोटो.

Jaipur: सरकारी सर्विस में ट्रेनिंग एक महत्वपूर्ण कार्य है, जिसमें अपरिपक्व मानव कौशल को दक्षता व कुशलता में परिवर्तित किया जाता है. ट्रेनिंग से सरकारी कर्मचारी को भविष्य के 30-35 वर्षों तक सरकारी और मानव सेवा के लिये तैयार किया जाता है, इधर पुलिस मुख्यालय का मानना है कि पुलिस जैसी संस्था के लिए ट्रेनिंग अन्य सेवाओं से भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि पुलिस सरकार का दिखाई देने वाला चेहरा है, जो कठिनतम परिस्थितियों में कानून व्यवस्था और विधि का शासन बनाए रखने का कार्य करता है.

 प्रदेश में सेलेरी-भत्तों के भुगतान का विवाद नया नहीं है, राजस्थान के कमोबेश हर विभाग में भत्तों को लेकर विवाद हो चुका है या विवाद चल रहा है. इस कड़ी में नाम जुड़ गया है. राजस्थान पुलिस ट्रेनर्स का. राजस्थान पुलिस ट्रैनर्स की मांग यह है कि उन्हें भारत सरकार और दूसरे राज्यों की तर्ज पर ट्रेनिंग भत्ता दिया जाए, जिससे पुलिस ट्रेनिंग में आने वाले प्रशिक्षुओं को अधिक कुशलता के साथ ट्रेनिंग दे सकें.

राजस्थान में पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए राजस्थान पुलिस अकादमी एवं 10 अन्य पुलिस प्रशिक्षण संस्थान हैं. इनमें कांस्टेबल से लेकर राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारियों को आधार भूत व पीसीसी के तहत ट्रेनिंग दी जाती है. इन प्रशिक्षण संस्थानों में लगभग 1878 पुलिस कर्मी तैनात हैं जो प्रशिक्षण कार्य में लगे हुए हैं. इन प्रशिक्षण संस्थानों में तैनात कार्मिक न केवल पुलिस कर्मियों को बल्कि रेलवे, शिक्षा, सीमा शुल्क, आबकारी, जेल, वन विभाग आदि सहित अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं.

राजस्थान पुलिस अकादमी ने उत्तरप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और हरियाणा सहित राजस्थान के पडोसी राज्यों के पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों और केंद्र सरकार के संस्थानों में दिए जा रहे प्रशिक्षण भत्ते के बारे में एक अध्ययन किया. इसमें  सभी राज्यों व प्रदेशों के पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत प्रशिक्षण देने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षण भत्ता विभिन्न दरों से दिया जा रहा है.

ट्रेनिंग भत्ता मिले, केंद्र सरकार के आदेश का हवाला 
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय नई दिल्ली ने 24 अक्टूबर 2017 को जारी आदेश में समूह ए के अधिकारियों के लिए सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों में 24 % प्रशिक्षण भत्ता निर्धारित किया है. अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण भत्ता मूल वेतन का 12% किया गया है. प्रशिक्षण भत्ते की ये दरें सभी राष्ट्रीय और केंद्रीय प्रशिक्षण अकादमियों, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ असम राइफल्स और तीनों भारतीय सेनाओं के समस्त प्रशिक्षण संस्थानों में वर्तमान में प्रचलित है. विभिन्न राज्यों में भी प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत कार्मिकों को प्रशिक्षण भत्ता दिया जा रहा है.

कहां कितना ट्रेनिंग भत्ता 
समूह ए अधिकारियों के ट्रेनिंग सेंटरों को केंद्रीय सरकार, थल, जल, नौसेना, दिल्ली सरकार, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, असम राइफल, पंजाब व महाराष्ट्र के ट्रेनिंग सेंटरों में 24 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश में 15 की दर से भत्ता दिया जा रहा है. इसके अलावा अन्य कर्मचारियों के प्रशिक्षण सेंटरों को 12 प्रतिशत की दर से ट्रेनिंग भत्ता दिया जा रहा है. राजस्थान में राजस्थान पुलिस अकादमी मे ट्रैनिंग स्टाफ को 24 प्रतिशत और अन्य ट्रेनिंग सेंटरों के स्टाफ को 12 प्रतिशत मूल वेतना का प्रशिक्षण भत्ता देने की मांग की गई है.

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