आदेश जारी कर केंद्र सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एमएन भंडारी को SAFEMA का चेयरमैन नियुक्त किया है. जस्टिस एम एन भण्डारी 12 सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं. सेवानिवृति के बाद वे इस पद पर जॉइन करेंगे.
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Delhi: केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एमएन भंडारी को SAFEMA यानी Appellate Tribunal under the Smugglers and Foreign Exchange Manipulators Act का चेयरमैन नियुक्त किया है. जस्टिस एम एन भण्डारी 12 सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं. सेवानिवृति के बाद वे इस पद पर जॉइन करेंगे.
आपातकाल के दौरान 1976 में संसद ने इस एक्ट Smugglers and Foreign Exchange Manipulators (forfeiture of property) Act, 1976 (SAFEMA) को लागू किया था. इस अध्यादेश ने पहले से जारी अध्यादेश का स्थान लिया और 5 नवंबर 1976 से इसे लागू माना गया. SAFEMA को Sea Customs Act, 1878 / the Customs Act, 1962, the Foreign Exchange Regulations Act, 1947 (FERA) और FERA, 1973 अधिनियम विदेशी मुद्रा विनियम अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्तियों और COFEPOSA के तहत हिरासत में लिए गए लोगों पर लागू किया गया, जिनके खिलाफ स्टे आदेश को ना तो निरस्त किया गया था और ना ही सरकार और न ही सक्षम क्षेत्राधिकार की अदालतों की ओर से रद्द किया गया.
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जस्टिस भंडारी 15वें चेयरमैन
वित्त मंत्रालय के अनुसार जारी किए आदेश के अनुसार ये नियुक्ति अगले 30 दिनों में उनके द्वारा जॉइन करने से चार साल तक या 70 वर्ष की उम्र होने तक के लिए की गयी है. SAFEMA के चेयरमैन के रूप में उन्हें ढाई लाख का वेतन प्राप्त होगा. यह ट्रिब्यूनल मनी लॉन्ड्रिंग the Foreign Exchange Management Act, 1999, Prevention Of Money Laundering Act- PMLA और NARCOTIC DRUGS AND PSYCHOTROPIC SUBSTANCES, ACT, 1985 के तहत दायर की जाने वाली अपीलों की सुनवाई करता हैं. जस्टिस एमएन भंडारी इस ट्रिब्यूनल के 15वें चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं. उनसे पहले जस्टिस मनमोहन सिंह का कार्यकाल 22 सितंबर 2016 से 21 सितंबर 2019 तक रहा था. उनके बाद से ही इस ट्रिब्यूनल में चैयरमेन की नियुक्ति नहीं की गयी थी. वही वर्तमान में इस पद पर जीसी मिश्रा कार्यवाहक चेयरमैन हैं.
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क्यों है महत्वपूर्ण
क्योंकि ये ईडी से जुड़े मामलो की सुनवाई करता हैं. देश में पिछले कुछ सालों में धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग यानी Prevention Of Money Laundering Act- PMLA के तहत बड़ी कार्रवाई हुई है, जिसके चलते देश भर में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जो पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय को संपत्तियों की तलाशी, जब्ती, जांच और कुर्की करने के लिये सौंपे गए आदेशों के खिलाफ हैं. लगातार बढ़ते मामलों के चलते लंबे समय से इस ट्रिब्यूनल में चेयरमैन की नियुक्ति की मांग थी. इस ट्रीब्यूनल का गठन तस्कर और विदेशी मुद्रा जोड़तोड़ और संपत्ति की जब्ती अधिनियम 1976 के तहत की गयी हैं. जिसके तहत देश को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाले मनी लॉन्ड्रिंग, स्मगलिंग और एनडीपीएस मामलों की अपीलों को सुनवाई का अधिकार हैं.
बढे़ हैं एनडीपीएस के मामले भी
देश नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार, ऐसे व्यापार से अर्जित संपत्ति के मामले, रसायनों व औषधियों के विनिर्माण में प्रयोग होने वाले पदार्थों की तस्करी के मामले बढ़े हैं. NARCOTIC DRUGS AND PSYCHOTROPIC SUBSTANCES, ACT, 1985 -एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मुकदमों के साथ-साथ अपीलें भी बढ़ रही हैं. इनकम टैक्स और अन्य टैक्स की चोरी कर अपनी आय में बेतहाशा वृद्धि करने वाले, गलत तरीके से बनाई गई संपत्ति को अपने नाते, रिश्तेदारों या विश्वास पात्रों के नाम करने वालों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की सुनवाई का अधिकार देता है. इस अपीलीय कोर्ट या अधिकरण को दोषी घोषित हुए व्यक्तियों की संपत्ति जब्त करने, संपत्ति के रूप में मुआवजा दिलाने सहित कई तरह के अधिकार प्राप्त है. जस्टिस एमएन भण्डारी को तीनों अपीलय कोर्ट का अध्यक्ष नियुक्त कर केन्द्र की ओर से बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है. चेयरमैन के रूप में उन्हें ट्रिब्यूनल की बेंचो के गठन, रोस्टर तैयार करने के साथ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई, सर्किट बेंच के गठन सहित कई अधिकार हैं.
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