हसरत जयपुरी के दिलकश तरानों पर झूमे दर्शक, उस्ताद पप्पी दीवाना और नाजिम हुसैन ने बांधा समां
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हसरत जयपुरी के दिलकश तरानों पर झूमे दर्शक, उस्ताद पप्पी दीवाना और नाजिम हुसैन ने बांधा समां

सिनेमा जगत के मशहूर गीतकार हसरत जयपुरी की 23वीं पुण्यतिथि पर जवाहर कला केंद्र और स्वागत जयपुर की सहभागिता में आयोजित कार्यक्रम जश्न-ए-हसरत में प्रदेश के जाने माने कलाकारों ने अपनी गीतों भरी प्रस्तुतियों से ऐसा समां बांधा कि हरेक श्रोता हसरत जयपुरी की यादों में खो सा गया.

हसरत जयपुरी के दिलकश तरानों पर झूमे दर्शक, उस्ताद पप्पी दीवाना और नाजिम हुसैन ने बांधा समां

जयपुर: सिनेमा जगत के मशहूर गीतकार हसरत जयपुरी की 23वीं पुण्यतिथि पर जवाहर कला केंद्र और स्वागत जयपुर की सहभागिता में आयोजित कार्यक्रम जश्न-ए-हसरत में प्रदेश के जाने माने कलाकारों ने अपनी गीतों भरी प्रस्तुतियों से ऐसा समां बांधा कि हरेक श्रोता हसरत जयपुरी की यादों में खो सा गया. जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हसरत जयपुरी के सदाबहार गीतों का यादगार गुलदस्ता सजाया.कार्यक्रम की शुरुआत में सूरज फिल्म के चर्चित गीत ‘बहारों फूल बरसाओ’, के जरिए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

कलाकार उस्ताद नाजिम हुसैन ने संगम फिल्म के लोकप्रिय गीत ‘यह मेरा प्रेम पत्र पढ़कर तुम नाराज ना होना’,गीत के जरिए दाद पाई.रश्मि बालोदिया ने ‘अजी रूठकर अब कहां जाइएगा’ और अंजलि वर्मा ने ‘जिया बेकरार है, आई बहार है’, गीतों से श्रोताओं को रिझाया.

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहे 90 वर्षीय कलाकार उस्ताद पप्पी दीवाना ने सिर से हारमोनियम बजाकर हसरत जयपुरी को अनूठी श्रद्धांजलि दी.इस बीच कलाकार ने हाथों की बजाय सिर याने माथे के जरिए हारमोनियम पर ‘जाने कहां गए वो दिन’, और पंख होते तो उड़ आती रे, रसिया और जालिमा..,गीतों को पेशकर श्रोताओं को आश्चर्यचकित कर दिया.कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप शाह, सखावत हुसैन, खादिम हुसैन, सलामत हुसैन, लियाकत अली समेत कई कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी.

कलाकारों के साथ की-बोर्ड पर रहबर हुसैन, तबले पर मेहराज हुसैन, ऑक्टोपैड पर फरीद दीवाना और गिटार पर बिलाल हुसैन ने संगत की.इससे पूर्व जवाहर कला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक अनुराधा गोगिया ने कलाकारों का सम्मान किया.कार्यक्रम का संचालन रहमान हरफनमौला का रहा.

इस मौके पर हसरत जयपुरी के करीबी अब्दुल मजीद ने उनसे जुड़े किस्से बताएं.अब्दुल मजीद ने कहा कि आज भी हसरत जयपुरी की यादें जयपुर में ताजा है.क्योंकि उनकी इमारत इस बात की गवाह है, जो आज भी घोड़ा निकास रोड पर स्थित है.उन्होंने कहा कि हसरत जयपुरी अपनी मां फिरदौस आपा से बेहद प्यार किया करते थे, जब वें जयपुर छोड़कर मुंबई गए तो उन्होंने अपनी मां का ख्याल रखने की जिम्मेदारी मुझको दी.उन्होंने कहा कि हसरत जयपुरी जितने उम्दा शायर थे, उतने ही खुशमिजाज इंसान भी थे.

Reporter- Anoop Sharma

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