2011 की जनगणना में 6,85,48,437 दर्ज की गई. अब अनुमानित 8,01,29,740 से अधिक मानी जा रही है.भारत जनसंख्या में नंबर एक चीन की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है.
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Jaipur: आज विश्व जनसंख्या दिवस है और बढ़ती हुई जनसंख्या राष्ट्र के लिए चिंता का विषय हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1.4 बिलियन से अधिक लोग रहते हैं, यही कारण है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या वृद्धि धीमी हुई हैं, फिर भी भारत जनसंख्या में नंबर एक चीन की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के अनुसार अगर ऐसे ही आबादी बढ़ती गई तो 2030 तक भारत के दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन सकता है.सीमित साधन में असीमित होती जनसंख्या का असर देश के विकास, खाद्यान्न व्यवस्था, पर्यावरण, शिक्षा, रोजगार, महंगाई एवं जन्म एवं मृत्यु दर जैसी मूलभूत सुविधाओं को प्रभावित कर रहा है.
राजस्थान प्रदेश की बात करें तो यहां स्वास्थ्य विभाग एक साल में करीब 150 करोड़ रुपए तक परिवार नियोजन के लिए खर्च करता है, लेकिन फिर भी हम नहीं रुक रहें हैं. राजस्थान की अनुमानित आबादी 8,01,29,740 से अधिक है, क्षेत्रफल में देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद राजस्थान आबादी के लिहाज से 7वें नंबर पर है. वहीं, राजस्थान की जनसंख्या वृद्धि की बात करें तो राजस्थान की आबादी में भी वृद्धि देखी गई है, हालांकि आखिरी बार जनगणना साल 2011 में हुई थी, तब राजस्थान प्रदेश की आबादी 6,85,48,437 दर्ज की गई थी. लेकिन अब कोरोना टीकाकरण को लेकर राजस्थान की अनुमानित आबादी 8,01,29,740 मानी जा रही है, जिन्हें वैक्सीने लगाने का टार्गेट रखा गया हैं. ऐसे में माना यह जा रहा है कि जनगणना से लेकर 11,581,303 से अधिक अनुमानित आबादी राजस्थान में बढ़ गई है.
राजस्थान का गठन 30 मार्च 1949 को हुआ था, जिसके बाद पहली जनगणना 1951 में हुई, इसमें प्रदेश की जनसंख्या 15209797 आंकी गई. आंकडों में राजधानी जयपुर की जनसंख्या 1656097 थी, लेकिन 2011 की जनगणना में 6,85,48,437 दर्ज की गई. अब अनुमानित 8,01,29,740 से अधिक मानी जा रही है.
1995 में आया था कानून,लेकिन वर्तमान में सख्त कानून की जरूरत
राजस्थान में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए 1995 में कानून बनाया गया था. इसमें जनप्रतिनिधियों के दो से अधिक बच्चे होंगे, उनके पंचायत व निकाय चुनाव लड़ने के लिए रोक लगाई गई थी. उसके बाद 2002 में कानून बना दिया कि जिनके दो बच्चे होंगे उन्हें सरकारी नौकरी भी नहीं मिल सकती है, लेकिन अब इस कानून को बदलकर सख्त कानून बनाने की जरूरत है.
रद्द हो 1995 में आया कानून
जनसंख्या समाधान फाउंडेशन राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष नारायण राम चौधरी का कहना है कि 1995 में आया कानून पूरी तरह से रद्द होना चाहिए. सरकार को नए सिरे से पूरे देशभर में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाना चाहिए. जिसमें दो से अधिक बच्चे वाले माता पिता को सभी सरकारी सुविधएं समाप्त करने और मताधिकार का अधिकार समाप्त करने का कठोर कानून बनाया जाए, जब ही जाकर जनसंख्या पर नियंत्रण हो सकता है.
सिर्फ 0.3 प्रतिशत पुरुष करवाते है नसबंदी
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की माने तो राजस्थान में परिवार नियोजन के लिए सिर्फ 0.3 प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी करवाते हैं. प्रदेश की 42.2 प्रतिशत महिलाएं गर्भनिरोधक उपाय जैसे नसबंदी या अन्य तरीकों के प्रयोग से गर्भधारण को रोक रही हैं, जबकि पुरुषों की भागीदारी ना के बराबर है. एनएफएचएस-5 राष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल पांच राज्य हैं, जो प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर से 2.1. ऊपर हैं. इनमें बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) और मणिपुर (2.17) शामिल हैं. विभाग के सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2.1. के अनुसार राजस्थान की कुल प्रजनन दर 2.5 प्रतिशत थी. अब स्वास्थ्य विभाग 2025 तक कुल प्रजजन दर को 2.1 प्रतिशत तक लाना चाहता हैं. 2.1. की जनगणना के अनुसार प्रदेश की प्रजनन दर 2.9 प्रतिशत थी. भारत ने हाल के दिनों में जनसंख्या नियंत्रण उपायों में प्रगति की हैं, जिसके चलते कुल प्रजनन दर एनएफएचएस-4 और 5 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से 2.0 तक कम हुई है.
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