बारिश आएगी मच्छर लाएगी, लेकिन अब इन मच्छरों को भी हो गयी है नींद ना आने की बीमारी
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बारिश आएगी मच्छर लाएगी, लेकिन अब इन मच्छरों को भी हो गयी है नींद ना आने की बीमारी

Mosquitoes : मानसून के आने पर जलभराव से मच्छरों की आवक भी अब शुरू हो जाएगी. इस बीच मच्छरों पर हुए एक शोध के मुताबिक मच्छर अब ऐसी बीमारियां फैला रहे हैं, जो पहले वो केवल रात के समय फैलाते थे. इससे साफ हो गया कि उनके सोने और जागने के टाइम टेबल बिगड़ और बदल चुका है.

बारिश आएगी मच्छर लाएगी, लेकिन अब इन मच्छरों को भी हो गयी है नींद ना आने की बीमारी

Mosquitoes : मानसून आते ही बारिश का पानी जगह जगह भरा रहता है जो मच्छरों को पनपने का पूरा मौका देता है. ये मच्छर डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया समेत कई बीमारियां लेकर आते हैं और यही वजह है कि हम मच्छर का नाम आते ही उसे ढूंढकर मारने की कोशिश करने लग जाते हैं.

पर आपको जान कर हैरानी होगी कि बीमारियों फैलाने वाले ये मच्छर खुद एक बीमारी से परेशान है और ये बीमारी है नींद नहीं आने की. वैसे मच्छर ही नहीं कई मधुमक्खिया जब गहरी नींद में होती हैं तो वो अपने सिग्नेचर वैगल डांस को करने का संघर्ष करती है और थकी हुई फल मक्खियां स्मृति हानि के लक्षण दिखाती हैं. 

नींद नहीं आने पर खून चूसने वाले मच्छर खून का स्वाद भूल जाते हैं. सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी में हाल ही हुए एक शोध के दौरान इसका खुलासा हुआ है. शोध के मुताबिक कीड़े मकौड़े भी बीमारी हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में खून का स्वाद भी भूल जाते हैं. जो मच्छर का फेवरेट होता है. 

जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के डिजीज इकोलॉजिस्ट ओलुवास्यून अजेई ने बताया कि मच्छरों को खून पीने से ज्यादा सोना पसंद है. मच्छर की नींद को देख पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि सोते हुए भी मच्छर जागते हुए भी दिखते हैं. सोते हुए मच्छर के पिछले पैर सतह से चिपक जाते हैं और पेट भी नीचे हो जाता है.

इंडियाना की नॉट्रे डैम यूनिवर्सिटी के बायोलॉजिस्ट सैमुएल रंड ने बताया कि एक प्रयोग के दौरान तीन प्रजातियों के मच्छर एडीस एजिप्टी, क्यूलेक्स पिपिएंस और एनोफिलीज स्टेफेंसी को कांच के डिब्बों में कर दिया गया था. इनके अंदर कैमरा और इंफ्रारेड सेंसर्स लगाये गये थे. देखते ही देखते इन मच्छरों ने दो घंटे बाद सोना शुरू किया. वहीं कुछ मच्छरों को एक कांच के ट्यूब्स में रखा था. इसमें कुछ मिनट में कंपन होता था, ताकि वे सो ना सकें.

 इन मच्छरों को 4-12 घंटे तक सोने नहीं दिया गया. बाद में इन सभी मच्छरों को एक कांच के बर्तन में डाला गया और उसमें इंसान ने अपना पैर रख दिया. सामान्य हालात में मच्छरों को खून पीना चाहिये था लेकिन देखा गया कि जो मच्छर आराम से सोए थे, उन्होंने इंसान के पैर पर हमला कर दिया, वहीं जिन मच्छरों की नींद पूरी नहीं हुई थी, वे चुपचाप सोने की कोशिश करते रहे.

वैज्ञानिक सालों से बीमारियों की रोकथाम के लिए मच्छरों के सोने और जागने का समय तय करने वाली जैविक घड़ी का पर शोध कर रहे हैं. जिससे पता चला है कि मच्छर अब दिन में भी ऐसी बीमारियां फैला रहे हैं, जो पहले वो केवल रात के समय फैलाते थे. इससे साफ हो गया कि उनके सोने और जागने के टाइम टेबल बिगड़ और बदल चुका है.

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