Chandrayaan-3 Successfully Landing Live: अगर इसरो का चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लिया है, भारत अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया. ऐसे में आइए चांद से जुड़ी कुछ ऐसी बातों पर नजर डालते हैं, जो इस सफल लैंडिग के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण हैं. विज्ञान के साथ ही धर्म शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा और बुध का खास कनेक्शन है.
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Chandrayaan-3 Successfully Landing Live: अगर इसरो का चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लिया है, भारत अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया. ऐसे में आइए चांद से जुड़ी कुछ ऐसी बातों पर नजर डालते हैं, जो इस सफल लैंडिग के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण हैं. विज्ञान के साथ ही धर्म शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा और बुध का खास कनेक्शन है.
आज चंद्रमा के जिस दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 उतर गया है, ज्योतिष के अनुसार आज की ये लैंडिग सफल होनी थी. बुधवार का दिन बेहद खास है इसलिए ज्योतिष भी मानते है कि इसरो का अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है और विक्रम लैंडर 23 अगस्त बुधवार की शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.
क्या आप जानते हैं की चंद्रमा का भी एक पुत्र था जिसे बुद्ध ग्रह के नाम से जाना जाता है. वैसे तो बुध नवग्रहों में से एक है, लेकिन माना जाता है कि वह नक्षत्र मंडल का राजकुमार है.कारण है, चंद्रमा का पुत्र होना. चंद्रमा को आदिराज कहा गया है इसीलिए बुध को राजकुमार या राजपुत्र कहते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्र देव ने अपने गुरु बृहस्पति की भार्या तारा का अपहरण कर लिया. तब तारा और चंद्र देव के संबंध से बुध का जन्म हुआ. बुध अत्यंत सुंदर और कांतिवान थे. चंद्रमा ने उन्हें अपना पुत्र घोषित किया और उनका जातकर्म संस्कार करना चाहा. तब बृहस्पति ने इसका प्रतिवाद किया. बृहस्पति भी बुध की कांति से प्रभावित थे और उन्हें अपना पुत्र मानने को तैयार थे.
ऐसे हुआ बुध ग्रह का नामकरण संस्कार ऐसे में जब चंद्र देव और बृहस्पति का विवाद बढ़ गया तब ब्रह्माजी के पूछने पर तारा ने उन्हें बताया कि बुध चंद्र देव का ही पुत्र है. इसके बाद चंद्र देव ने बालक का नामकरण संस्कार किया और उसे बुध नाम दिया गया. चंद्र देव का पुत्र माने जाने के कारण बुध को क्षत्रिय माना जाता है. वहीं अगर उन्हें बृहस्पति का पुत्र माना जाता तो उन्हें ब्राह्मण माना जाता.
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चंद्र देव ने बुध के लालन-पालन का कार्य अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी को सौंपा इसलिए बुध को 'रौहिणेय' भी कहते हैं. बुध चंद्र देव के पुत्र थे और बृहस्पति ने भी उन्हें पुत्र स्वरूप स्वीकार किया था. यही वजह है कि उनमें चंद्र देव और बृहस्पति दोनों के गुण शामिल हैं.