अगर राजस्थान सरकार छत्तीसगढ़ की कोयला खानों में खनन शुरू करती है तो इससे न केवल राज्य में बिजली की आपूर्ति होगी बल्कि छत्तीसगढ़ में राजस्व के चांसेस बढ़ेंगे. स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष के अवसर बढे़ंगे.
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Jaipur: राजस्थान में बिजली संकट से हर कोई परेशान है. एक तरफ सरकार बिजली व्यवस्था बनाए रखने के लिए भरसक प्रयास कर रही है, वहीं, दूसरी ओर बिजली कटौती से ग्रामीण ही नहीं, शहरी क्षेत्रों के लोग भी परेशान हैं.
कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार राजस्थान में बिजली संकट के लिए जिम्मेदार है. ऐसा इसलिए है क्योंकि राजस्थान की सरकार छत्तीसगढ़ में कोयला भंडारों में खनन नहीं करा पा रही है. इसके चलते छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी इसका असर पड़ रहा है.
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बता दें कि राजस्थान में इस समय भयंकर बिजली संकट है. इससे पूरे राजस्थान को अंधेरे ही नहीं, आर्थिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है. दरअसल, राजस्थान की समस्या का हल छत्तीसगढ़ में है. जी हां, राजस्थान का कोयला भंडार छत्तीसगढ़ में है. वहीं, छत्तीसगढ़ की सरकार कोयला खनन की कई समस्याओं को दूर नहीं कर पाई है. इसका असर राजस्थान पर नजर आ रहा है. खास बात तो यह है कि केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट और राज्य की सरकारों ने इसके लिए अपनी मंजूरी भी दे दी है. वहीं, लोगों की मानें तो आपसी राजनीति के चक्कर में रोजगार प्रभावित नहीं करना चाहिए.
आजजन है खींचतान में परेशान
स्थानीय लोगों की मानें तो राजस्थान सरकार अपने ही राज्य में रोजगार और लाभ देने के चक्कर में यहां के लोगों का भी नुकसान कर रही है. वहीं, दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार राजस्थान के लिए खनन शुरू करने के लिए खास काम नहीं कर रही है. ऐसे में दो राज्यों की तनातनी का नुकसान गरीबों को हो रहा है.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों को होगा फायदा
अगर राजस्थान सरकार छत्तीसगढ़ की कोयला खानों में खनन शुरू करती है तो इससे न केवल राज्य में बिजली की आपूर्ति होगी बल्कि छत्तीसगढ़ में राजस्व के चांसेस बढ़ेंगे. स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष के अवसर बढे़ंगे.
हालांकि राजस्थान के पास छत्तीसगढ़ में कोयला भंडार है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की लापरवाही के चलते खनन नहीं हो पा रहा है. राजस्थान में बिजली संकट इसी से जुड़ा है. बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए राजस्थान के पास महज 10-15 दिनों का कोयला है. कोयले की कमी के चलते बिजली की कमी है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. मजेदार बात तो यह है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार है जबकि सहयोग और समन्वय की कमी के चलते कोयला खनन पर इसका असर पड़ रहा है.
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