राजस्थान हाईकोर्ट ने विवि की अपील की खारिज, छात्रों को चुनाव लड़ने की मंजूरी में दखल से इंकार
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राजस्थान हाईकोर्ट ने विवि की अपील की खारिज, छात्रों को चुनाव लड़ने की मंजूरी में दखल से इंकार

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय ने 26 अगस्त को हो होने वाले छात्रसंघ चुनाव में एकलपीठ के उस आदेश में दखल से इंकार कर दिया है, जिसमें अदालत ने पीजी प्रवेश परीक्षा का परिणाम नहीं आने वाले छात्र नेताओं को चुनाव लड़ने की मंजूरी दी थी.

राजस्थान हाईकोर्ट ने विवि की अपील की खारिज, छात्रों को चुनाव लड़ने की मंजूरी में दखल से इंकार

Jaipur:  राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय ने 26 अगस्त को हो होने वाले छात्रसंघ चुनाव में एकलपीठ के उस आदेश में दखल से इंकार कर दिया है, जिसमें अदालत ने पीजी प्रवेश परीक्षा का परिणाम नहीं आने वाले छात्र नेताओं को चुनाव लड़ने की मंजूरी दी थी. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश सोमवार को हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय की अपील खारिज करते हुए दिया. 

अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि, एक ओर विवि द्वितीय और तृतीय वर्ष के उन विद्यार्थियों को चुनाव की मंजूरी दे रही है, जिनका परिणाम नहीं आया है. वहीं पीजी की प्रवेश परीक्षा दे चुके विद्यार्थियों को परिणाम नहीं आने का हवाला देकर चुनाव से रोक रही है. आखिरकार विवि छात्र किसे मान रही है. जो छात्र पहले से नियमित छात्र रहा है और प्रवेश परीक्षा दे चुका है, लेकिन परीक्षा का परिणाम नहीं आया तो क्या वह अधरझूलता रहेगा. अदालत ने कहा कि जब अधिकांश पाठ्यक्रमों का परिणाम नहीं आया है तो चुनाव की घोषणा क्यों की गई.

अपील में विवि की ओर से एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि जो विद्यार्थी छात्रसंघ का सदस्य ही नहीं है, उसे चुनाव लड़ने की अनुमति कैसे दी जा सकती है. सिंडिकेट भी 13 अगस्त 2022 को आदेश जारी कर उन्हें अयोग्य ठहरा चुका है. 

चुनाव की नोटिफिकेशन जारी हो चुकी थी, इसलिए एकलपीठ को चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं देना चाहिए था. इसके अलावा प्रवेश परीक्षा में 17 हजार से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए हैं, लेकिन सीटें सिर्फ तीन हजार चार सौ ही हैं. 

ऐसे में सिर्फ प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के आधार पर ही चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इसलिए एकलपीठ का आदेश रद्द किया जाए. जवाब में प्रभावित छात्र नेताओं की ओर से कहा गया कि सिंडिकेट का आदेश ही भ्रांतिपूर्ण है और वह छात्रों के बीच भेदभाव करता है. एकलपीठ ने विवि का पक्ष सुनकर ही आदेश दिया था और छात्रों ने नामांकन पत्र भर दिए हैं. विवि ने जानबूझकर उनका परिणाम जारी नहीं किया है, ताकि प्रार्थी छात्र चुनाव नहीं लड़ सकें.
Reporter: Mahesh Pareek

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