Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन का पर्व चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में गुरुवार को प्रदोष काल युक्त श्रवण नक्षत्र, आयुष्मान और सौभाग्य योग में मनाया जाएगा. सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्यौहार अति महत्वपूर्ण माना जाता है.
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Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन का पर्व चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में गुरुवार को प्रदोष काल युक्त श्रवण नक्षत्र, आयुष्मान और सौभाग्य योग में मनाया जाएगा. देश में प्रत्येक माह कोई न कोई छोटा बड़ा पर्व-त्यौहार होता ही है और सभी उत्साह पूर्वक मनाते हैं. सभी पर्वों का अपना-अपना महत्व होता है लेकिन सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्यौहार अति महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन को भाई-बहन के अटूट प्रेम के रूप में मनाया जाता है. बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर अपनी रक्षा का संकल्प दिलाती है.
कुमकुम, हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई की थाली
कुमकुम, हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई की थाली सजाने के लिए बेसब्री से किया जा रहा इंतजार समाप्त हो गया हैं. घरों में बच्चों के साथ-साथ बड़े-बुजुर्गों में भी नटखटपन, शरारत और चुलबुलापन दिखाई देने लगा हैं.
रक्षाबंधन पर्व सेलिब्रेशन का इंतजार
मौका है रक्षाबंधन पर्व सेलिब्रेशन का. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए रक्षाबंधन पर्व का इंतजार करती हैं. भाई के माथे पर बहनें तिलक लगा कर दीर्घायु होने की कामना करती हैं और भाई अपनी बहन की सुरक्षा और खुशी के लिए संकल्प लेते हैं. इस बार भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन चर्तुदशी युक्त पूर्णिमा में गुरूवार को प्रदोष काल युक्त श्रवणनक्षत्र, आयुष्मान, सौभाग्य योग में मनाया जाएगा.
इस समय राखी बांधी जा सकती है
परकोटे समेत अन्य बाजारों में पर्व की रंगत देखते ही बन रही है. जगह-जगह राखियों के बाजार सजे हैं. ज्योतिषाचार्य विनोद शास्त्री ने बताया कि गुरूवार को पूर्णिमा सुबह 10.49 बजे से शुरू होकर अगले दिन शुक्रवार को सुबह 7.06 बजे तक रहेगी. शुक्रवार को पूर्णिमा त्रिमुहूर्त होने से कम होने से 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन का पर्व प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में मनेगा. पर्व पर रात 8.52 बजे तक भद्रा रहेगी.
शास्त्रों में भद्रा काल में राखी बांधना निषेध है. राखी बांधने का श्रेष्ठ समय रात 8.52 बजे से 9.15 बजे तक रहेगा. चर के चौघड़िए में भ्रदा के बाद 9.48 तक भी राखी बांधी जा सकती है. जल्दी होने पर भद्रापुच्छ काल में शाम 5.07 से 6.19 बजे तक राखी बांध सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य सुधाकर पुरोहित ने बताया कि ग्रंथ वृहद ज्योतिषसार के मुताबिक भद्रा का निवास मकर राशि के चंद्र में पाताल लोक में होता है. उतरार्द्ध में भद्रा अंगार, व्यातिपात, वैधृति आदि कुयोग निष्प्रभावी होते हैं. ऐसी परिस्थिति में गुरूवार को मध्यान्ह के बाद पर्व मनाना शास्त्रसंवत है. कई साल बाद इस बार भ्रदा पर्व पर लंबे समय दस घंटे तक रहेगी. उक्त योग पर्व की महत्ता को खास बनाएंगे.
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छोटीकाशी के मंदिरों में रक्षाबंधन पर्व श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाएगा
उधर छोटीकाशी के मंदिरों में रक्षाबंधन पर्व श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाएगा. आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर में ठाकुरजी और राधाजी की कलाई पर सुनहरी कलाबूत की राखी बांधी जाएगी. दो साल बार भक्त ठाकुरजी और राधाजी को राखी अर्पित कर सकेंगे. रक्षाबंधन पर ठाकुजी सुनहरी पारचे की पोशाक धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे. वहीं शहर के अक्षयपात्र मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, इस्कॉन मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भगवान को राखी अर्पण की जाएगी.
राखी का पर्व भाई-बहन के प्यार का त्योहार
बहरहाल, रक्षाबंधन यानी राखी का पर्व भाई-बहन के प्यार का त्योहार है. एक मामूली सा धागा जब भाई की कलाई पर बंधता है, तो भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर करने को तैयार हो जाता है. श्रावण मास की पूर्णिमा को इसी दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र के रूप में रंगबिरंगी राखियां बांधती हैं.
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