विधानसभा में गूंजा राजस्थानी को राजभाषा बनाने का मुद्दा, पांच साल मायड़ भाषा में पढ़ाई फिर मिले दर्जा, कमेटी गठित
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विधानसभा में गूंजा राजस्थानी को राजभाषा बनाने का मुद्दा, पांच साल मायड़ भाषा में पढ़ाई फिर मिले दर्जा, कमेटी गठित

राजस्थानी भाषा को राजस्थान की द्वितीय राजभाषा घोषित करने की प्रक्रिया प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है. शिक्षा मंत्री ने बताया कि इसके लिए कमेटी गठित की गई है जिसकी प्रक्रिया जारी है.

विधानसभा में गूंजा राजस्थानी को राजभाषा बनाने का मुद्दा, पांच साल मायड़ भाषा में पढ़ाई फिर मिले दर्जा, कमेटी गठित

Jaipur News: मायड़ भाषा राजस्थानी को राजभाषा के रूप में मान्यता देने का मामला आज विधानसभा में उठा. राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए 20 साल पहले विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ, लेकिन हुआ कुछ नहीं. कारण सिम्पल है, स्कूलों में पांच साल मायड़ भाषा में पढ़ाई हो, फिर राजभाषा का दर्जा मिले. इधर शिक्षा मंत्री ने बताया कि इसके लिए कमेटी गठित की गई है जिसकी प्रक्रिया जारी है.

राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के सम्बन्ध में रिपोर्ट पेश करेगी

विधानसभा में आज शून्यकाल के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा के नियम प्रक्रिया 131 तहत राजस्थानी को राजभाषा, राज्य की भाषा तृतीय भाषा के रूप में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम में जोड़ने के लिए ध्यानाकर्षण किया. इसके जवाब में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने जवाब दिया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता देने वास्ते संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से 25 अगस्त 2003 को संकल्प पारित किया था. संकल्प को केंद्र सरकार को भेजा था कि राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूचति में शामिल किया जाए, लेकिन मामला अभी पेंडिंग है.

मंत्री ने कहा कि राजस्थान में कई भाषा बोलियां, ब्रज भाषा, बागडी, ढूंढाणी, हाडौती, मेवाती,मालवी, शेखावाटी आदि हैं. इस सम्बंध में केंद्र सरकार को समय समय पर अवगत किया सूचित किया जाता रहा है. वर्ष 2009, 2015, 2017, 2019 तथा वर्ष 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को निवेदन किया. फिलहाल प्रकरण भारत सरकार के स्तर पर विचाराधीन है.

मंत्री कल्ला बोले- विभिन्न राज्यों में 17 भाषाओं को राजभाषा बनाया गया

मंत्री कल्ला ने कहा कि विभिन्न राज्यों में 17 भाषाओं को राजभाषा बनाया गया है. राजस्थान में राजभाषा अधिनियम 1956 विद्यमान है. राजस्थानी को राजभाषा के रूप में संशोधन के लिए प्रकरण का परीक्षण कराया जा रहा है. वहीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठयक्रम में साहित्य के रूप में पढ़ाई जा रही है. स्कूलों में साहित्य की परीक्षा भी आयोजित की जा रही है. तृतीय भाषा के रूप में सक्षम स्तर से अनुमति से यह किया जा रहा है.

उप नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2003 में संकल्प पारित किया गया था, उसमें मैं भी था. यह अकेले मेरी मंशा नहीं है करीब 163 विधायकों ने सीएम को पत्र लिखकर राजस्थानी को राज भाषा को शामिल करने की मांग की है. संविधान में आर्टिकल 345 में कहा गया है कि राज्य राजभाषा के अलावा दूसरी भाषा के रूप में शामिल कर सकता है.

राठौड़ ने कहा कि इसके लिए राजस्थान ऑफिशियल लैंग्वेज एक्ट 1956 में संशोधन करना है. जैसे दूसरे राज्यों ने इस आर्टिकल का उपयोग करते हुए संशोधन किया है. हमें भी सिर्फ इतना ही करना है इस एक्ट में संशेधन लेकर आना है. इससे आरएएस-आरपीएस भर्ती परीक्षाओं में वैकल्पिक विषय मिलेगा और नौकरियों में हमारे बच्चों को फायदा मिलेगा.

राठौड़ ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने का प्रावधान है. राठौड़ ने कहा कि 18 अगस्त 1997 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में राजस्थान को तृतीय भाषा अंगीकार करने के लिए बोर्ड की बैठक होनी थी लेकिन आज तक नहीं हुई. राजस्थान बहुत समृद्ध भाषा है इसका ढाई लाख शब्दों का शब्द कोष है. राजस्थान में मीरां की भक्ति, जम्बोजी की वाणी , पीपोजी या तेजाजी की वाणी सभी राजस्थानी में है. सब राज्यों में नया भाषा अधिकारिता अधिनियम आ सकता है तो हम किसका इंतार कर रहे हैं.

राठौड़ ने कहा कि जिस भाषा को यूजीसी ने मान्यता दे रखी है, नेपाल सरकार ने, अमेरिका ने मान्यता देखी है , नीट में परीक्षाएं हो रही है , लक्ष्मीकुमारी चूडावत को पदमश्री मिला है. उसे राजभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए. यह सदन की भावना है दलगत मामला नहीं है. हम भाषा को मान्यता नहीं दिला पाए, लेकिन आप आश्वास्त करें सब मिलकर इसे दर्जा दिलाएं. राठौड़ ने कहा कि राजस्थान का नौजवान आंदेालन कर रहा कि राजस्थानी को सैकंड लैंग्वेज के रूप में मान्यता दें.

मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि यह बात सही है कि 25 अगस्त 2003 को भाषा विभाग का मंत्री था, तब प्रस्ताव तैयार किया, लेकिन कुछ नहीं हो पाया. सीताकांत महापात्रा की रिपोर्ट आने के बाद राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं सम्मलित करने के लिए पात्र माना गया है, लेकिन केंद्र नहीं कर रही है.

पक्ष व विपक्ष सारे भेदभाव छोड़कर सभी एमएलए पीएम से मिलकर संविधान की अनुसूची में शामिल करने मांग करें. राजस्थान दस करोड लोगों की बोली जाती है उसके बारे में भाषा को मान्यता मिले यह मांग करेंगे. राठौड़ ने कहा कि दूसरे राज्यों ने किया उसी तर्ज पर पहले राजस्थान में द्वितीय भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए. पाहुआ समिति ने कहा कि जब तक किसी राज्य में पांच साल तक प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में नहीं दी जाती है तब तक उसे आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जा सकता. मंत्री कल्ला ने कहा कि इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है.

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