Rajasthan Khanij Niti 2024: 1 करोड़ को रोजगार वाली नीति! 1 लाख करोड़ के राजस्व का है लक्ष्य, इससे बजरही सस्ती होने की उम्मीद जताई जा रही है.
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Rajasthan Khanij Niti 2024: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खनिज विभाग से जुड़े लीजधारकों और निवेशकों के लिए नई नीतियां जारी की हैं. राजस्थान खनिज नीति 2024 और राजस्थान एम-सेण्ड नीति 2024 में कई बड़े प्रावधान किए गए हैं.
जिससे ना केवल निवेशकों को राहत मिलेगी, बल्कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे. साथ ही राज्य सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.
राजस्थान खनिज नीति 2024 को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का उद्देश्य यह है कि राज्य की GDP में खनन क्षेत्र के योगदान को 8 प्रतिशत तक किया जा सके. अभी खनन क्षेत्र का योगदान 3.4 प्रतिशत है, जिसे अगले 23 वर्ष में यानी वर्ष 2046-47 तक बढ़ाकर 8 प्रतिशत किया जाएगा.
PM नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखा है. उसी दिशा में CM भजनलाल शर्मा ने तब तक खनन क्षेत्र से 1 लाख करोड़ का सालाना राजस्व जुटाने, 1 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराने और खनन के मौजूदा क्षेत्रफल को 0.68 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
बजरी सस्ती होगी, आसानी से मिलेगी
- खनिज नीति में बजरी के नियमन को लेकर कवायद
- बजरी के अधिक से अधिक ब्लॉक की नीलामी का रहेगा प्रयास
- बजरी को लेकर विभाग द्वारा एक पोर्टल विकसित किया जाएगा
- बजरी निर्माता से आमजन सीधे बजरी खरीद सकेंगे, अवैध बजरी रुकेगी
- एनवायरनमेंट क्लियरेंस संबंधी जरूरत पर भी की जाएगी समीक्षा
इस दिशा में खनिजों की खोज में केन्द्र सरकार की नीति के अनुरूप निजी भागीदारी को शामिल किया जाएगा. साथ ही केन्द्र सरकार के सहयोग से अधिक से अधिक पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लाइसेंस की नीलामी की जाएगी. नए खनिज ब्लॉक्स में खनन गतिविधियां तेजी से शुरू करने के लिए जरूरी अनुमोदन, सहमतियां प्राप्त कर खनिज ब्लॉक्स की नीलामी की जाएगी.
खनिज नीति की बड़ी बातें-
- आवेदनों के निस्तारण के लिए समय-सीमा निर्धारित होगी
- अलग-अलग नामों से स्वीकृत रियायतों-मंशापत्रों का एकीकरण होगा.
- निर्माण कार्यों में उपयोगी खनिज मुर्रम के भी परमिट दिए जाएंगे.
- पोस्ट ऑक्शन फैसिलिटेशन को बेहतर विकसित किया जाएगा.
- अवैध खनन रोकने को खनन पट्टों व वे-ब्रिजों की जियो फेंसिंग की जाएगी.
- आरएफआईडी इनेबल्ड चैक पोस्ट का किया जाएगा उपयोग.
- अवैध परिवहन रोकने को जीपीएस आधारित व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम.
- श्रमिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए DMFT, CSR फंड से होंगे कार्य.
- जीरो वेस्ट माइनिंग के लिए अप्रधान खनिज के नियमों में संशोधन होंगे.
- ई-वे बिल को लेकर वर्तमान ई-टीपी व्यवस्था को समाप्त करना संभव.
खनिज नीति के साथ ही बजरी के विकल्प के रूप में एम-सेण्ड को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान एम-सेण्ड नीति 2024 भी लॉन्च की गई है. इसका उद्देश्य नदियों से बजरी की आपूर्ति पर निर्भरता में कमी लाने के साथ ही इको सिस्टम में सुधार लाना है. इससे आमजन को बजरी का सस्ता एवं सुगम विकल्प मिल सकेगा. खनन क्षेत्रों में उपलब्ध ओवरबर्डन डम्प्स का उपयोग हो सकेगा.
खनिज आधारित उद्योग बढ़ाने से स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सकेंगे. एम-सेण्ड यूनिट स्थापित करने के लिए कई मामलों में राहत दी गई है. न्यूनतम नेटवर्थ, टर्नओवर और अनुभव की आवश्यकता समाप्त की जाएगी. साथ ही प्रत्येक जिले में मेसनरी स्टोन के 2 के बजाय 5 प्लॉट की प्रतिवर्ष नीलामी हो सकेगी.
एम-सेण्ड नीति में क्या राहतें ?
- सरकारी भूमि पर ओवरबर्डन डम्प्स के एम-सेण्ड निर्माण में उपयोग पर देय DMFT में पूरी छूट
- इसकी रॉयल्टी में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी.
- एम-सेण्ड यूनिट लगाने के लिए कीननेस मनी में 50 प्रतिशत कमी
- राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना 2024 के तहत दिए जाएंगे परिलाभ
- देय एवं जमा राज्य कर का 75 प्रतिशत 10 वर्षों के लिए परिलाभ
- EPF-ESIC पर नियोक्ता के योगदान का 50 फीसदी रिइम्बर्समेंट होगा
- SME प्लेटफार्म से फंड जुटाने पर एकबारीय वित्तीय सहायता
- फंड के लिए किए गए निवेश के 50 प्रतिशत की सीमा तक सहायता
- 75 प्रतिशत स्टांप शुल्क के भुगतान से छूट, 25 प्रतिशत स्टांप शुल्क का रिइम्बर्समेंट
- 7 वर्षों के लिए विद्युत शुल्क में दी जाएगी 100 फीसदी छूट
- 75 प्रतिशत रूपांतरण शुल्क में छूट, 25 प्रतिशत शुल्क का रिइम्बर्समेंट होगा
एम सेण्ड नीति की सबसे बड़ी बात यह है कि अब राजकीय निर्माण कार्यों में अगले 5 वर्ष में बजरी के आधे विकल्प के रूप में एम-सेण्ड का उपयोग करना अनिवार्य होगा. राज्य के सरकारी, अर्द्ध सरकारी, स्थानीय निकाय, पंचायतीराज संस्थाएं, राज्य सरकार से वित्त पोषित संस्थाओं द्वारा किए जाने वाले निर्माण कार्यों में अभी 25 प्रतिशत एम-सेण्ड का उपयोग करना जरूरी है. वर्ष 2028-29 तक इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाएगा.
एम-सेण्ड यूनिट को उद्योग का दर्जा यथावत रखा जाएगा. साथ ही एम-सेण्ड यूनिट्स को ऑनलाइन सेण्ड पोर्टल से लिंक किया जाएगा, जिससे आमजन को एम-सेण्ड की उपलब्धता की रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी.