राजस्थान कांग्रेस में नेताओं की अनुशासनहीनता पार्टी के लिए एक बड़ा चैलेंज बनी हुई है. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं, लेकिन राजस्थान में पार्टी के भीतर बने कैंप और गुटबाजी कांग्रेस के हालात को बिगाड़ने में लगे हुए हैं.
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Jaipur: राजस्थान कांग्रेस में नेताओं की अनुशासनहीनता पार्टी के लिए एक बड़ा चैलेंज बनी हुई है. एक तरफ राहुल गांधी जहां देश भर में भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं, लेकिन राजस्थान में पार्टी के भीतर बने कैंप और गुटबाजी कांग्रेस के हालात को बिगाड़ने में लगे हुए हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है, राजस्थान कांग्रेस में अनुशासन समिति का नहीं होना, यही वजह है कि कोई नेताओं की बयानबाजी पर लगाम नहीं लग पा रही है, लेकिन इस बढ़ती बयानबाजी से चिंतित प्रदेश नेतृत्व ने मसला AICC तक पहुंचाया है और उम्मीद की जा रही है कि संगठन चुनाव के बाद राजस्थान में अनुशासन कमेटी सहित कई कमेटियों का गठन होगा, ताकि पार्टी के भीतर बिखरी हुई व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सके.
प्रदेश कांग्रेस में करीब 2 साल से अनुशासन समिति भंग होने का खमियाजा इन दिनों प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व को उठाना पड़ रहा है. अनुशासन समिति नहीं होने के चलते पार्टी लाइन से अलग हटकर बयान देने वाले नेताओं पर अनुशासन का डंडा नहीं चल पा रही है. प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन सहित कई मुद्दों पर एक बार फिर गहलोत-पायलट गुट के नेताओं के बीच बयानबाजी चरम पर है. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से दोनों ही टीमों के बयानवीरों को भले ही पार्टी अनुशासन में रहने की चेतावनी जारी की गई हो, लेकिन बावजूद इसके दोनों ही खेमों के नेताओं पर इस नसीहत का कोई असर नहीं हो रहा है. अनुशासन समिति भंग होने के चलते सार्वजनिक मंचों पर पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी करने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है, जिससे इन नेताओं के भी हौसले बुलंद है.
दोनों कि ओर से हो रही बयानबाजी
इस क्रम में लंबे अंतराल के बाद हाल ही में एक बार फिर सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले विधायक वेद प्रकाश सोलंकी और एससी आयोग के चेयरमैन खिलाड़ी बैरवा ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग चला रखी है. वेद प्रकाश सोलंकी ने तो यहां तक कह दिया था कि उनकी निष्ठा सचिन पायलट के प्रति है, पार्टी के प्रति नहीं. यही हाल सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले इंद्राज गुर्जर का है, जिन्होंने हाल ही में गहलोत समर्थक माने जाने वाले गुर्जर समाज के जनप्रतिनिधियों को चुनाव में सबक सिखाने की बात कही थी. इसके अलावा छात्रसंघ चुनाव में भी एनएसयूआई की हार के बाद गहलोत-पायलट गुट के नेताओं के बीच ट्विटर वॉर चल रहा है, दोनों कि ओर से एक दूसरे को जयचंद बताया जा रहा है. इधर नेताओं के बीच चल रही सियासी बयानबाजी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि दोनों खेमों के नेताओं के बीच चल रही बयानबाजी का खमियाजा आने वाले विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है.
साल 2013 में बनी थी अनुशासन समिति
कांग्रेस की अनुशासन समिति साल 2013 में डॉ. चंद्रभान के पीसीसी अध्यक्ष रहते बनी थी. इस समय पूर्व मंत्री हीरा लाल इंदौरा को अनुशासन समिति का चेयरमैन बनाया गया था. अनुशासन समिति में आधा दर्जन सदस्य थे. जिनमें पूर्व मंत्री प्रद्युमन सिंह और दिवंगत मास्टर भंवर लाल शर्मा भी सदस्य थे. सचिन पायलट के कार्यकाल में भी इसी समिति को बरकरार रखा गया था, लेकिन जुलाई 2020 में सचिन पायलट कैंप की बगावत के बाद कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी, जिला-ब्लॉक और तमाम ईकाईयों को भंग कर दिया था. तब से ही अनुशासन समिति भी भंग है, अब फिर अनुशासन समिति के गठन होने का इंतजार हो रहा है. इस संबंध में PCC चीफ ने पार्टी आलाकमान को अवगत कराया है और माना जा रहा है कि संगठन चुनाव के तुरंत बाद प्रदेश में अनुशासन समिति सहित कई अहम और जरूरी समितियों का गठन किया जाएगा.
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