हनुमानगढ़ के पास बसी इन शानदार जगहों को जरूर विजिट करें. यहां के नजारे बेहद खूबसूरत हैं. जो आपके मन को मोह लेंगे. दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित हनुमानगढ़ शहर अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है. यहां का मुख्य पर्यटक आकर्षण भटनेर किला है.
आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसपर भारत में मौजूद बाकी किलों की अपेक्षा सबसे ज्यादा बार आक्रमण हुए हैं. हनुमानगढ़ में भटनेर का किला भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है. यह किला घग्गर नदी के तट पर बसा हुआ है. इसे हनुमानगढ़ किले के रूप में जाना जाता है.
सिल्ला माता का मंदिर अठारहवीं शताब्दी में स्थापित है, यह कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित सिल्ल पत्थर घग्घर नदी में बहकर आया था.सिल्ला माता का मंदिर जिला मुख्यालय पर वैदिक नदी सरस्वती के प्राचीन बहाव क्षेत्र में स्थित है. हनुमानगढ़ में सिल्ला माता या सिला पीर मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि सिल्ला माता के सिल पीर में जो कोई भी दूध व पानी चढ़ाता है, उसके त्वचा संबंधी हर रोगों का निवारण हो जाता है.
राजस्थान के हनुमानगढ़ के पास कालीबंगन पुरातत्व संग्रहालय भी है. यहां आपको हड़प्पा की कलाकृतियां भी देखने को मिलेंगी. कालीबंगन यहां का एक पुरातात्विक महत्व रखने वाला शहर है जो आपको 5,000 साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता की संस्कृति और नगर-नियोजन कौशल की विलक्षणता से परिचित करवाता है.
हनुमानगढ़ से करीब 100 किमी दूर ब्राह्मणी माता मंदिर भी बेहद प्रसिद्ध है. यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां ब्रह्मणी माता का प्राकट्य करीब 700 वर्ष पहले हुआ बताया जाता है. यह मंदिर पुराने किले में स्थित हैं और चारों ओर ऊंचे परकोटे से घिरा हुआ है. मंदिर के तीन प्रवेश द्वारों में से दो द्वार कलात्मक हैं. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुख है. परिसर के मध्य स्थित देवी मंदिर में गुम्बद द्वार मंडप और शिखरयुक्त गर्भगृह है.
हनुमानगढ़ के पास में स्थित धूना श्री गोरख नाथजी का मंदिर भगवान शिव उनके परिवार, देवी काली, श्री भीरूजी और श्री गोरख नाथजी को समर्पित है. इस मंदिर में देवी कालिका की एक पत्थर की मूर्ति है, जो पत्थर से बनी है और खड़ी मुद्रा में है, जिसका आकार 3 फीट है. बगल में भैरूजी की समान आकार की काले पत्थर की मूर्ति है, उनके पास शिव परिवार और योगियों की अन्य समाधियां हैं.
राजस्थान के हनुमानगढ़ से महज 7 किमी दूर भद्रकाली का मंदिर है, जो देवी दुर्गा के कई अवतारों में से एक माना जोता है. यह घग्गर नदी के किनारे स्थित है. भद्रकाली का एक ऐसा मंदिर जहां माता के कल्याणी रूप की पूजा होती है. मां भद्रकाली का यह मंदिर 8000 वर्ष पुराना है. अरावली पर्वत माला के बीच स्थित यह मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां माता भद्रकाली के इस रुप की पूजा होती है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़