कोटा की प्रेरणा ने भूखे पेट भी की 10-12 घंटे पढ़ाई, NEET रिजल्ट से पिता को दी श्रद्धांजलि
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कोटा की प्रेरणा ने भूखे पेट भी की 10-12 घंटे पढ़ाई, NEET रिजल्ट से पिता को दी श्रद्धांजलि

NEET UG 2023 Result : कहते हैं हालात सब सिखा देते हैं. ऐसी ही कुछ कहानी है कोटा की प्रेरणा (Prerna)की, पिता की मौत के बाद सब बदल गया था. परिवार के सब बच्चे वक्त से पहले समझदार हो गये थे. जब घर पर सब्जी नहीं होती तो, चटनी के साथ रोटी खाते और फिर पढ़ाई में लग जाते.

कोटा की प्रेरणा ने भूखे पेट भी की 10-12 घंटे पढ़ाई, NEET रिजल्ट से पिता को दी श्रद्धांजलि

NEET UG 2023 Result : कहते हैं हालात सब सिखा देते हैं. ऐसी ही कुछ कहानी है कोटा की प्रेरणा (Prerna)की, पिता की मौत के बाद सब बदल गया था. परिवार के सब बच्चे वक्त से पहले समझदार हो गये थे. जब घर पर सब्जी नहीं होती तो, चटनी के साथ रोटी खाते और फिर पढ़ाई में लग जाते.

20 साल की प्रेरणा सिंह ने पिता के सपने को पूरा करने की कसम खाई थी. ऑटो ड्राइवर पिता की मौत के बाद से परिवार के आर्थिक हालात बेहद खराब थे. लेकिन प्रेरणा ने हिम्मत नहीं हारी. प्रेरणा के साथ ढाल की तरह उनकी मां माया कंवर खड़ी रही और उसे संभाला.

कई बार भूखे पेट भी पढ़ाई की,  क्योंकि दिमाग में बस पिता के सपने को पूरा करने का जुनून था. और आखिरकार प्रेरणा ने NEET UG 2023 Result में 686 रैंक हासिल कर सरकारी मेडिकल कॉलेज में अपनी एक सीट पक्की कर ली. 

साल 2018 में प्रेरणा जब 10वीं पढ़ रही थी. तब उसके पिता बृजराज सिंह की कैंसर से मौत हो गयी थी. पिता के इलाज में परिवार की पूरी जमा पूंजा खत्म हो गयी थी. प्रेरणा के पिता ही घर पर कमाने वाले एक मात्र शख्स थे. जो ऑटो चलाते थे.

कोटा के महावीर नगर की प्रेरणा, पिता के करीब थी और उनकी मौत के बाद टूट गयी थी. लेकिन ऐसे वक्त में मां माया कंवर ने साथ दिया. फिर कोरोना काल में परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब हो चुके थी. कुछ रिश्तेदारों की मदद और मां को मिल रही 500 रुपए की पेंशन से जैसे तैसे घर चलता रहा. लेकिन प्रेरणा ने पढ़ाई करना नहीं छोड़ा.

प्रेरणा 10-12 घंटे पढ़ाई करती थी. जिसमें उसके कोचिंग टीचर्स पूरी मदद करते थे. प्रेरणा के कान में हमेशा, अपने पिता की एक बात गूंजती थी, कि मेरी बेटी नाम रोशन करेगी. जब पिता ये कहते थे उस समय प्रेरणा औसत स्टूडेंट थी, लेकिन फिर भी पिता का यकीन कायम था. जिसे आज प्रेरणा ने साकार कर दिया है. 

ये भी है एक कहानी
हमारे समाज में संपन्न लोगों में भी आज भी वहीं सोच हैं, कि जब तक बेटा नहीं होता, तब तक वंश पूरा नहीं होता. लेकिन राजस्थान के अलवर में रहने वाले मजदूर परिवार ने इस सोच पर लात मारते हुए, अपनी बेटी को बेटे की तरह पाला. और बेटी नेहा ने NEET में शानदार रैंक हासिल की. पढ़ें पूरी कहानी

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