Jaipur: पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय हैं नरपत सिंह राजपुरोहित, कर रहे हैं ये काम
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Jaipur: पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय हैं नरपत सिंह राजपुरोहित, कर रहे हैं ये काम

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय बाडमेर निवासी नरपत सिंह राजपुरोहित लगातार प्रयासरत है और वर्ष 2013 से लगातार पर्यावरण और जल संरक्षण के कार्य में सक्रिय है.

पर्यावरण संरक्षण

Jaipur: पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय बाडमेर निवासी नरपत सिंह राजपुरोहित लगातार प्रयासरत है. वर्ष 2013 से लगातार पर्यावरण और जल संरक्षण के कार्य में सक्रिय है. ग्रीन मैन से भी जाने जाते नरपत सिंह राजपुरोहित पर्यावरण संरक्षण के साथ जल संरक्षण के लिए जनजागरूकता का भी संदेश दे रहे हैं.

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5 जून पर्यावरण दिवस पर जयपुर के स्टेच्यू सर्किल पर ग्रीन वेशभूषा धारण कर पर्यावरण जागरूकता के साथ आमजन को पौधे वितरण कर संकल्प भी दिलाएंगे. पौधे वितरण करने की फोटो तक सीमित नहीं रहकर आमजन के पौधे को बड़े वृक्ष रूप में धारण करने का भी संकल्प दिलाएंगे.

पर्यावरण और जल संरक्षण में यात्रा द्वारा जागरूक संदेश
बाड़मेर निवासी नरपत सिंह राजपुरोहित गांव लंगेरा में 2013 से लगातार पर्यावरण और जल संरक्षण में कार्य कर रहे हैं. हाल ही में पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व की सबसे लंबी साईकिल यात्रा के द्वारा भी पर्यावरण और जल संरक्षण पर जागरूकता संदेश दिया.

यह यात्रा 20 राज्यों 6 केंद्रशासित राज्यों में होते हुए 30 हजार से अधिक किलोमीटर की यात्रा तय करते हुए 3 साल 2 महीने 24 दिन में पूरी की थी. इस यात्रा के दौरान हर रोज 2 से 4 पौधे लगाता था. इन पौधों को ऐसी जगह लगाए जाते थे जो कि एक बड़े पेड़ के रूप ले सके. इस यात्रा के दौरान 8 हजार पौधे लगाए, यानी 2013 से 2022 तक कुल 94 हजार से अधिक पौधे लगा चुके है.

नरपत सिंह राजपुरोहित ग्रीन मैन के नाम से भी जाने जाते हैं. ग्रीनमैन नरपत सिंह राजपुरोहित के एक पांव में 38 टांके लगने के बावजूद और 10% विकलांगता होने के बाद भी अपने लक्ष्य को साधने के लिए अपने हौसले को कमजोर न होने दिया. इससे पहले वर्ष 2017—18 में 4700 किलोमीटर की यात्रा के माध्यम से पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में जागरूकता का संदेश देकर पर्यावरण के प्रति जागरूक किया.

वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्य
नरपत सिंह राजपुरोहित की पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र में यात्रा नहीं रूकी वन्यजीवों के संरक्षण में अदभूत कार्य किए. वन्य जीवों के लिए पानी के छोटे 22 कुंडिया लगाए. वहीं 3 बड़े कुंड लगाए. गर्मी के समय राजस्थान के बाड़मेर जिले में पानी के कुंड और नाडियों मे निजी खर्च से टैक्टर की टंकियां बनाकर पानी की व्यवस्था करवा रहे हैं. 

वहीं वन्यजीवों की रक्षा में 2 शिकारियों को वन विभाग को पकड़वाया. पक्षीयों के संरक्षण के क्षेत्र में कई जिलों में पक्षियों के लिए 'आओ एक साथ आओ और पक्षियों को बचाओ' पोस्टर जारी किए गए. इस पोस्टर अभियान के माध्यम से चीनी मांझा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया. जंगली पक्षी घायल अवस्था में होने पर अपने स्तर पर और वन विभाग के सहयोग से इन पक्षियों को घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचकर जान बचाने का काम किया.

वन्यजीवों के क्षेत्र में संरक्षण
पर्यावरण और जल संरक्षण के साथ इन वन्यजीवों की अधिक महत्वता होती है, इसलिए वन्यजीवों के संरक्षण में भी विभिन्न वन्यजीवों की रक्षा कर बचाया. वन्यजीवों की संरक्षण के क्षेत्र में हिरण, राज्य मवेशी चिकारा 140, मोर 8, मोरनी 5, खरगोश 4, बाज़ 2, नीलगाय 1, बड़ा उल्लू 2, चील 1, सियार 1 बचाने का काम किया. जब ये जंगली पक्षी घायल अवस्था में पाए जाते हैं या घायल वन्यजीवों के बारे में सूचना मिलने पर अपने स्तर पर और वन विभाग के सहयोग से इनकों बचाने का काम किया जाता है.

Reporter- Damodar Raigar

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