DLB दफ्तर में मेयर सौम्या बोलीं- कोर्ट के आदेश को ही नहीं मान रही सरकार, जानें पूरा विवाद
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DLB दफ्तर में मेयर सौम्या बोलीं- कोर्ट के आदेश को ही नहीं मान रही सरकार, जानें पूरा विवाद

 महापौर सौम्या गुर्जर बुधवार शाम डीएलबी ऑफिस पहुंची. महापौर गुर्जर ने डीएलबी निदेशक से नोटिस का जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा. उधर डीएलबी डायरेक्टर ह्रदयेश कुमार ने बेरूखी दिखाते हुए इस मामले में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया.

DLB दफ्तर में मेयर सौम्या बोलीं- कोर्ट के आदेश को ही नहीं मान रही सरकार, जानें पूरा विवाद

जयपुर: महापौर सौम्या गुर्जर बुधवार शाम डीएलबी ऑफिस पहुंची. महापौर गुर्जर ने डीएलबी निदेशक से नोटिस का जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा. उधर डीएलबी डायरेक्टर ह्रदयेश कुमार ने बेरूखी दिखाते हुए इस मामले में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया. वहीं सौम्या ने आरोप लगाया कि सरकार कोर्ट के आदेश को ही नहीं मान रही है.

गौरतलब है कि कोर्ट ने 10 नवम्बर को महापौर सौम्या गुर्जर के बर्खास्तगी के आदेश को रद्द किया था. कोर्ट ने सरकार को नए सिरे नोटिस देकर सौम्या गुर्जर का पक्ष सुनने के बाद ही कोई निर्णय लेने का आदेश दिया था. कोर्ट आदेश के बाद महापौर के लिए कराए जा रहे चुनाव को रोक दिया गया था. वहीं सौम्या गुर्जर ने फिर से महापौर की कुर्सी संभाल ली थी. महापौर का पद संभालने के साथ स्वायत्त शासन विभाग की ओर से सौम्या को नोटिस थमा दिया गया था. डीएलबी निदेशक ने नोटिस में सोम्या गुर्जर को 18 नवम्बर तक अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए थे.

इधर महापौर सौम्या गुर्जर बुधवार शाम अचानक डीएलबी ऑफिस पहुंची. सौम्या ने डीएलबी डायरेक्टर ह्रदयेश कुमार से मिलकर नोटिस का जवाब देने की समयावधि बढ़ाने की मांग की. सौम्या ने डीएलबी डायरेक्टर को दिए पत्र में सिविल रिट 99/ 2008 विमला व्यास बनाम राजस्थान सरकार के 2009 के आदेश का हवाला भी दिया.

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सौम्या ने कहा कि अतिरिक्त अधिवक्ता अनिल मेहता ने राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में विमला देवी केस निर्णय के आधार पर न्यायिक जांच की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई का हवाला दिया था. कोर्ट ने भी मेरी याचिका का निस्तारण करते हुए 10 नवम्बर को आदेश दिया है. महापौर गुर्जर ने कहा कि विमला व्यास के निर्णय में नोटिस प्राप्ति से 30 दिन का समय दिया जाने का आदेश है. वहीं सरकार ने विमला देवी के इस निर्णय के आधार पर मुझे अयोग्य घोषित करने के 27 सितम्बर के आदेश को विड्रो करने की बात कही थी.

सरकार की कथनी-करनी में अंतर- मेयर
महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि मुझे जवाब देने के लिए एक महीने का समय नहीं देकर सात दिन का समय दिया गया है. इसका मतलब सरकार कोर्ट में कुछ और कह रही है, बाहर कुछ और कह रहे हैं. सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. ऐसा मेरे साथ पहली बार नहीं किया गया है. पहले भी सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में एडिशनल एफिडेटिव देकर डे टू डे हीयरिंग की बात कही थी. साथ ही कोई एडजोंटमेंट नहीं मांगने के लिए कहा था, लेकिन फिर भी हर दिन सरकारी वकील ने एडजोंटमेंट डेट मांगी है. कोर्ट में पेश शपथ पत्र देख सकते हैं.

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मुझे न्याय पालिका पर पूरा भरोसा- मेयर

महापौर सौम्या गुर्जर ने दोहराया कि उन्हें न्यापालिका पर पूरा भरोसा है. सौम्या ने कहा कि मैं डीएलबी निदेशक को अपनी बात कहकर आई हूं, आदेश की कॉपी भी देकर आई हूं, अब निर्णय उन्हें लेना है कि वो क्या करते हैं. आगे की कार्रवाई पर सौम्या ने कहा कि सरकार चाहे माने या नहीं मानें, लेकिन उन्हें न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है, आगे भी रहेगा.
 

डीएलबी डायरेक्टर की बेरूखी 
सौम्या के आरोपों के बाद मीडियाकर्मियों ने डीएलबी डायरेक्टर ह्दयेश कुमार से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया. ह्रदयेश कुमार ने इस मामले में बात करने से साफ इन्कार करते हुए कहा कि पीआरओ से बात कर लें. उनसे सवाल किया गया कि सौम्या गुर्जर आपसे मिली है और नोटिस आपने दिया है ? इस पर डीएलबी निदेशक ने कहा कि जवाब के लिए पीआरओ को ही अधिकृत कर रखा है.

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