Masik Shivratri May 2023: हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन व्रत रखने पर विशेष फल मिलने की मान्यता है. बताया जाता है कि इस दिन भगवान शिव और शिव परिवार की पूजा से लोगों के जीवन में सुख-शांति आती है. तो आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के व्रत और पूजन विधि के बारे में.
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Masik Shivratri May 2023: मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के अवसर पर लोगों ने भक्ति और आध्यात्मिकता का पर्व मनाया. यह पर्व हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और इसे हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का मतलब होता है भगवान शिव की पूजा और व्रत का मासिक रूप से करना.
इस साल 17 मई को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह और भक्ति के साथ शिव मंदिरों में जमकर पूजा की. प्रातःकाल सूर्योदय से पहले ही लोगों ने स्नान कर शिवलिंग की पूजा की और उनकी अर्चना की. बता दें कि विधि-विधान के अनुसार गंगाजल, दूध, शहद, घी और फूलों की अर्पण करके शिवलिंग को सुंदरता से सजाया जाता है.
इस दिन के व्रत को करने से लोग मान्यता अनुसार अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. शिवरात्रि के व्रत को निभाने से लोग मान्यता अनुसार अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. शिव भक्तों का मानना है कि इस दिन का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.
इस पूजन विधि से प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ
ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन सूर्योदय (sunrise) से पूर्व उठकर नहा लें, और इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें. भगवान शिव के मंदिर जाकर शिव परिवार की पूजा करने से परम फल प्राप्त होता है. जानकार मानते हैं कि इस दिन जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद और दही से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से भी उत्तम फल मिलता है. ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक भगवान शिव को परम प्रिय है.
इसके अलावा, पूजन करने समय शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. बता दें कि बेलपत्र को पहले अच्छे से साफ कर लें, इसके बाद ही जढ़ाएं. इसके बाद भगवान की विधि विधान से धुप, दीप, फल और फूल से पूजा करें. जानकार मानते हैं कि भगवान शिव की पूजा करने समय शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें. इस दिन अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए. बता दें कि शिवरात्रि का पूजन मध्य रात्रि के वक्त होता है. इतना ही नहीं, भगवान शिव का पूजन रात्रि 12 बजे के बाद करने से विशेष फल मिलता है.
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