अब सफाई करने के लिए भी आरक्षण की मांग, वाल्मीकि समाज बोला- ये हमारा हक, जयपुर में काम ठप
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अब सफाई करने के लिए भी आरक्षण की मांग, वाल्मीकि समाज बोला- ये हमारा हक, जयपुर में काम ठप

Jaipur News : सफाईकर्मी भर्ती को लेकर बवाल-सफाईकर्मियों की हड़ताल, शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर, बाजारों में कचरा-कचरा, वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मियों ने कर रखी हड़ताल, आज झाड़ू उलटी लेकर सड़को पर किया प्रदर्शन

अब सफाई करने के लिए भी आरक्षण की मांग, वाल्मीकि समाज बोला- ये हमारा हक, जयपुर में काम ठप

Jaipur News : सफाईकर्मियों की भर्ती में आरक्षण लागू किए जाने का विरोध बढता जा रहा हैं. राजस्थान में सफाई कर्मचारियों के 13 हजार 184 पदों पर निकाली भर्ती में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के विरोध में 35 लाख आबादी वाले राजधानी जयपुर में वाल्मिकी समाज ने आज काम बंद कर दिया. जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज क्षेत्र में वाल्मिकी समाज से जुड़े करीब 6 हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारियों ने आज सामूहिक अवकाश करते हुए साफ-सफाई बंद कर दी.

हालांकि अन्य समाज से जुड़े सफाई कर्मचारियों ने खुद को इस हड़ताल से दूर रखा है. शहर में सफाई कर्मचारियों की हडताल का असर पहले ही दिन से देखने को मिल रहा हैं. जगह-जगह शहर में जगह-जगह गंदगी के ढेर से शहर की जनता को गुजरना पड रहा हैं. चारदीवारी स्थित छोटी चौपड़ पर आज सुबह नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें महिला कर्मचारी भी शामिल हुई. यहां उन्होंने नारेबाजी करते हुए दो टूक कहा की हमारा हक हम किसी ओर को नहीं देने देंगे. वाल्मिकी समाज के लोग पीढी दर पीढी से काम करते हुए आए हैं. और अब अन्य समाज के लोग हमारा हक छीनने में लगे हुए हैं. जब तक वाल्मिकी समाज को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, हडताल जारी रहेगी.

अन्य समाज के सफाई कर्मचारी सफाई नहीं करते

संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नं​दकिशोर डंडोरिया ने बताया कि हम लम्बे समय से सरकार को पत्र लिख रहे है और सफाई कर्मचारियों की भर्ती आरक्षण व्यवस्था से न करके वाल्मिकी समाज के लोगों को प्राथमिकता देते हुए करने की मांग कर रहे है. उसके बाद भी सरकार ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. इसके कारण हमने आज सामूहिक कार्य का बहिष्कार करने का निर्णय किया है. उन्होंने बताया कि सफाई करने का मूल काम वाल्मिकी समाज का है और शहर हो या गांव हमारे ही लोग सफाई करते है.... अन्य समाज से आए लोग आज भी सफाई कर्मचारी के पद पर रहते हुए सफाई का काम नहीं करते.

जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज में कुल 8 हजार से ज्यादा सफाईकर्मी हैं. इसमें से गैर वाल्मिकी समाज के दोनों नगर निगम में करीब 2100 सफाई कर्मचारी है. इन कर्मचारियों ने खुद को इस आंदोलन से पूरी तरह दूर रखा है. ये कर्मचारी आज भी अपने काम करने में जुटे हुए है. हालांकि कर्मचारियों की संख्या कम होने से शहर की सफाई व्यवस्था पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा हैं.

ये हुआ था समझौता

वाल्मिकी सफाईकर्मियों का कहना हैं 18 जनवरी और 19 अप्रेल को यूनियन और स्वायत्त शासन विभाग के बीच समझौता हुआ था. उसमें तय हुआ कि आरक्षण के आधार पर भर्ती नहीं की जाएगी. संघ अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने बताया कि वर्ष 2018 से पहले जिन कर्मचारियों ने बीट, मस्ट्रोल और संविदा पर सफाई का काम किया था उनको प्राथमिकता दी जाए. इसके अलावा वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने की मांग की जा रही है.

महिला सफाईकर्मियों ने हाथ में उलटी झाडू लेकर कहा की अब पीछे नहीं हटेंगे. 2018 को फिर से नहीं दोहराने देंगे हमारे बच्चों को रोजगार मिलने का एक रास्ता खुला हैं उसमें भी अन्य समाज को जगह दी जा रही हैं. दरअसल स्वायत्त शासन निदेशालय ने पिछले दिनों 176 नगरीय निकायों (नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद) में 13 हजार 184 पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती की विज्ञप्ति जारी की है. उसमें आवेदक को एक साल का सफाई कार्य का अनुभव मांगा..... इसके लिए किसी भी ठेकेदार या प्लेसमेंट एजेंसी (जो सरकारी या स्वायत्तशासी संस्थान में काम का अनुभव रखती हो) से अनुभव प्रमाण पत्र लेना जरूरी है.

15 मई से ऑनलाइन आवेदन 

आवेदन ऑनलाइन 15 मई से भरने शुरू होंगे, जो 16 जून तक भरे जाएंगे. राजस्थान में सबसे ज्यादा भर्ती जयपुर नगर निगम ग्रेटर में होनी है. यहां 3670 पद खाली है. नगर निगम हैरिटेज में 108 पद खाली है. इन नगर निगम के चौंमू में 46, सांभर में 45, चाकसू में 47, कोटपूतली में 67, फुलेरा में 9, जोबनेर में 57, किशनगढ़-रेनवाल में 30, शाहपुरा में 14 और बगरू नगर पालिका में 33 पद सफाई कर्मचारियों के खाली पड़े है.

बहरहाल, नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज के सफाईकर्मी इस बार आर-पार के मूड में हैं. यदि सफाईकर्मियों की मांगों पर सहमति नहीं बनती है तो तीखे आंदोलन के चलते शहर में सफाई व्यवस्था बिगड़ने से शहर की सूरत बिगड जाएगी. सफाई कर्मियों के हड़ताल के कारण शहर की हालत बद से बदतर होना तय है.....स्थिति से निपटने में नगर निगम प्रशासन भी असहाय दिख रहा है. क्योंक मामला राज्य सरकार के स्तर का हैं. ऐसे में हड़ताल लंबी चलती हैं और केंद्र से टीम सर्वेक्षण से आएगी तो उसे कचरा ही नजर आएगा और कचरा नजर आया को नंबर भी कटेंगे.

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