सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने गुरुवार (Thursday) को विधानसभा में स्पष्ट किया कि वर्तमान में चना, सरसों एवं गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस देने का कोई प्रस्ताव राज्य सरकार (State government) के स्तर पर विचाराधीन नहीं है.
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Jaipur News: सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने गुरुवार (Thursday) को विधानसभा में स्पष्ट किया कि वर्तमान में चना, सरसों एवं गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस देने का कोई प्रस्ताव राज्य सरकार (State government) के स्तर पर विचाराधीन नहीं है. सहकारिता मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्न का जवाब दे रहे थे.
इससे पहले विधायक कन्हैयालाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में सहकारिता मंत्री ने अवगत कराया कि राज्य सरकार (State government) द्वारा किसानों को कृषि जिन्सों की खरीद पर बोनस नहीं दिया जा रहा है. विगत चार वर्षों में किसी भी जिन्स की खरीद पर बोनस नहीं दिया गया है.
गुरुवार को विधानसभा में किसानों को जिंस पर बोनस देने का सवाल प्रश्नकाल में उठा. टोंक जिले के मालपुरा से विधायक कन्हैयालाल चौधरी के सवाल पर सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने जवाब देते हुए कहा कि फिलहाल चना, सरसों और गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस देने का कोई प्रस्ताव राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन नहीं है.
इस पर विधायक कन्हैया लाल ने कहा कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने 2018 में चने पर 200 रुपए और सरसों पर भी 200 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया था. मालपुरा विधायक ने कहा कि साल 2017 में तत्कालीन सरकार ने मूंगफली, मूंग और उड़द पर भी 200 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया था। विधायक कन्हैयालाल ने कहा कि इस बार भी शीतलहर से सरसों की फसल को नुकसान हुआ है. साथ ही गेहूं और चने की फसल में भी भारी नुकसान दर्ज किया गया है. ऐसे में सरकार बोनस देगी तो किसानों को राहत मिलेगी.
सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को कृषि जिन्सों की खरीद पर बोनस नहीं दिया जा रहा है. मंत्री बोले कि पिछले चार साल में किसी भी जिन्स की खरीद पर बोनस नहीं दिया गया है.
आंजना ने कहा कि चना, सरसों और गेहूं की खरीद पर किसानों को चार सौ रूपये प्रति क्विन्टल बोनस देने का कोई प्रस्ताव राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन नहीं है.
राज्य सरकार कहती है कि ना तो किसानों को एमएसपी पर खरीद में बोनस देने के प्रावधान हैं और ना ही ऐसा कोई प्रस्ताव. जबकि विपक्ष में बैठे विधायक अपनी तत्कालीन सरकार में दी गई राहत का जिक्र कर रहे हैं. तो सवाल यह उठता है कि इसे किसानों को राहत दिलाए जाने की कोशिश के रूप में देखा जाए. या चुनावी साल में अपनी पार्टी को वोट की राहत दिलाने के प्रयास के रूप में.