जयपुर न्यूज: ईस्टर संडे पर गिरिजाघरों में विशेष आराधना हुई. विभिन्न जगहों से प्रभु यीशु के संदेशों के साथ प्रभात फेरियां निकाली गई.समाजबंधु भजन और प्रार्थना करते हुए आगे बढ़े एक—दूसरे के घर जाकर लोग बधाइयां दे रहे हैं.
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Jaipur: ईस्टर संडे ईसाई धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व आज है. इस पर्व को प्रभु ईशू के सूली पर चढ़ने के तीन दिन बाद वापस जी उठने की खुशी में मनाया जाता है. दरअसल ईसाई धर्म के लोगों का मानना है कि गुड फ्राइडे के दिन प्रभु ईशू को सूली पर चढ़ाया गया था, और तीन दिन बाद संडे को प्रभु ईशू पुनः जीवित हो गए थे इसलिए इस पर्व को मनाया जा रहा है.
गिरिजाघरों में विशेष आराधना हो रही है.पादरियों की मौजूदगी में आराधना सभा का आयोजन किया गया. प्रभु यीशु के जी उठने की खुशी में घर—घर भी खुशियां मनाई जा रही हैं. इससे पहले घाटगेट सहित अन्य गिरिजाघरों में रात को जागरण हुआ. सुबह विभिन्न जगहों से प्रभु यीशु के संदेशों के साथ प्रभात फेरियां निकाली. इसमें समाजबंधु भजन और प्रार्थना करते हुए आगे बढ़े.
एक—दूसरे के घर जाकर लोग बधाइयां दे रहे हैं. घाटगेट स्थित सेक्रेट हार्ट चर्च में रात को प्रभु यीशु के पुनरुत्थान पर जागरण हुआ, इसमें पूजा—पाठ के अलावा बाइबिल का पाठ किया गया. इस दौरान मनन चिंतन व प्रार्थना की गई. उसके बाद पुनरुत्थान का रहस्य मनाया गया. बिशप ओसवल्र्ड लुविस ने बताया कि ईसाइयों का आस्था है कि प्रभु यीशु तीसरे दिन जी उठे, क्रुस पर मरना और पुनर्जीवित होना, यह उनका मनुष्यों को मुक्ति देने के लिए किया गया कार्य है. यह एक रहस्य है. यीशु खुद ईश्वर है.
शरीर रूप में वे मर गए और परमात्मा होने के नाते अभी भी जिंदा है. चांदपोल स्थित सेंट एंड्रयूज चर्च में पादरी दीपक बेरिस्टो की मौजूदगी में आराधना हुई. इस दौरान बाइबल का वाचन किया. अजमेर रोड स्थित लिविंग क्रिश्चियन मुवमेंट फैलोशिप चर्च में विशेष आराधना हुई, यहां फादर डॉ. विजयपाल ने विशेष आराधना करवाई. वहीं शहर में अन्य जगहों पर भी पादरियों ने समाजजनों को प्रभु यीशु के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया.
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