पद्मश्री अवार्ड-चोका सिस्टम ने लगाया 'चौका', बड़ी तादाद में लोग हुए मौजूद
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पद्मश्री अवार्ड-चोका सिस्टम ने लगाया 'चौका', बड़ी तादाद में लोग हुए मौजूद

Jaipur News: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री अवार्ड की घोषणा हो गई है. जयपुर के लिए गर्व की बात है की तीन हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा..

पद्मश्री अवार्ड-चोका सिस्टम ने लगाया 'चौका', बड़ी तादाद में लोग हुए मौजूद

Jaipur News: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री अवार्ड की घोषणा हो गई है. जयपुर के लिए गर्व की बात है की तीन हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा, इनमें से एक हस्ती जयपुर जिले के लक्ष्मण सिंह हैं. जयपुर के दूदू तहसील के लापोड़िया गांव के रहने वाले किसान लक्ष्मण सिंह को सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा. दुनिया को इजराइल खेती की तकनीक सिखाता है, लेकिन लक्ष्मण सिंह इजराइल को खेती की टेक्निक सिखाते हैं.

ऐसी ही शख्यिसत को पद्मश्री देकर राजस्थान और देश का मान ऊंचा किया गया है. सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाले लक्ष्मण सिंह बताते हैं की तकनीकी के मामले में इजरायल दुनिया का सबसे हाईटेक देश माना जाता है और उसे गुरू मानते हैं. भारत समेत दुनिया के कई देश इस इजराइल से सीखने जाते हैं, लेकिन इजरायल के लोग दूदू में उनके गांव लापोडिया की तकनीकी को सीखने आते हैं, जो तकनीकी विकसित की है अब वो इजरायल में लागू की जा रही है. इस हाईटेक तकनीकी का नाम 'चोका सिस्टम' है. यह एक ऐसी तकनीकी है जिसे देश के हर कोने, हर गांव का किसान अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है. शायद यही वजह है कि इजरायल में भी फेमस हो रही है. ये तकनीक है किसान को कमाई कराने की, उसे गांव में ही रोजगार देने, पानी बचाने की और जमीन को सही रखने की. इस किसान की माने तो यही तो तकनीकी है, जिसके सहारे गायों को लाभकारी बनाने हुए उन्हें बचाया भी जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय संस्था सीआरएस (CRS) ने जब चौका टेक्नीक को देखा तो उसने इसके कई फायदों और इकोसिस्टम की बैलेंसिंग पर समझ विकसित की.

साथ ही यह जल संरक्षण करता है और साथ ही बिना कोशिश के लाखों पेड़ उगा देता है. उन्होंने इसकी स्टडी कर अफगानिस्तान और इजरायल में इसको लागू करने की सिफारिश की. चौका सिस्टम की तकनीक बताने के लिए लक्ष्मण सिंह 2008 में इजरायल भी गए. इसके बाद अफगानिस्तान से 40 सदस्यों की एक टीम उनके पास आई और उनके काम को सीखकर अफगानिस्तान में कुछ जगह इम्प्लीमेंट भी किया. लक्ष्मण सिंह बताते हैं की गोचर विकास के लिए चौका सिस्टम ईजाद किया, जो आज पूरी दुनिया में एक मिसाल है. उन्होंने अपने गांव की 400 बीघा गोचर जमीन पर बारिश में व्यर्थ बह जाने वाले पानी को रोकने के लिए काम किया. पहले गोचर जमीन पर ज्यादा पानी नहीं रुकता था और वह ओवर फ्लो होकर आगे छोटे तालाब में चला जाता था, इससे वहां घास और पेड़-पौधे उगते रहते थे. गोचर की जमीन में केवल 9 इंच पानी रोकने और बाकी पानी को आगे तालाब में भेजने पर उन्होंने चौका टेक्नीक का सिस्टम ईजाद किया, इसमें जमीन पर तीन तरफ से मेड़ बना दी जाती है और उसमें छोटे-छोटे गड्ढे खोद दिए जाते हैं. पहली बरसात के बाद इस पूरे इलाके में देसी घास और खेजड़ी, देसी बबूल जैसे पौधों के बीज छिड़ककर हल से जुताई कर दी जाती है, इससे 400-500 एकड़ के इलाके में घास और पौधे उग जाते हैं. गांव वाले दो महीने तक इसमें अपने पशु नहीं भेजते हैं. जब घास और पौधे 2 फीट की लंबाई के हो जाते हैं तो इसमें पशुओं को भेजा जाता है.

साथ ही इस तरह केवल 5 साल में जंगल तैयार हो जाता है. गांव में गोचर की बंजर पड़ी जमीन के उपयोग से लक्ष्मण सिंह ने गो पालन का एक ऐसा काम शुरू किया, जिससे उनके मॉडल को अपनाने वाले हर गांव में हर परिवार को आज दूध से भी आमदनी होने लगी हैं. लक्ष्मण सिंह ने गुजरात से गिर नस्ल के सांड लाकर भी कई गांवों में छोड़े, जिससे गायों की नस्ल सुधार का काम शुरू हुआ और आज यह पूरा इलाका गिर गायों का एक बड़ा केंद्र बन गया है. लक्ष्मण सिंह ने राजस्थान के करीब 100 गांवों को हरा-भरा कर दिया. 'चोका सिस्टम' की शुरूआत करने वाले गांव में किसान हर घर में सिर्फ दूध के कारोबार से प्रतिमाह 10 से 50 हजार रुपए तक कमा रहे हैं.

आपको बता दें कि उनके गांव लापोड़िया में 350 घर हैं, जिसकी आबादी करीब 2000 लोगों की है. यहां पानी की समस्या काफी हद तक कम हुई हैं. किसान साल में कई फसलें उगाते हैं, पशुपालन करते हैं और पैसा कमाते हैं. तीन कामों पर फोकस करके गांवों की दशा सुधारने का काम किया. पहला-जल संरक्षण, दूसरा-पौधरोपण और तीसरा-स्कूल बनाना है. लक्ष्मण सिंह ने आज से करीब 40 साल पहले अपने गांव की सूरत बदलने की कोशिश शुरू की थी. करीब 66 साल के लक्ष्मण सिंह ने 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई अपने लापोड़िया गांव से ही की. 

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