जयपुर जवाहर कला केंद्र के 31 वर्ष हुए पूरे,मोहम्मद वकील और नवदीप झाला ने खूब लूटी तालियां
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2194616

जयपुर जवाहर कला केंद्र के 31 वर्ष हुए पूरे,मोहम्मद वकील और नवदीप झाला ने खूब लूटी तालियां

Jaipur News: जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजन हो रहे हैं,31 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह का पहला दिन काफी खास रहा.मशहूर ग़ज़ल गायक मोहम्मद वकील और नवदीप झाला ने ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया.

 

जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजन हो रहे हैं.

Jaipur News: जयपुर में रंग-बिरंगी रोशनी में रंगा प्रांगण और सुरीली आवाज में गूंजती रूहानी ग़ज़लें. जवाहर कला केंद्र में रात को कुछ ऐसा ही माहौल नजर आया.मौका था केंद्र की स्थापना के 31 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह के पहले दिन का. स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मशहूर ग़ज़ल गायक मोहम्मद वकील और नवदीप झाला ने ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया.

कला के संरक्षण में अद्वितीय योगदान निभा रहा 

 इस अवसर पर जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत ने कहा कि जवाहर कला केंद्र कला के विभिन्न आयामों यथा साहित्य, संगीत, रंगमंच और दृश्य कला से जुड़े आयोजन कर कलाकारों को मंच देने और कला के संरक्षण में अद्वितीय योगदान निभा रहा है.नव को पहचान और अनुभव को सम्मान के ध्येय के साथ कलाकारों के कल्याण के लिए केन्द्र सदैव प्रतिबद्ध है.

 जवाहर कला केन्द्र के 31 वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं

 कला प्रेमियों का जवाहर कला केन्द्र से विशेष जुड़ाव है, ऐसे में स्थापना दिवस और भी खास बन जाता है. सभी को जवाहर कला केन्द्र के 31 वें स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. नवदीप सिंह झाला ने मेहंदी हसन की ग़ज़ल ''रंजिश ही सही'' से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की. ''अपनी तस्वीर को आंखों से लगाता क्या है? ''प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता,''आहिस्ता-आहिस्ता''समेत विभिन्न ग़ज़लों के साथ उन्होंने समां बांधा.तबले पर ग़ुलाम गोस, सन्तूर पर उस्ताद अनवर हुसैन नीलू, वायलिन पर अशोक पंवार और की-बोर्ड पर एस.बबलू ने संगत की.

आया तेरे दर पर दीवाना..

प्लेबैक सिंगर मोहम्मद वकील ने महफिल के मिजाज को और खुशनुमा बना दिया.वकील ने अपने चिर परिचित अंदाज मे शास्त्रीय रागों पर आधारित ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया.मशहूर कव्वाली ''आया तेरे दर पर दीवाना'' से आगाज किया.यह वीर ज़ारा फिल्म की वही ग़ज़ल है जिसमें वकील ने अपनी आवाज दी है.

 इसके बाद अलग-अलग ग़ज़लों के साथ कारवां आगे बढ़ा. ''ये कसक दिल की दिल में चूभी रह गई'',''वो चांदनी सा बदन खुशबुओं का साया है'', ''वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ न करे''आदि ग़ज़लों से उन्होंने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया.राजस्थानी मांड केसरिया बालम गाकर उन्होंने सभी को राजस्थान के रंग में रंग दिया.वायलीन पर गुलजार हुसैन,की-बोर्ड पर रेहबर हुसैन,सितार पर प्रज्ञा दीक्षित,तबले पर मेराज हुसैन और ऑक्टो पेड पर रमजान ने बेहतरीन संगत करी.

ये भी पढ़ें- Rajasthan live News: बांसवाड़ा में राजनीति का हाई वोल्टेज ड्रामा,कांग्रेस-BAP का गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद डामोर का मोबाइल बंद

 

Trending news