चिंतन शिविर में नहीं पहुंचे 4 मंत्री,CM के अलावा मंत्री और अधिकारी भी देर से पहुंचे
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चिंतन शिविर में नहीं पहुंचे 4 मंत्री,CM के अलावा मंत्री और अधिकारी भी देर से पहुंचे

Jaipur News: गहलोत सरकार का दो दिवसीय चिंतन शिविर शुरू हो गया. इस दौरान पहली बार मंत्री अपने-अपने विभागों के कामकाज का प्रजेंटेशन दे रहे हैं. गहलोत कैबिनेट के चार मंत्री इस शिविर में ही नहीं पहुंचे हैं. 

 

चिंतन शिविर में नहीं पहुंचे 4 मंत्री,CM के अलावा मंत्री और अधिकारी भी देर से पहुंचे

Jaipur: प्रदेश की गहलोत सरकार का दो दिवसीय चिंतन शिविर शुरू हो गया है . अपनी ही सरकार के कामकाज को लेकर किए जा रहे चिंतन को लेकर कुछ मंत्री चिंतित नजर नहीं आये. पहली बार मंत्री अपने-अपने विभागों के कामकाज का प्रजेंटेशन दे रहे हैं. गहलोत कैबिनेट के चार मंत्री इस शिविर में ही नही पहुंचे हैं. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री को छोड़ दें तो मंत्री और अधिकारी भी समय पर नही पहुंचे. 

राजस्थान  गहलोत सरकार अपने 4 साल के कामकाज का आकलन चिंतन शिविर के जरिए कर रही है . मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में सोमवार को सुबह से ओटीएस में चिंतन शिविर का आगाज हुआ.  हालांकि इस चिंतन शिविर में चार मंत्रियों की गैर मौजूदगी चर्चाओं का विषय रहीं. चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री और एक कैबिनेट मंत्री को छोड़ दे तो कोई भी समय पर नही पहुंचे , जिसकी वजह से मंत्री परिषद की बैठक समय शुरू नही हुई . 

प्रदेश मे इस साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव होने है. चुनाव के मद्देनजर गहलोत सरकार अपने ही कामकाज का फीडबैक लेने में जुट गई है . इसी कड़ी में आज से 2 दिन सरकार का चिंतन शिविर शुरू हो गया है . शिविर में अलग-अलग सत्रों में मंत्री अपने-अपने विभागों के कामकाज का प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के सामने दे रहे हैं.  प्रेजेंटेशन में 4 साल में विभाग की 4 साल की उपलब्धियों के बारे में बताया जा रहा है . इसके साथ ही पूर्व में पेश हुए 4 बजट की क्रियान्वयन को लेकर भी प्रजेंटेशन दिया जा रहा है.

94 फीसदी घोषणाएं पूरी

प्रेजेंटेशन की शुरुआत में मुख्य सचिव उषा शर्मा ने सरकार के 4 साल का रोड मैप रखते हुए कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान मॉडल स्टेट बन रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है. महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल प्रदेश में खोले गए हैं, विद्यालयों की संख्या में राजस्थान देश में चौथे स्थान पर है. 4 सालों में 2722 घोषणा की गई है , जिनमें से 2549 घोषणाओं के लिए 94 फ़ीसदी की वित्तीय स्वीकृति जारी हो चुकी है.

सोशल सिक्योरिटी प्राथमिकता

शिविर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार के 4 साल के सोशल सिक्योरिटी को प्राथमिकता दी है . जनकल्याकारी योजनाएं राजस्थान सरकार की ओर से चलाई गई है , ऐसी योजनाएं देश में कहीं नहीं है . अन्य राज्य राजस्थान मॉडल को अपनाने के लिए अध्ययन कर रहे हैं . सीएम ने चिरंजीवी योजना, ओल्ड पेंशन स्कीम, वृद्धावस्था पेंशन, शहरी रोजगार गारंटी योजना, अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी योजनाएं देश के अन्य राज्यों में नहीं है . मुख्यमंत्री गहलोत ने तमाम मंत्रियों को भी कहा कि अपने-अपने विभागों जो जो योजनाएं पेंडिंग हैं उन्हें जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जाए.

1 करोड़ लोगों तक सामाजिक सुरक्षा 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार करीब 1 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन से लाभान्वित कर रही है . इसी तरह केन्द्र सरकार जरूरतमंद लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा दे , उन्होंने कहा कि जिस तरह खाद्य, रोजगार, सूचना का अधिकार दिया गया है, उसी तरह सामाजिक सुरक्षा (राइट टू सोशल सिक्योरिटी) मिलना चाहिए . ये सोशल सिक्योरिटी एक्ट समान रूप से पूरे देश में लागू हो . गहलोत ने कहा कि हमारी ओल्ड पेंशन स्कीम की आलोचना की गई, लेकिन आज हर कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा महसूस कर रहा है . सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारी ओपीएस स्कीम पर मोहर लगाई है . उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी शहरी  रोजगार गारंटी स्कीम, उड़ान योजना एवं महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय राज्य सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं . उन्होंने कहा कि 4 साल में 4498 मेडिकल ऑफिसर की भर्ती की जा चुकी हैं , 200 नए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की भर्ती जारी है. उन्होंने कहा की राजस्थान मॉडल ऑफ हेल्थ को बड़े स्तर पर विकसित किया जाएगा.

चिंतन शिविर के लिए मंत्री अधिकारी चिंतित नहीं

प्रदेश की गहलोत सरकार चिंतन शिविर में कामकाज को लेकर चिंतन करने जा रही है , लेकिन चिंतन शिविर की शुरुआत में जो नजारा देखने को मिला उससे ऐसा लगता है कि न मंत्री चिंतित है , ओर न ही अधिकारी . चिंतन शिविर का समय 10:30 का था , उससे पहले मंत्रिपरिषद की बैठक होनी थी , लेकिन बड़ी बात ही थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 9:45 पर ओटीएस पहुंच गए , जबकि गहलोत कैबिनेट के मंत्री महेश जोशी को छोड़ दें तो बाकी सभी मंत्री 10:30 बजे तक ओटीएस पहुंचे . मंत्री की नहीं बल्कि कई बड़े अधिकारी भी समय पर नहीं पहुंचे , जिसकी वजह से मंत्रिपरिषद की बैठक जो 10:00 बजे शुरू होनी थी वह 10:45 पर शुरू हुई . मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारी और मंत्री की लेटलतीफी पर नाराजगी भी जताई .

चार मंत्रियों की गैर-मौजूदगी

वैसे तो चिंतन शिविर में सभी मंत्रियों की मौजूदगी जरूरी थी , लेकिन चार मंत्री इस शिविर में शामिल नही हुए . जिसमे उद्योग मंत्री शकुंतला रावत, सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा , वन पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी और पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह बैठक में नहीं पहुंचे , वहीं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी भी स्वास्थ्य कारणों के चलते थोड़ी देर बाद ही बैठक से चले गए. 

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