जयपुर नगर निगम ग्रेटर में फर्म के टेंडर की दरों पर खेल, रेट्स में 20 फीसदी बढ़ोतरी का मामला
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जयपुर नगर निगम ग्रेटर में फर्म के टेंडर की दरों पर खेल, रेट्स में 20 फीसदी बढ़ोतरी का मामला

Jaipur News: जयपुर नगर निगम ग्रेटर में एक फर्म को टेंडर की अवधि की तारीख और दरों को बढ़ाने का खेल चल रहा है. नगर निगम ग्रेटर में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. नगर निगम ग्रेटर के ग्रेट मेयर और आयुक्त ने इंटरनल सॉफ्टवेयर नेटवर्क सर्विस उपलब्ध करवा रही ओसवाल कम्प्यूटर्स एंड कंसलटेंट फर्म पर ऑडिट पैरा बनने के बाद भी मेहरबानी दिखाते हुए राज्य सरकार से बिना अनुमति लिए ही फर्म की रेट्स को 20 फीसदी बढ़ा दिया.

 

 

जयपुर नगर निगम ग्रेटर में फर्म के टेंडर की दरों पर खेल, रेट्स में 20 फीसदी बढ़ोतरी का मामला

Jaipur News: जयपुर नगर निगम ग्रेटर में एक फर्म को टेंडर की अवधि की तारीख और दरों को बढ़ाने का खेल चल रहा है. कहने को तो एक नियम, एक कायदा और एक ही कानून सभी के लिये है. लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही कहानी बयां करती है. नगर निगम ग्रेटर में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. नगर निगम ग्रेटर के ग्रेट मेयर और आयुक्त ने इंटरनल सॉफ्टवेयर नेटवर्क सर्विस उपलब्ध करवा रही ओसवाल कम्प्यूटर्स एंड कंसलटेंट फर्म पर ऑडिट पैरा बनने के बाद भी मेहरबानी दिखाते हुए राज्य सरकार से बिना अनुमति लिए ही फर्म की रेट्स को 20 फीसदी बढ़ा दिया.

नगर निगम ग्रेटर में इंटरनल सॉफ्टवेयर नेटवर्क सर्विस उपलब्ध करवाने वाली ओसवाल कम्प्यूटर्स एंड कंसलटेंट फर्म ने 2005 से अंगद की तरह पांव जमा रखे हैं.और नगर निगम ग्रेटर के मेयर से लेकर आयुक्त और डीएलबी तक के अफसरों की खूब कृपा बरस रही हैं. 

हाल ही में इस फर्म पर मेहरबानी का जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर और कमिश्नर महेन्द्र सोनी का एक निर्णय काफी चर्चा में आ गया है. पिछले दिनों दोनों ने राज्य सरकार से बिना अनुमति लिए नगर निगम में काम कर रही इस फर्म की रेट्स को 20 फीसदी बढ़ा दिया. जबकि इस कंपनी का टेंडर साल 2010 में खत्म हो गया और तब से अब तक लगातार नगर निगम इसके कार्य की समयावधि को बढ़ा रहा है. 

राजस्थान ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्यूरमेंट रूल्स (आरटीपीपी) के तहत किसी भी कंपनी या फर्म का टेण्डर एक साल से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है. ना ही दरों में बढोतरी की जा सकती हैं. उसके बाद स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग की ओर से की गई एक ऑडिट में सामने आया कि स्वायत्त शासन विभाग की ओर से मेसर्स ओसवाल कम्प्यूटर्स एंड कंसलटेंट कंपनी का वर्क पीरियड साल 2015 से 2017 के बीच ही 8 बार बढ़ाया दिया. इसे देखते हुए विभाग ने इसका ऑडिट पैरा बनाते हुए नगर निगम से इसका जवाब मांगा है साथ ही आरटीपीपी एक्ट की पालना करवाने वाली कंट्रोलिंग एजेंसी को भी इस पर एक टिप्पणी नोट लिखा है. टेंडर बार-बार बढ़ाने और दरों में बढ़ोतरी का ऑडिट पैरा बैठने के बावजूद फर्म की दरों में एक साथ 20 प्रतिशत की बढोतरी कर दी गई.

जानकारों की माने तो आरटीपीपी एक्ट के तहत कोई सरकारी एजेंसी किसी काम को संविदा दर पर लेती है तो उस टेण्डर में निर्धारित समयावधि तक ही उस कंपनी को काम दिया जाता है. इसके बाद अगर एजेंसी उस कंपनी का वर्क पीरियड बढ़ाती है तो आरटीपीपी एक्ट के तहत छह माह और सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR)के तहत एक साल तक बढाया जा सकता हैं. वर्क पीरियड भी उसी कंडिशन में बढ़ाया जाता है जब टेण्डर प्रक्रिया न हो पा रही हो साथ ही ये देखा जाता है कि बाजार में उस काम की दरें प्रभावित तो नहीं हुई. ऐसे में अगर वर्क पीरियड बढ़ाया जाता है तो सरकार भी उसकी दरें में बढ़ोतरी नहीं कर सकती है. 

नियम-कायदे बने होने के बावजूद स्वायत्त शासन विभाग ने 2015 से 2017 तक ओसवाल कम्प्यूटर्स एंड कंसलटेंट फर्म के काम करने की आठ बार से ज्यादा मियाद बढ़ाई। वहीं पांच प्रतिशत की दरों में बढोतरी भी की। इतना ही नही स्वायत्त शासन विभाग के बाद नगर निगम ग्रेटर मेयर और आयुक्त ने एक साथ फर्म पर मेहरबानी करते हुए 20 फीसदी की दरों में बढोतरी कर दी. दरअसल मैसर्स ओसवाल कम्प्यूटर्स एंड कंसलटेंट कंपनी नगर निगम ग्रेटर में इंटरनल सॉफ्टवेयर नेटवर्क सर्विस उपलब्ध करवाती है. 

नगर निगम की ऑनलाइन फाइल ट्रेकिंग सिस्टम, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने, कम्प्यूटर ऑपरेटर, हार्डवेयर मशीनरी उपलब्ध करवाने का काम करती है. जानकार सूत्रो की माने तो जब इस फर्म ने जब नगर निगम में अपना काम शुरू किया उस समय वर्तमान में आयुक्त की पोस्ट पर तैनात आयुक्त महेन्द्र सोनी की पोस्टिंग नगर निगम में एडिशनल कमिश्नर की पोस्ट पर थी. इस मामले पर आयुक्त महेन्द्र सोनी ने कहा की दो बार टेंडर किए गए थे जिसमें दो फर्म आई थी लेकिन तकनीकी कारणों से टेंडर को कमेटी ने अयोग्य मानते हुए निरस्त कर दिया. यदि इस पर ऑडिट पैरा बना हुआ है तो उसका जवाब दिया जाएगा.

एक तरफ नगर निगम अपनी माली हालात खराब होने का ढिंढोरा पिटता है. दूसरी तरफ पिछले 18 साल से काम कर रहीं फर्म पर मेहरबानी पर मेहरबानी बरसाने में कोई कमी नहीं छोड रहा है. ऑडिट पैरा, आरटीपीसी एक्ट सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR) नियमों सब मेयर-आयुक्त के आदेशों के आगे मौण हो गए.

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