गोपाष्टमी के मौके पर झांकी में गोवर्धन परिक्रमा में आने वाले सभी मुख्य और धार्मिक स्थानों को दर्शाया गया.
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Jaipur: गोपाष्टमी के अवसर पर हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गौ-पूजन, गिरिराज परिक्रमा और अन्नकूट प्रसादी का आयोजन किया गया. गोबर से गिरिराजजी महाराज की सुंदर झांकी भी बनाई गई. जिसे बाल गोपाल ने अपनी अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठा रखा था.
झांकी में धार्मिक स्थानों का वर्णन
गोपाष्टमी के अवसर पर बनी सुंदर झांकी में गोवर्धन परिक्रमा में आने वाले सभी मुख्य और धार्मिक स्थानों को दर्शाया गया. साथ ही रघुपति दास ने बताया कि यह कार्यक्रम विशेष रूप से पुनर्वास केंद्र में कार्य कर रहे गोपालकों को समर्पित किया है क्यूँकि इन्हीं गौपलकों के सहयोग से इतने बड़े केंद्र का संचालन हो पता है. साथ ही बताया कि इस केंद्र के संचालन की मुख्य कड़ी ये गौपालक ही है.
गोपाष्टमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण की आयु मात्र छ: वर्ष की हुई तो उन्होने माता यशोदा से कहा, मैया अब मैं बड़ा हो गया हूं. अब मैं भी गायों को चराने के लिये वन जाऊंगा. माता यशोदा ने नन्द बाबा को श्री कृष्ण के हठ के विषय में बताया तो वो गौ-चारण का शुभ मुहूर्त जानने के लिये ऋषि शांडिल्य के पास गए. ऋषि शांडिल्य जब गौ-चारण का शुभ मुहूर्त निकालने लगे तो वो बहुत आश्चर्य में पड़ गये क्योंकि उस दिन के अतिरिक्त कोई अन्य शुभ मुहूर्त नहीं निकल रहा था. ऋषि शांडिल्य ने नंद बाबा को कहा कि आज के अतिरिक्त कोई भी अन्य शुभ मुहूर्त नही हैं. उस दिन कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि थी. जिस दिन भगवान कुछ करना चाहे तो उससे शुभ मुहूर्त कोई और हो ही नहीं सकता. नंद बाबा ने घर आकर माता यशोदा को सारी बात बताई. तब मैया यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण का श्रृंगार किया और पूजा करा कर उन्हें गायों को चराने के लिये वन भेजा.
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